Article: ये दोगलापंथी नहीं तो और क्या है
नया सवेरा नेटवर्क
७ अक्टूबर २०२३ को इजरायल में एक फंक्शन चल रहा था।लोग सबकुछ भूल कर नाच गा रहे थे।उन्हें क्या पता था कि कुछ दुष्ट उनके ऊपर गिद्ध निगाह लगाए बैठे हैं।सब मस्ती में मस्त थे।तभी अचानक से चौतरफा हमास के आतंकवादी उनपर हमला बोल देते हैं।जब तक लोग कुछ समझ पाते तब तक तो तबाही हो गई।लगभग १२सौ से अधिक लोग मारे जा चुके थे।और हमास के आतंकियों ने लगभग २५० से अधिक लोगों को बंधक बनाकर ले गये,और गाजा के किसी बंकर में छिपा दिए।इस अचानक से हुए हमले में हजारों हंसती खेलती जिंदगियां काल कवलित हो गई।कई मुस्लिम देश इस दुष्कृत्य पर नंगा नाच नाचे,खुशी मनाये। उसमें भारत के भी कुछ मुस्लिम संगठनों ने हमास के पक्ष में खुशी मनाये। मानवाधिकार मौन साधे बैठा रहा।उन मृतकों के लिए जो कि निर्दोष थे।किसी का कुछ बिगाड़े नहीं थे।उनके प्रति किसी ने कोई सहानुभूति नहीं दिखाई।उल्टे कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोग उत्सव मनाये।जैसे ही इजरायल ने प्रतिकार में और अपने लोगों को छुड़ाने के लिए हमास के आतंकवादियों को ठोकना शुरू किया।सब झंडा लेकर हमास के पक्ष में खड़े हो गए। रेडक्रास मानवाधिकार यहाॅं तक की यू एन भी बोलने लगा।अमेरिका कुछ युरोपीयन देश और भारत को छोड़कर किसी ने यह नहीं कहा कि हमास बंधकों को छोड़ दे।सबने इजरायल को समझाना शुरू किया।यहाॅं तक की दोषी भी मानने लगे।ए तो रही इजरायल की बात।
अब हम भारत में आते हैं।यहाॅं भी जब जब आतंकी घटनाएं हुई।तमाम लोग मारे गये।तमाम लोग घर बार छोड़ कर पलायन कर दिए। रिफ्यूजी बन गये अपने ही देश में। आतंकवादियों के भय से दूर दराज राहत शिविरों में जीने को मजबूर हो गये।यहाॅं भी वही इजरायल वाला किस्सा वर्षों से चलता रहा।जब चार छः आतंकी एक साथ मारे जाते थे।तब मानवाधिकार झंडा लेकर खड़ा हो जाता था।आतंकवादियों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए।समझ में आज तक नहीं आया कि ये मानवाधिकार भारत के विरोध में ही क्यों खड़ा मिलता है। पाकिस्तान जो आतंकवादियों का पोषक है उसके खिलाफ एकबार भी नहीं खड़ा होता है।जबकी अगर दुनियां में सबसे अधिक कोई देश मानवाधिकार का हनन कर रहा है तो वह है पाकिस्तान।मगर कोई उसके खिलाफ नहीं बोलता।मगर जब भारत सबक सिखाता है तो सब खड़े हो जाते हैं।बड़ी अजीब बात यह है कि।हमारे देश की भाजपा को छोड़कर तमाम राजनीतिक पार्टियां और संगठन भी आतंकवादियों का रख रखाव करने में संलिप्त हैं।उन्हें अशिक्षित और भटका हुआ नौजवान कहके उनका समर्थन करते हुए कहती हैं कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता।मगर उनकी मौत पर फातिया पढ़ा जाता है।उनकी हत्या को शहादत का दर्जा दिया जाता है।उनके जनाजे में हजारों की भीड़ चलती है।तो हम कैसे मान लें कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता है।यदि धर्म नहीं होता तो,उनके शव पर मातम नहीं मनाया जाता।न ही फातिया पढ़ा जाता।इसके बावजूद भी कांग्रेस सहित तमाम इंडी गठबंधन सदैव यही कहता रहा कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता।मगर २००४ के बाद जब केंद्र में यही इंडी गठबंधन की सरकार थी तो हिन्दूओं को आतंकी कहने और बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।इसके लिए तत्कालीन सरकार ने हिन्दू धर्म के कई संतों को और सैनिकों को निशाना बनाया।जिन आतंकी गतिविधियों में मुस्लिम पकड़े गये थे, उन्हीं में हिन्दुओं को फंसाकर हिन्दू आतंकवादी है।यह बताने की पुरजोर कोशिश की। मुम्बई में जब २६/११ हुआ।वहाॅं भी धुर्त कांग्रेसियों ने यही उपरोक्त थ्योरी गढ़ने की कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाये।यहाॅं भी वे तमाम संगठन जो मानव हित के लिए काम कर रहे थे मौन थे।हाॅं यह जरूर था कि कसाब के मानवाधिकार के लिए कोशिश जरूर कर रहे थे।ऐसी तमाम घटनाएं हैं जिनका जिक्र करने जाऊॅंगा तो लेख बहुत लम्बा हो जायेगा। लब्बोलुआब ये है कि जब भी हिन्दू मारे जाते हैं या हिन्द समर्थक देशवासी मारे जाते हैं तो,सभी संगठन मौन हो जाते हैं।जैसे ही मुस्लिम दुष्ट प्रवृत्ति वाले मारे जाते हैं सभी ऐक्टिव हो जाते हैं।इसे दोगला पंथी न कहें तो क्या कहें।
