Poetry: कभी न भूलने वाला दर्द दे गया काली उड़ान

कभी न भूलने वाला दर्द दे गया काली उड़ान
नया सवेरा नेटवर्क

कभी न भूलने वाला दर्द दे गया काली उड़ान

–डॉ मंजू लोढ़ा


 आज का दिन इतिहास में एक काला अध्याय बन गया,

जब 240 यात्री और 50 होनहार छात्र एक साथ,

सपनों के संग, आकस्मिक रूप से

काल के गर्त में समा गए।

कोई घूमने जा रहा था,

कोई अपने प्रिय से मिलने,

कोई अपने बच्चों की बाहों में

सुकून ढूँढ़ने चला था।

हर यात्री की अपनी एक कहानी थी,

हर आंख में एक सपना था,

हर चेहरा किसी की दुनिया था…

पर एक पल ने सब कुछ छीन लिया।

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी जी भी

इस भयावह हादसे का शिकार हो गए।

वहीं एक नवविवाहिता,

अपने पति से मिलने लंदन जा रही थी।

बांसवाड़ा का एक पूरा परिवार—

माँ, पिता और तीन बच्चे,

सपनों सहित सदा के लिए विदा हो गये।

और सबसे करुण दृश्य,

वे छात्र जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे,

जो कल के डॉक्टर बनने वाले थे,

जो औरों की साँसें बचाते,

आज वे स्वयं साँसें छोड़ बैठे।

माँ ने कहा होगा –

"छुट्टियों में बेटा आएगा,

घर का आँगन फिर हँसेगा।"

पर अब वो आँगन मौन है…

उस मां की आँखें दरवाज़े पर टिकी हैं,

पर वह बेटा अब कभी नहीं लौटेगा।

हंसते-मुस्कुराते चेहरों ने

अलविदा कहने का वक़्त तक न पाया।

सेल्फी में कैद मुस्कानें

अब बस तस्वीरों में रह गईं।

यह जीवन कितना अनिश्चित है।

हम जोड़ते हैं, लड़ते हैं, दौड़ते हैं,

लेकिन यह भूल जाते हैं कि

एक क्षण में सब कुछ समाप्त हो सकता है।

क्या ही अच्छा हो अगर

हम इस नश्वरता को समझें।

हर दिन को प्रेम से जिएं,

ईर्ष्या, द्वेष और क्रोध को त्याग दें।

प्रेम बाँटें, मदद करें,

एक-दूसरे का सहारा बनें।

ईश्वर से बस यही प्रार्थना —

"सभी का कल्याण हो,

हर जीवन सुरक्षित हो,

और हर हृदय में मानवीयता जीवित रहे।"

शत् शत् नमन उन आत्माओं को,

जिन्होंने समय से पहले

अमृत की जगह काल पी लिया।

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