Jaunpur News: कभी साइकिल खींचा, छोटे से कमरे से ऑफिस चलाई... आज हैं करोड़पति | Naya Sabera Network

Jaunpur News Once pulled a bicycle, ran an office from a small room... today is a millionaire Naya Sabera Network


राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक तेजस टूडे के समूह संपादक ‘रामजी जायसवाल’ के जन्मदिन पर विशेष

अंकित जायसवाल @ नया सवेरा

जौनपुर। काम करो ऐसा कि एक पहचान बन जाए, हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए, यहां जिंदगी तो हर कोई काट लेता है, जिंदगी जियो इस कदर कि मिसाल बन जाए... यह पंक्तियां जौनपुर के वरिष्ठ पत्रकार, तेजस टूडे ग्रुप के समूह संपादक, तेजस परिवार और जायसवाल परिवार के मुखिया, जायसवाल समाज की आन-बान-शान रामजी जायसवाल पर बिल्कुल सटीक बैठती है। कभी साइकिल खींचकर दफ्तर जाने वाले रामजी जायसवाल आज करोड़पति हैं। उन्होंने अपने जीवन में तमाम उतार चढ़ाव देखें, उनका पैर लड़खड़ाया जरूर लेकिन डटकर संघर्षों से सामना किया, कभी पीछे नहीं हटे। कभी दूसरों के लिए काम करने वाले रामजी जायसवाल के लिए आज न जाने कितने लोग काम कर रहे हैं। आज उनके तेजस ग्रुप से न जाने कितने लोग अपनी पहचान बना रहे हैं। आज उनका जन्मदिन है...

संघर्षों से भरा रहा है रामजी जायसवाल का जीवन

अपनी जिदंगी और अपनों से प्यार करो, माना अंधेरा है लेकिन सुबह का इंतजार करो, खुशी का समय भी आएगा एक दिन, बस तुम उस ईश्वर पर एतबार करो... इन चंद लाइनों को चरितार्थ करने वाले रामजी जायसवाल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। हिंदुस्तान न्यूज पेपर में बतौर कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं दी लेकिन कुछ महीने काम करने के बाद ही उन्होंने कुछ बड़ा करने का सोचा और वहां से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने एक किराए के रूम में अपने ब्रांड की नींव रखी और उसका नाम रखा 'तेजस न्यूज एजेंसी' उस समय शायद उन्हें भी नहीं पता था कि 'तेजस न्यूज एजेंसी' शहर ही नहीं बल्कि पूरे जनपद में अपनी एक अलग पहचान बनाएगा। हुआ भी वहीं कुछ समय पश्चात जौनपुर के प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार इस प्रतिष्ठान से जुड़े और देखते ही देखते यह एक ब्रांड बन गया। इसके साथ ही वह दैनिक मान्यवर में काम करते थे और साइकिल खींचकर दफ्तर जाया करते थे।

खुद बनाया अपना मुकाम, लोग देते हैं उदाहरण

दैनिक मान्यवर परिवार से उन्हें बहुत प्यार मिला और काफी समय तक उन्होंने वहां पर अपनी सेवाएं दी। धीरे-धीरे तेजस न्यूज एजेंसी बड़ा रूप लेता गया और एक समय आया जब उन्हें दैनिक मान्यवर से भी अलविदा कहना पड़ा। तेजस से ही उन्होंने अपनी पहचान बना ली और ऑफिस भी बदल गया। एक समय आया जब उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया और तेजस न्यूज एजेंसी के अलावा अपने अखबार तेजस टूडे का रजिस्ट्रेशन कराया। इस अखबार का रजिस्ट्रेशन होने के बाद प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार साथियों ने उनका सपोर्ट किया। जौनपुर से लेकर लखनऊ तक उन्हें खूब समर्थन, सपोर्ट और स्नेह मिला। 


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जिले के हर वर्ग के लोगों की खबर इसमें प्रकाशित होने लगी और देखते ही देखते इस अखबार ने जौनपुर में अपना स्थान बना लिया। जौनपुर में दैनिक मान्यवर, तरूणमित्र अखबार की ही लोकल अखबारों में गिनती होती थी, लेकिन कम समय में तेजस टूडे ने लोकल अखबारों में अपनी पहचान बनाई। आज 16 वर्ष से अधिक समय हो गया लेकिन तेजस टूडे आज किसी भी बड़े अखबार से कम नहीं है। आज न सिर्फ जौनपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रांतों में भी तेजस टूडे के प्रतिनिधि काम कर रहे हैं। 8 बाई 8 के कमरे से निकलकर उन्होंने अपना खुद का दो-दो आलिशान मकान बनवाया और वहां पर ही अपनी भव्य कार्यालय स्थापित किया।

संकट का डटकर किया सामना

तेजस टूडे परिवार के मुखिया पर सबसे बड़ा संकट तब आया जब उनकी अर्धांगिनी श्रीमती विदिशा जायसवाल बीमार पड़ गई। इसके लिए उन्होंने खुद को संभाला और अपने परिवार को संभाला। यह संकट तब आया जब देश महामारी की चपेट में था। ऐसे समय में कोई एक दूसरे का साथ चाहकर भी नहीं दे पा रहा था। इसके बाद भी उन्होंने अकेले ही इस संघर्ष से लड़ा और मौत के मुंह से खींचकर अपनी धर्मपत्नी को वापस लाया। आज उनकी धर्मपत्नी भी इस बात को बहुत अच्छे से समझ रही हैं। जिस तरह से भगवान राम ने अपनी पत्नी के लिए संघर्ष किया था उसी तरह रामजी जायसवाल ने भी संघर्ष किया। रामजी जायसवाल के जीवन के संघर्षों के बारे में कितना भी लिखा जाए शब्द कम पड़ जाएंगे।

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