मूल बोली अवधी को नई पहचान दिलाने में जुटे: ज्योतिषाचार्य पंडित शास्त्री | Naya Sabera Network

Astrologer Pandit Shastri is busy in giving a new identity to the native dialect Awadhi Naya Sabera Network

नया सवेरा नेटवर्क

मुंबई। भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था गुरुकुल को अंग्रेजों ने सबसे पहले समाप्त किया, अंग्रेजी भाषा को थोप दिया। इससे हमारी मूल भाषा, बोली का प्रभाव कम होता गया। यह कहना है ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री का। वह मूल बोली अवधी को नई पहचान दिलाने और उसके प्रचार प्रसार के लिए मेहनत कर रहे हैं। वह जनमानस को जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर भाषा बोली की अपनी पहचान एवं अस्मिता होती है। 

उनका संरक्षण किया जाना चाहिए। हिंदी को समाज एवं साहित्य में उत्कृष्ट स्थान दिलाने के लिए क्षेत्रीय बोलियों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए अवधी बोली को बढ़ावा देकर, हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर सकते हैं। मूल बोलियों के महत्व को बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने भी  पहल की है। इसी का नतीजा है कि इस विधानसभा में विधायकों ने अपनी स्थानीय बोली में समस्या उठाई।  कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है  यह सभी भाषाओं और बोलियों को एक दूसरे से जोड़ती है। 

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अवधी भाषा भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अवधी बोली में साहित्य और कला के कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं, रामचरितमानस आज पूरे विश्व में पढ़ा जा रहा है और ऐसा ही सभी विधा को जन जन तक पहुंचाना जरूरी है। अवधी बोली के प्रचार प्रसार के लिये प्रसिद्ध कथाकार कौशलेंद्र महाराज के सानिध्य में अवध प्रान्त के साहित्य, मीडिया, कवि, खेल, यूट्यूबर सहित हर क्षेत्र की हस्तियों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। 

इसी कड़ी में ममता संदीपन मिश्रा से पवन गोस्वामी सविता पेंटर लक्ष्मी वर्मा एस डी मिश्र, अनमोल पाण्डेय, पीयूष पाण्डेय, गुड़िया यादव, सुनीता सिंह, नीलम ओझा ऊषा शुक्ला,सीमा साहू, ज्योति शुक्ला श्रद्धा पाण्डेय आस्था मिश्रा अविनाश सिंह शैलेन्द्र सिंह बब्बू टाइगर समेत तमाम लोगों से अतुल शास्त्री ने मुलाकात की, और लोगों को जोड़ने का क्रम जारी है। इसके साथ ही श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान अवधी बोली के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण  योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित भी किया जा रहा है।


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