Jaunpur News: इमरान प्रधान मरहूम की याद में अदबी नशिस्त का आयोजन | Naya Sabera Network

नया सवेरा नेटवर्क

जौनपुर। शाहगंज कोतवाली क्षेत्र के ग्राम सबरहद, इमरानगंज बाजार स्थित ईडेन पब्लिक स्कूल कैंपस में मरहूम इमरान अहमद प्रधान की याद में एक अदबी नशिस्त का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नज्मुस साकिब सबरहदी ने की और संचालन मजहर आसिफ ने किया। प्रोग्राम से पहले  ईडेन पब्लिक स्कूल और नूरजहां गर्ल्स कॉलेज के मैनेजर परवेज आलम भुट्टो व उनकी टीम ने मेहमानों और शायरों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। इसके अलावा सैकड़ों मुस्लिम लावारिस शवों का दफन करने वाले पत्रकार रियाजुल हक खान को शॉल पहनाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।

Jaunpur News Literary gathering organized in memory of late Imran Pradhan  Naya Sabera Network

परवेज आलम भुट्टो ने मरहूम इमरान प्रधान को याद करते हुए कहा कि वे बेहतरीन इंसान थे। जब तक ज़िंदा रहे, हर तरीके से उन्होंने मेरी रहनुमाई की और अपने सुझावों से मेरा हौसला बढ़ाते रहे। लगभग 40 साल पहले उन्होंने लोगों को रोज़गार देने के उद्देश्य से इमरानगंज बाजार की स्थापना का फैसला लिया, जिसके लिए उन्हें कई तरह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। छोटे व्यापारियों को हर संभव सहायता देकर उन्हों ने रोज़गार से जोड़ा। उन्होंने गांव-गांव डुग डुगी पिटवा कर बाजार की स्थापना की घोषणा करवाई। सब्ज़ी विक्रेता, मछली विक्रेता, मांस विक्रेता आदि की हर संभव हौसलाअफज़ाई की, जिसके परिणामस्वरूप आज इमरानगंज बाजार  मे सभी सुविधायें पाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि आज मुझे एक ऐसी शख्सियत को सम्मान देने का अवसर मिला है जिन्होंने अब तक सैकड़ों मुस्लिम लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है, जो अपने आप में एक बड़ा कार्य है। समाज में लोग अलग-अलग तरह से सेवा कार्य कर रहे हैं, हमें ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि और लोग भी समाज सेवा में आगे बढ़ें। रियाजुल हक जैसे लोग खामोशी से अपना काम कर रहे हैं और ऐसे लोगों को मंच देकर सम्मानित किया जाना चाहिए।

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कार्यक्रम की शुरुआत मोनिस जौनपुरी द्वारा नात-ए-पाक से की गई। कुछ चुने हुए अशआर पाठकों की नजर है मोनिस जौनपुरी: बेमिसाल ज़माने में सरकार की बस्ती है, दिन-रात जहाँ रहमत मौला की बरसती है।  अकरम जौनपुरी: बन के सूरज भी हमने देख लिया, शाम होने पर ढलना पड़ता है। डॉ. सरफ़राज़ नवाज़: तुम्हारी कामयाबी के ये मंज़र, हमारी राइगानी से बने हैं। मिस्दाक आज़मी: क्या है उसने तयममुम नदी के साहिल पर, समझ में हुज्जत-ए-तरक-ए-वुज़ू नहीं आती। डॉ. नय्यर आज़मी: ज़माना हो गया फूलों को गिरते देखे हुए, लबों को उसने हिलाया नहीं बहुत दिन से। मैकेश आज़मी: एक पागल ये कहता फिरता है, मुझको पागल समझ रहे हो क्या आरिफ़ रईस: तेरी यादों का सिलसिला था रात भर, आता जाता रहा काफ़िला रात भर। इसके अलावा मुस्तईन जौनपुरी, मुशीर आज़म सबरहदी सहित अन्य शायरों ने भी अपने कलाम से लोगों को आनंदित किया।

इस अवसर पर तनवीर हसन, फैसल हसन तबरेज़, हाफ़िज़ असजद, प्रिंसिपल नजरुल इस्लाम, डॉ. इमरान अहमद, ग़यास अहमद, तमहीद मुमताज़ आज़मी, मास्टर खुर्शीद, इफ़्तिख़ार अहमद अरंद  फारिस खान, उसामा सबरहदी, हाफ़िज़ हुज़ैफ़ा नदवी आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।


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