घर मा चिनगारी छुटत अहइ | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
घर मा चिनगारी छुटत अहइ,
गर्मी से मनई तार-तार
तू खुशी रहा मुंबइया मा
बाकी ठीकइ बा समाचार।
आंही-बौखा हर दिन आवइ,
सब ठाढ़ हएन अमराई मा,
दुइ-चार टिकोरा कइ खातिर,
कट्टा चले भाई-भाई मा,
बौंड़र मा सगरा आम गिरल,
कइसे बनि पाए अब अचार।
तू सुखी रहा मुंबइया मा-
बाकी ठीकइ बा समाचार।
मॅंगरू कइ बिटिया भागि गइल,
शादी कइ लिहेसि लोहारे से,
बारात लउटि गइ लल्लू कइ,
देखा यहिं बार दुआरे से,
डीजे पर घूंसा-लात चलल,
साढ़ू-फूफा खा गएन मार,
तू खुशी रहा मुंबइया मा,
बाकी ठीकइ बा समाचार।
गुटखा, खैनी, ठर्रा,दारू,
लड़िका बनि गइलेन बाजारू ,
देसी चढ़ाइ के घर आवइं,
हर रोज पिटत बा मेहरारू,
मोबाइल मा सब बझल हएन,
केउ के ना चाही रोजगार ,
तू खुशी रहा मुंबइया मा
बाकी ठीकइ बा समाचार।
गुर्राइं हमेशा ताऊ पे,
बा गजब भरोसा नाऊ पे,
खेती बारी अब छोड़ि दिहिन
बाटइ सब खेत पटाऊ पे,
बेशर्मी कइ हद लांघि गएन,
हमके समझावइं सदाचार,
तू खुशी रहा मुंबइया मा
बाकी ठीकइ बा समाचार।
लुच्चागीरी मा डूबल सब,
मनवां मा सबके स्वारथ बा,
रामायण गाउं-गाउं गूंजइ -
घर-घर मा महनाभारत बा,
छल,दंभ,राग, ईर्ष्या,चोंचलब,
जेकरा देखा बाटइ बिमार।
तू खुशी रहा मुंबइया मा
बाकी ठीकइ बा समाचार।
हम परत हई तोहरी पइयां,
परधानी आवत बा सइयां,
सिरिया के खेतवा भले बिकइ,
लड़िल्या चुनाव अबकी दइयां,
जे जीतल वोकर लोइ लगल
तोहरा चूवइ अब भी ओसार,
तू खुशी रहा मुंबइया मा
बाकी ठीकइ बा समाचार।
सुरेश मिश्र
![]() |
विज्ञापन |