चलो एक बार फिर मॉंफ करते हैं | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
हमारा देश भारत सदैव ही सहिष्णु सहृदय अहिंसक और शांतिप्रिय रहा है।मॉंफी देने में तो इसका कोई सानी नहीं है।केवल कहने के लिए नहीं,न मंच से भाषण देने के लिए और न ही पुस्तक में लिखने के लिए।इसको सदैव प्रमाणित भी किया।जिसके बदले में भारत को केवल घाव मिले।कितनी बार तो ऐसे घाव मिले कि हृदय ही क्षत विक्षत हो गये।लेकिन क्या मजाल है कि भारत अपनी परम्परा से तिनका भर भी टस से मस हुआ हो।हर कुर्बानी दे दिया अपनी परम्परा के निर्वहन हेतु। यहॉं तक कि दासता भी की,कई टुकड़ों में विभक्त भी हो गया।करोड़ों लोगों की बलि भी ले ली इसी के चलते।मगर आज भी अपनी परम्परा का निर्वहन शिद्दत से करता आ रहा है। जिसका जीता जागता प्रमाण है आज का पाकिस्तान के साथ प्राक्सी वार।
प्राक्सी वार इसलिए कि पाकिस्तान तो हमसे युद्ध कर रहा था। लेकिन हम उसे प्राक्सी वार कहके उस पर वार कर रहे थे।वो भारत पर हमला किए हुए था।हम आतंकी हमला मानकर उसके आतंकी लांच पैड ढूॅंढ़ कर उसमें समय बर्बाद कर रहे थे। अरबों रूपये का असलहा सैकड़ों जवानों की आहुति ले ली।और बिना कुछ हांसिल किये एकबार उसे पुनः क्षमादान दे दिए। एकबार फिर अपनी उसी शांतिप्रियता को प्रत्यक्ष प्रमाणित किये।और उसे सम्हलने का भरपूर अवसर प्रदान इसलिए किए कि जिससे वह खा पीकर हृष्ट पुष्ट हो।और पुनः हम पर हमला करे।हमारे निरपराध लोगों की निर्मम और निर्दयतापूर्वक हत्या करे।और हमारी सरकार हाय-तौबा करके हमारे टैक्स की ऐसी-तैसी करे।और फिर क्षमा करके हमारे ऊपर टैक्स बढ़ाके मंहगाई बढ़ाके हमारा हर तरह से दोहन कर सके।
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हमलोग आदि काल से आज तक इतिहास से और शास्त्रों से कुछ भी नहीं सीख पाये।हम जब इतिहास में झाॅंकते हैं तो हमारे पूर्वजों ने जो गलती की वही गलती करते चले आ रहे हैं।जनक जी ने रावण को मॉंफ किया। भगवान श्रीराम जी भी रावण को क्षमा दान दिए। परिणाम कितना भयावह रहा सब जानते हैं।पाण्डव भी कौरव की गलती मॉंफ करते रहे। परिणाम वहॉं भी भयावह ही आया।ऐसे अनेक उदाहरण हमारे शास्त्रों में निहित है। म्लेच्छों को जितनी बार क्षमा किया गया। म्लेच्छों ने हमें असहनीय दर्द ही दिया है। पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को १७बार क्षमा किया।१८ वीं बार मुहम्मद गोरी ने विजय हासिल किया।जानते हैं उसने पृथ्वीराज चौहान के परिवार व उसके साथ क्या किया। असहनीय अमानवीय यातनाएं देकर राज्य भी लिया।और जान भी लिया।उसके बाद हमारे राजाओं ने उसी की पुनरावृत्ति करते रहे।जिसका परिणाम ये रहा कि हम भारतीय वर्षों गुलाम रहे।भारत का भू-भाग सिकुड़ गया।
आजादी के बाद फिर भारत टूटा।टूटा हुआ भाग पाकिस्तान बना। पाकिस्तान धर्म के आधार पर मुस्लिम देश बना।जबसे बना तब से लेकर चार बार प्रत्यक्ष युद्ध किया और चारो बार मुॅंह की खाईं।और चारों बार हमने क्षमा किया। परिणाम शून्य मिला।जब भी हमने क्षमा किया।पलट के वो हमें असहनीय दर्द दिया। प्रत्यक्ष युद्ध से अधिक उसने हम पर प्राक्सी वार किया। प्राक्सी वार से उसने हमारी बहुत बड़ी क्षति की है।जन हानि व धन हानि दोनों की है।जबकी उत्पात न करे उसके लिए कई समझौते भी किए।और हर बार उल्लंघन भी किया।इसके बावजूद भी हमारी सरकारें उसे क्षमा करती आ रही हैं।चाहे १९४८ हो १९६५ हो १९७१ हो १९९९ हो।हरबार उसने घुटने टेके।हमारे सैनिक बलिदान हुए।अरबों खरबों रुपए बर्बाद हुए।और दर्द के सिवाय कुछ भी नहीं मिला।जितनी बार समझौते हुए सब उसने तोड़ा।और हम घूम घूम के इसको उसको जवाब व साक्ष्य देते फिर रहे हैं।और मान कोई नहीं रहा।हम जब भी उससे सुलह किए।वो मलाई खाया।और हम अपनों को खोये।
इस बार हम भारतवासियों को उम्मीद थी कि अबकी वो होगा जो कभी नहीं हुआ। लेकिन जो हम नहीं सोच रहे थे वहीं हुआ।हम भारतीय सोच रहे थे कि इस बार ७० वर्षों का कोढ़ कट जायेगा। हमारे हत्यारे पकड़े जायेंगे। पीओके हमें मिल जायेगा।बलूच आजाद हो जायेंगे।मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।उलट दो दिन हल्ला-गुल्ला करके अरबों रूपए स्वाहा करके सैकड़ों जवानों की बलि ले के फिर वही सहिष्णुता सहृदयता अहिंसा शांति की माला जपते हुए समझौता कर लिए। करोड़ों भारतीयों के ज़ख्मों पर नमक के साथ मिर्च मिलाकर छिड़क दिये।हम भारतीय बिलबिला रहे हैं पीड़ा से।साहब समझौता करके बिरयानी खा रहे हैं। एकबार फिर क्षमा करके परम्परा का निर्वहन कर लिए।बोलो भारत माता की जय।
पं.जमदग्निपुरी
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