अमेरिका के राष्ट्रपति का जुनून-प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार 2026 के लिए दुनियाँ के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति की चाहत से नोबेल पुरस्कार की रेपुटेशन हाई हुई
वैश्विक स्तरपर 6 क्षेत्रों में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया अत्यंत कठोर, विभिन्न चरणों में भारी मानदंडों से होना इसकी खूबसूरती है
दुनियाँ के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के राष्ट्रपति की नोबेल शांति पुरस्कार पाने की चाहत से पुरस्कार की रेपुटेशन में जबरदस्त उछाल परंतु यह काम को मिलता है व्यक्ति को नहीं सराहनीय- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
नया सवेरा नेटवर्क
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार यदि कोई है तो वहहै,नोबेल पुरस्कार जो भिन्न-भिन्न 6क्षेत्रों भौगोलिक, रसायन विज्ञान,चिकित्सा साहित्य शांति व अर्थशास्त्र में प्रतिवर्ष दिया जाता है। 2025 के लिए नॉमिनेशन की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2025 थी,अब पुरस्कारों की घोषणा 10 अक्टूबर 2025 को होगी। परंतु पिछले कुछ दिनों से अब नोबेल पुरस्कार 2026 की चर्चा प्रिंट इलेक्ट्रानिक सोशल मीडिया पर जोरो से चल रही है, विशेष रूप से नोबेल शांति पुरस्कार की, वो भी इसलिए की दुनियाँ के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह पुरस्कार पाने का जुनून है, हालांकि अपने पिछले टर्म में राष्ट्रपति के दौरान वे नहीं पा सके थे, परंतु अब 2026 का पुरस्कार पाने की चाहत उनके बयानों एक्सः एक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट हो रही है,जिसकी चर्चा पूरे विश्व में हो रहीहै,जबकि 2026 का ऑफीशियली रजिस्ट्रेशन सितंबर 2025 से शुरू होगा।आज इसकी चर्चा इसलिए भी जोर पकड़ रही है कि, इसके लिए ट्रंप का ऑफीशियली रूप सेनॉमिनेशन पाक द्वारा कर भी दिया गया है जो एक प्रक्रिया के तहत होता है, जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र का मानना है कि, पाक के सेनापति द्वारा ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलने की मौखिक सिफारिश की फिर उन्हें ट्रंप द्वारा ऑफीशियली रूप से लंच पर आमंत्रित दिया गया,फिर पाक़ द्वारा ऑफीशियली नॉमिनेशन की घोषणा की गई, जबकि मेरा मानना हैकि अंदरूनी कहानी ईरान-इजरायल युद्ध की भयंकर बढ़ती सिचुएशन से उत्पन्न क्राइसिस से निपटने के लिए रणनीतिके तहत पाक़ हवाई पट्टीयों का उपयोग करेगा, पाक अमेरिका के बीच यह स्थितियां हो रही है,हालांकि पाक़ सेनापति व ट्रंप की लंच मुलाकात की एक भी फोटो वीडियो प्रेस में साझा नहीं किया गया है,यह मेरा अनुमान है। तो दूसरी ओर ट्रंप खुले रूप से अपने बयान हुआ एक केंद्र पर कर रहे हैं कि उन्होंने भारत-पाक कांगो-रवांडा इसराइल -हमास रूस यूक्रेनमें से दो के युद्ध रोके हैं, बाकी की कोशिश चल रही है। हालांकि 2 दिन पूर्व भारतीय पीएम ने ट्रंप से सीधे 35 मिनट की बातचीत में कहा कि भारत पाक युद्ध विराम का समझौता आपसी द्ववपक्षी बातचीत के जरिए हुआथा परंतु ट्रंप इसको शांति पुरस्कार का आधार मानते है,परंतु उन्होंने कहा मुझे मालूम है, मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया जाएगा, हालांकि इन पुरस्कारों की पूरी प्रक्रिया की चर्चा हम नीचे पर में करेंगे। चूँकि वैश्विक स्तरपर 6 क्षेत्रों में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार की चयन प्रक्रिया अत्यंत कठोर, विभिन्न चरणों में भारी मानदंडों से होना इसकी खूबसूरती है, इसलिए आज हम मीडियम उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जुनून, प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार 2026 के लिए दुनियाँ के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति की चाहत से नोबेल पुरस्कारों की रेपुटेशन हाई हुई।