अभी हाल ही में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री भारत आये।वो भारत में कदम रखे भी नहीं थे कि दुष्ट आतंकी पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया।कई अफगानी अनायास मारे गये।कई घायल हो गए।कई तवाह हो गये।कई बच्चे अनाथ हो गए।कई महिलाएं विधवा हो गईं।मगर क्या मजाल है कि कोई भी संगठन पिकिस्तान के खिलाफ चूं तक करें। नहीं किया।सब मौन।जब अफगानियों ने ठोकना शुरू किया तो पाकिस्तान ने सीजफायर मतलब युद्ध विराम कर लिया।और अफगानियों को धोखे में रखा। पुनः अफगानिस्तान के रिहायशी इलाकों पर हमला करके।कई निर्दोषों की जान ले ली।इस पर कोई भी मुस्लिम संगठन विरोध नहीं जताया।जबकी मारे जाने वाले सभी मुसलमान थे। मुस्लिम संगठनों ने पाकिस्तान के इस दुष्कृत्य की खुलकर भर्त्सना क्यों नहीं की। मानवाधिकार इस पर क्यों मौन है।क्या उन मारे गये निर्दोष मुसलमानों का मानवाधिकार नहीं है। क्यों नहीं सभी मुस्लिम देश पाकिस्तान को मिलकर आतंकी देश घोषित करते।क्या पाकिस्तान मुसलमानों का खलीफा है।उसके दुष्कृत्य की भर्त्सना क्यों नहीं कोई करता।
जहाॅं तक मेरी समझ में आ रहा है वो ए कि जितने भी भारत विरोधी संगठन व देश हैं।उनके कुकृत्यों को कोई देखना ही नहीं चाहता। यहाॅं तक भारत की तमाम पार्टियां जो आज इंडी गठबंधन का हिस्सा हैं।वो भी उन्हीं के साथ खड़ी हैं।जो भारत विरोधी हैं।खासकरके हिन्दू द्रोही हैं।ये सभी उसका विरोध करती हैं जो भारत समर्थक हैं।भरोसा न हो तो जरा अपने दिमाग पर जोर देकर आज तक घटी सभी घटनाओं पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि हम हिन्दुस्थानियों के साथ पूरे विश्व में कितना दुष्चक्र रचा जा रहा है।जिसका ताजा तरीन उदाहरण अफगानिस्तान है। अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान की सत्ता है।उनका शासन करने का तरीका गलत है। लेकिन शासक हैं तो शासक हैं।हर शासक अपने ही तरीके से शासन करता है।उनके मजहब में जो है वो वही कर रहे हैं।वो शरिया कानून के तहत अपना देश चला रहे हैं तो बुराई क्या है। हमारे भारत में भी तो मुसलमान वही चाहता है।जो अफगानिस्तान में चल रहा है।अब अफगानिस्तान धीरे धीरे भारत की तरफ दोस्ती का हाॅंथ बढ़ा रहा है तो, भारत विरोधियों की भौंहें तन गई।जिसमें पाकिस्तान की सबसे पहले।आखिर क्यों?अफगानों ने तो पाकिस्तान का कुछ नहीं बिगाड़ा था। लेकिन पाकिस्तान को कैसे सहन हो कि अफगानिस्तान विकास करे। अफगानिस्तान तो भारत से इसलिए दोस्ती पक्की कर है कि भारत ही एक ऐसा देश है जो अफगानिस्तान में डेवलप कर रहा है। अफगानिस्तान को इस लायक बना रहा है जिससे अफगानी भी सुचारु रूप से जी खा सकें।यही भारत की दरियादिली और मानवता देखकर आतंकी मानसिकता रखने वाले तालिबानियों का दिल अंगुलिमाल की तरह पिघल रहा है।वो आतंक से तौबा कर मुख्य धारा में आ रहे हैं। इसलिए आतंक का पोषक पाकिस्तान बौखला गया।इसी बौखलाहट में अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है। पाकिस्तान सोच रहा था कि तालिबानी काश्मीर को कब्जियाने मेरा साथ देंगे।मगर तालिबानी तो शांति के पक्षधर भारत की तरफ चल दिए।दांव उल्टा पड़ता देख पाकिस्तान और उसके समर्थक घबरा गये।और पाकिस्तान के समर्थक चाहे भारत में हों या अन्य देश में सब पाकिस्तान के इस दुष्कृत्य पर मौन होकर यह सिद्ध कर रहे हैं कि जो भी हिन्दुस्थान का साथी बनेगा।उसका न कोई मानवाधिकार हैं न उसे जीने खाने की आजादी है।तो बताइए इसे दोगला पंथी न कहें तो क्या कहें।
पं.जमदग्निपुरी
कवि समालोचक स्तम्भकार कथावाचक नाटककार व संस्थापक अध्यक्ष काव्यसृजन न्यास

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