माइंडफुलनेस मेडिटेशन: मनोचिकित्सा में एक उभरती हुई तकनीक
डॉ. ममता सिंह |
नया सवेरा नेटवर्क
माइंडफुलनेस मेडिटेशन न केवल मानसिक रोगों के इलाज में सहायता करता है, बल्कि यह आत्म-जागरूकता, भावनात्मक संतुलन और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। आज यह तकनीक विश्वभर के मनोचिकित्सकों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं द्वारा अपनाई जा रही है, और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक 'साइलेंट रिवोल्यूशन' (मौन क्रांति) का रूप ले चुकी है।
क्या है माइंडफुलनेस मेडिटेशन?
"माइंडफुलनेस" का अर्थ है—पूरी जागरूकता और बिना किसी पूर्वाग्रह के, वर्तमान क्षण का पूर्ण अनुभव। माइंडफुलनेस मेडिटेशन में व्यक्ति स्वयं की सांसों, विचारों, भावनाओं और शारीरिक संवेदनाओं को बिना किसी मूल्यांकन के केवल "देखता" है। यह तकनीक व्यक्ति को अपने मानसिक और भावनात्मक अनुभवों के प्रति सजग बनाती है।
मनोचिकित्सा में माइंडफुलनेस का उपयोग-
वर्तमान में माइंडफुलनेस मेडिटेशन का प्रयोग विभिन्न मानसिक समस्याओं के उपचार में सफलतापूर्वक किया जा रहा है, जैसे:
1. डिप्रेशन (अवसाद): माइंडफुलनेस-बेस्ड कॉग्निटिव थैरेपी (MBCT) अवसाद की पुनरावृत्ति को रोकने में उपयोगी सिद्ध हुई है।
2. एंग्जायटी (चिंता विकार): माइंडफुलनेस व्यक्ति को अपने भय व तनावपूर्ण विचारों से बाहर निकलने की शक्ति देती है।
3. पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD): माइंडफुलनेस थैरेपी ट्रॉमेटिक अनुभवों के प्रभावतेजी से बदलती दुनिया, बढ़ता तनाव, मानसिक दबाव और भावनात्मक अस्थिरता—इन सबके बीच मनोचिकित्सा में एक नई और प्रभावशाली विधा उभर रही है: माइंडफुलनेस मेडिटेशन। यह तकनीक अब केवल आध्यात्मिक साधना नहीं रही, बल्कि आधुनिक मनोवैज्ञानिक उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनती जा रही है।
4. एडिक्शन और नशा मुक्ति: माइंडफुलनेस की सहायता से व्यक्ति अपने आवेगों को पहचान कर नियंत्रण में ला सकता है।
यह भी पढ़ें | यात्रीगण कृपया ध्यान दें! 1 जुलाई से रेल सफर होने जा रहा महंगा
वैज्ञानिक प्रमाण और शोध-
1. हार्वर्ड, UCLA, और ऑक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए अध्ययन यह सिद्ध करते हैं कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन का मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
2. एमआरआई स्कैन द्वारा यह देखा गया है कि नियमित माइंडफुलनेस अभ्यास करने वालों के मस्तिष्क में एमिगडाला (जो भय, चिंता और तनाव की प्रक्रिया से जुड़ा है) की सक्रियता में कमी आती है।
3. दूसरी ओर, प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स — जो आत्म-नियंत्रण, निर्णय लेने, और भावनाओं को संतुलित करने का केंद्र है — की गतिविधियाँ अधिक मजबूत होती हैं।
4. माइंडफुलनेस से हिपोकैम्पस का विकास भी होता है, जो स्मृति और सीखने की क्षमता से संबंधित है। यह अवसाद और पीटीएसडी (Post-Traumatic Stress Disorder) से निपटने में सहायक साबित होता है।
इसके अतिरिक्त: 2011 में जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, माइंडफुलनेस मेडिटेशन से केवल आठ सप्ताह के भीतर मस्तिष्क की ग्रे मैटर की मात्रा में वृद्धि देखी गई, जो आत्म-जागरूकता और करुणा जैसे गुणों से जुड़ी होती है।
American Psychological Association (APA) के अनुसार, माइंडफुलनेस मानसिक स्पष्टता, संज्ञानात्मक लचीलापन और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देता है।
इन सभी वैज्ञानिक निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन केवल एक ध्यान विधि नहीं, बल्कि न्यूरोप्लास्टिसिटी (मस्तिष्क में बदलाव की क्षमता) को सक्रिय करने वाला एक सशक्त उपकरण है, जो मानसिक रोगों की रोकथाम और उपचार — दोनों में उपयोगी है।
कैसे करें माइंडफुलनेस मेडिटेशन?
1. शांत स्थान पर बैठें, पीठ सीधी रखें।
2. अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
3. मन में आने वाले विचारों को केवल नोटिस करें, उन्हें पकड़ने या रोकने का प्रयास न करें।
4. दिन में 10-15 मिनट से शुरुआत करें।
मनोवैज्ञानिकों की राय- आज के समय में कई मनोचिकित्सक माइंडफुलनेस को परंपरागत चिकित्सा के साथ संयोजित कर रहे हैं। यह न केवल दवा की आवश्यकता को कम करता है, बल्कि व्यक्ति को स्वयं अपने मन के प्रति जागरूक बनाता है—जो किसी भी मनोचिकित्सा का मूल उद्देश्य है।
निष्कर्ष- माइंडफुलनेस मेडिटेशन केवल एक मानसिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। यह मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में एक वैज्ञानिक, सुलभ और कारगर तकनीक है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में यह नई क्रांति ला रही है और आने वाले समय में मनोचिकित्सा की दिशा बदल सकती है।
डॉ. ममता सिंह
असि.प्रो.मनोविज्ञान विभाग
मो.हसन पी.जी.कॉलेज,जौनपुर