साथियों बात अगर हम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार को पाने के जुनून की करें तो,आज कल अमेरिका के राष्ट्रपति नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर चर्चा में आ गए।बता दें कि कुछ दिन पहले राष्ट्रपति ट्रंप पाक के आर्मी चीफ से मिले।अब पाक द्वारा नोबल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप को नॉमिनेट किया जाना पाक़ की चालाकी बताई जा रही है, क्योंकि ट्रंप चाहते हैं कि यह पुरस्कार किसी भी तरह उन्हें मिले। वहीं चर्चाओं के बीच ट्रंप ने अपने ट्रूथ सोशल अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा कि सोमवार को व्हाइट हाउस में कांगो और रवांडा शांति समझौते पर दस्तख्त करेंगे। इसके पहले मैंने भारत पाकिस्तान सहित कई युद्ध रुकवाए, लेकिन मुझे कोई इस नेक काम करके लिए नोबल प्राइज नहीं देगा। ट्रंप ने शुक्रवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लंबी पोस्ट में छह बार इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का उल्लेख किया। पाक ने अमेरिका के राष्ट्रपति को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है। इस कदम ने न केवल भू-राजनीतिक विशेषज्ञों को चौंका दिया है, बल्कि खुद पाक के लोग और नेता भी इससे हैरान हैं। कई पाकी सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने याद दिलाया कि ट्रंप ने गाजा में हो रहे नरसंहार और ईरान पर इस्राइल के हमले का समर्थन किया था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इस फैसले की आलोचना हो रही है।पाक ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इसलिए नामित किया है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर भारत और पाक के बीच तनाव के दौरान निर्णायक कूटनीतिक दखल दिया। हालांकि,भारत पहले ही कई बार स्पष्ट कर चुका है कि ऑपरेशन सिंदूर के समय जो संघर्षविराम हुआ, वह दोनों देशों के बीच सीधे संवाद से हुआ था- न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।दरअसल, भारत ने जब पाक के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. तब दोनों देशोंके बीच 4 दिनतक तनाव रहा,वार-पलटवार का सिलसिला जारी रहा,इसी के बाद पाक ने भारत से इस ऑपरेशन को रोकने का आग्रह किया,हालांकि, ट्रंप ने दावा किया था कि दोनों देशों के बीच उन्होंने सीजफायर कराया,पाक ने ट्रंप के इसी हस्तक्षेप का एहसान चुकाने के लिए अब ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट कर दिया है।
साथियों बात अगर हम नोबेल शांति पुरस्कार को जानने व इसकी प्रक्रिया को समझने की करेंतो, इस पुरस्कार को हासिल करने की प्रक्रिया कितनी लंबी है, यह जान लेना जरूरी है कि यह पुरस्कार आखिर है क्या,किसको दिया जाता हैजब हम नोबेल पुरस्कार की बात कर रहे हैं तो यह जान लेना जरूरी है कि नोबेल शांति पुरस्कार की शुरुआत अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत से हुई थी,यह अवॉर्ड केमिस्ट्री, फिजिक्स, फिजियोलॉजी या मेडिसिन, शांति और साहित्य,पहली बार यह पुरस्कार साल 1901 में दिया गया था,शांति के कैटेगरी में यह अवॉर्ड उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्रों के बीच भाईचारा बढ़ाने, हथियारों की संख्या को कम करने और शांति सम्मेलन आयोजित करने में खास योगदान दिया,कौन-कौन कर सकता है नॉमिशननॉर्वेजियन नोबेल समिति नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं को चुनती है,इसके लिए कोई भी व्यक्ति, संगठन या आंदोलन को नॉमिनेट किया जासकता है। लेकिन यहां शर्त है उन लोगों की जो नॉमिनेट कर सकते हैं, हर कोई नोबेल पुरस्कार के लिए किसी के नाम को नॉमिनेट नहीं कर सकता है, इसके लिए एक सीमित लोगों की लिस्ट वो ही नामों की सिफारिश कर सकते हैं,जहां अब हम जान चुके हैं कि नोबेल शांति पुरस्कार क्या होता है,वहीं, अब यह जानना जरूरी है कि कौन-कौन नॉमिशन कर सकता है,क्या आम आदमी भी इस में नॉमिशन कर सकता है?