Poetry: कहवाँ मोरि गइल बहार
नया सवेरा नेटवर्क
बेहद हृदयस्पर्शी दर्दनाक भोजपुरी विरह गीत-
' कहवाँ मोरि गइल बहार '
सूनी भइली मोरी कोठरिया
सूनी भइली चलति डगरिया
सुनी दुनिया,,, सूनी कुटिया
सून भइल संसार
कहवाँ मोरि गइल बहार।
हो,कहवाँ मोरि गइल बहार।।
सूनी रतिया,,सूनी बतिया
भोरहीं साँझी अउ दिन रतिया
पीटि-पीटी रोईं आपन छतिया
सून भइल तिजियौ त्योहार
कहवाँ मोरि गइल बहार।
हो,कहवाँ मोरि गइल बहार।।
सांझ बिहनवां दिनवां रतिया
तोहरी कइली हम खिदमतिया
करत रहली बहुतै प्यार
काहें तूँ बनवलू दूसर यार
कहवां मोरि गइल बहार।
हो, कहवां मोरी गइल बहार। ।
नई नई यारी में अइसन पगलइलू
यार बरिशवा के जीतइ तूँ मुअइलू
अरे,तोड़ी दिहलू वायदा तूँ हजार
छोड़ी दिहलू सपने क घर बार
कहवां मोरि गइल बहार।
हो,कहवां मोरि गइल बहार।।
सूनि अटरिया घरवा दुअरिया
सून भइल कुलि खेतवा खेतरिया
हो ल तकलीफिया अपार
कहवां मोरि गइल बहार
हो, कहवां मोरि गइल बहार।
हो,रानी मोरी
केकरा गइलू बनिके बहार।।
गीतकार
विजय मेहंदी
जौनपुर (उ0प्र0)
9198852298
,%20%E0%A4%A8%E0%A4%88%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%9C%20%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BE,%20%E0%A4%9C%E0%A5%8C%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%20%20%E0%A4%AB%E0%A5%8B%E0%A4%A8%20%E0%A4%A80%207355%20358194,%2005452-356555.jpg)