(1) किसी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कैबिन मंत्री, राष्ट्रीय सभाओं और सरकारों के सदस्य,(2) नीदरलैंड के हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और हेग में प्रमानेंट मध्यस्थता न्यायालय के सदस्य,(3) एल’इंस्टीट्यूट डी ड्रोइट इंटरनेशनलके सदस्य (4) शांति और स्वतंत्रता के लिए महिला अंतर्राष्ट्रीय लीग के अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड के सदस्य (5) यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, एमेरिटी प्रोफेसर और इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कानून, फिलॉसफी, धर्मशास्त्र और धर्म के एसोसिएट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी के रेक्टर और यूनिवर्सिटी डायरेक्टर, शांति अनुसंधान संस्थानों और विदेश नीति संस्थानों के डायरेक्टर (6) वो व्यक्ति जिन्हें पहले ही नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया हो (7) नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित संगठनों के मुख्य डायरेक्टर (8) नॉर्वेजियन नोबेल समिति के वर्तमान और पूर्व सदस्य भी इसमें नॉमिनेट हो सकते हैं,(9)नॉर्वेजियन नोबेल समिति के पूर्व सलाहकार।ट्रंप का नाम साल 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पाक की तरफ से नॉमिनेट किया गया है, जहां अब हम समझ चुके हैं कि हर आम आदमी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किसी को नॉमिनेट नहीं कर सकता है, लेकीन ऊपर दी हुई लिस्ट के लोग किसी भी शख्स को इस सम्मान के लिए नामित कर सकते हैं।
साथियों बात अगर हम नोबेल शांति पुरस्कार के इतिहास की करें तो,नोबेल शांति पुरस्कार 1901 से 2024 के बीच 142 नोबेल पुरस्कार विजेताओं, 111 व्यक्तियों और 31 संगठनों को 105 बार प्रदान किया गया है। चूंकि रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति को तीन बार (1917, 1944 और 1963 में) नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय को दो बार (1954 और 1981 में) नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, ऐसे 28 व्यक्तिगत संगठन हैं जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 31जनवरी थी,नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा 10 अक्टूबर 2025 को पुरस्कार की घोषणा की जाएगी और 10 दिसंबर 2025 को प्रदान किया जाएगा,किसी बाहरी मध्यस्थता के माध्यम से नहीं। नोबेल प्राइज 2026 के लिए ऑफिशियल रजिस्ट्रेशन सितंबर में शुरू किए जाएंगे। हालांकि, अभी अंतिम तारिख का ऐलान नहीं किया गया है। 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी थी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका के राष्ट्रपति का जुनून-प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार 2026 के लिए दुनियाँ के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति की चाहत से नोबेल पुरस्कार की रेपुटेशन हाई हुई,वैश्विक स्तरपर 6 क्षेत्रों में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया अत्यंत कठोर, विभिन्न चरणों में भारी मानदंडों से होना इसकी खूबसूरती है।दुनियाँ के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के राष्ट्रपति की नोबेल शांति पुरस्कार पाने की चाहत से पुरस्कार की रेपुटेशन में जबरदस्त उछाल परंतु यह काम को मिलता है व्यक्ति को नहीं सराहनीय है।
-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465
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