नया सवेरा नेटवर्क
वैसे तो सनातन और सनातनी पूरे विश्व में थे|मगर धीरे धीरे ये कुछ अपनी उदारता,शांतिप्रियता और कठोर नियमों के चलते सिकुड़ते गये|सिकुड़ते सिकुड़ते कुछ भारत भूमि पर रह गये हैं|और कुछ नेपाल में बचे हैं|कालान्तर में जब पूरे विश्व में आर्य संस्कृति चलती थी,तब अपराधी को कोई बचाता नहीं था|अपराधी को सभ्य समाज स्वीकार नहीं करता था,न ही आज की तरह उसका महिमा मंडन कर नीति निर्धारण के लिए राजसभा में मंत्री आदि पदों से पुरस्कृत व सुशोभित किया जाता था|जो भी अपराध करता था उसे उसके अपराध के हिसाब से दंडित किया जाता था|उसमें छोटे अपराध जैसे चोरी डकैती पर स्त्री गमन आदि की सजा, समाज से बाहर निकाला होता था|जैसे आज भी जिला बदर आदि की व्यवस्था है|मगर तब जिसे समाज से बाहर कर दिया जाता था|फिर उसे कोई भी समाज स्वीकार नहीं करता था|जिस कारण से वे लोग जंगल की तरफ गये|जीविकोपार्जन के लिए चोरी डकैती छिनैती आदि करने लगे|और भक्षा भक्ष खाने के कारण उनकी मांसिकता और आक्रामक होती गई|क्योंकि जंगली जीवों को मारते मारते उनके अंदर आसुरी शक्तियाँ आ गई और वही लोग असुर म्लेच्छ व दस्यु कहे गये|आगे चलकर वही लोग अपनी अलग दुनियाँ का निर्माण कर अलग पंथ बनाये|अपने हिसाब से सब नियम बनाये|जो भी नियम उन लोगों ने बनाया सब सनातन के विपरीत बनाया|और निकल पड़े अपने विस्तार पर|
यहाँ सनातनी शांति प्रिय उदार जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चल रहे थे|अहिंसा परमो धर्मः मानते थे|मारकाट लूटमार से बहुत दूर रहते थे|उधर वो लोग लूट मारकाट अपहरण हत्या बलात्कार आदि में लिप्त छापामार रणनीति के तहत बदले की भावना से ग्रसित धीरे धीरे गाँव के गाँव अपने तलवार के दम पर अपने अधीन करते गये|और धीरे धीरे एक देश से दूसरे देश पर कब्जा करते हुए अपनी पूजा पद्धति सनातनियों के विपरीत बनाए और अपने मुखिया को पहले खलीफा फिर खुदा या यूँ कहें कि ईश्वर घोषित कर लिए|उसी में से जो दूसरा तबका मारकाट से दूर रहता था,वुद्धि तीब्र थी वो उनसे अलग होके अपनी अलग राह पकड़ी और उसने भी अपना एक अलग ईश्वर बना कर कुछ भू भाग पर अपना वर्चश्व कायम कर लिया|इस तरह से धीरे धीरे विश्व में प्रथम तीन पंथ से तीन धर्म बने जिसको लोग हिन्दू मुस्लिम यहूदी कहे|कुछ अर्से बाद यहूदियों से छटकर एक और पंथ बना वही ईसाई धर्म से जाना जाता है|सनातनियों पर चारो तरफ से हमले होने लगे|सनातनी भागते भागते सिन्धु नदी के तट पर आ गये|और भारत भूमि को अपना निवास बनाये|यहाँ भी उन पर हमले होते रहे|मगर मजबूरी ये रही कि अब ये जायें कहाँ|इनका कोई मजबूत संगठन नहीं था|और न ही आक्रामकता थी| ए छोटे छोटे राज्यों में विभक्त होने के कारण सिमटते जा रहे थे|हालत ए हो गई कि मुस्लिमों ने इनके धर्म बदलावाये और अधिकाधिक लोगों का खतना करवा के मुसलमान बनाये|जो नहीं बना उनके ऊपर अत्याचार किए|उनकी बहन बेटियों का अपहरण कर उनसे अपनी जिस्मानी भूख मिटाये|उनके ऊपर जजिया कर लगाये|इसके बावजूद भी कुछ सनातनी अपने धर्म पर डटे रहे|हर बलिदान दिये|यहाँ तक कि उनका मल मूत्र तक साफ किए|मगर धर्म पर डटे रहे|सनातन से डिगे नहीं|अपने ही बनाये देश में दोयम दर्जे के नागरिक बने रहे|म्लेच्छों ने सनातन को तोड़ने व खत्म करने की एक नीति और बनाई ऊँच नीच छुवा छूत का विस्तार कर दिया|जिससे सनातन और कमजोर हो गया|जबकी सनातन में ऊँच नीच व छुवा छूत जैसी कोई व्यवस्था थी ही नहीं|म्लेच्छों के चलते ही यह व्यवस्था सनातन संस्कृति में आई|जिसका फायदा कालांतर में ईसाइयों ने भारत में आकर उठाया|और कई वर्षों तक हम सनातनियों को अपना गुलाम बनाये रखा|ए तो भला हो उन वीर सपूतों का जो राजघराने के न होकर क्रांति का विगुल बजा ईसाइयों को भारत भूमि से भगाया|इसके बावजूद ईसाई इतने शातिर थे कि पुन: वापसी की तमन्ना लिए भारत का बॕटवार करके भारत को दो भागों में विभाजित कर गये|बॕटवारा भी ऐसा किए कि जो भारत के लिए आज भी दुखदाई है|आजादी के बाद से आज तक भारत उस दंस से उबर नहीं पा रहा|भारत से अलग हुआ हिस्सा जो मुस्लिम देश बना पाकिस्तान|वह आज भी अपनी उसी विस्तारवादी नीति पर चल रहा है|और सनातनियों का धर्म परिवर्तन कराने के लिए आतंक का सहारा लिए हुए है|और आतंक के दम पर पाकिस्तान में सनातनियों को लगभग शून्य कर चुका है|
अंग्रेजों और मुस्लिमो से सनातनियों की रक्षा के लिए परम पूज्य गुरु नानक देव जी ने एक संगठन बनाया|जिसका नाम दिया सिख|उसमें जाँबाज लड़ाके शामिल हुए जो देश व सनातन के लिए बहुत बलिदान दिए|वो संगठन आज सिक्ख धर्म से जाना जा रहा है|वह भी अपनी एक अलग दिशा बना ली|वह भी आज सनातन के विरुद्ध खड़ा हो गया|आजादी के बाद कुछ कुचालियों के हाँथ सत्ता जाने के कारण भारत में कई पंथ जो थे वो धर्म बन गये|जिससे हिन्दू दोयम दर्जे का नागरिक बनते गया| आजादी के बाद हम सनातनियों ने सोंचा कि अब हमारा वैभव लौट आयेगा|मगर वहाँ भी हम सनातनियों के साथ छल हुआ|आरक्षण के बहाने हम सनातनियों की एकता बनने ही नहीं दी गई|हम सनातनी उसी में उलझकर रह गये|उधर जिसके हाँथ में सत्ता थी वह धीरे धीरे अपनी नीतियों से गजवा ए हिन्द की तरफ अग्रसर था|इसलिए ऐसे ऐसे नियम बनाए|जिससे हम सनातनी अपने ही देश में आज तक दोयम दर्जे के नागरिक गये हैं|आजादी के सारे फायदे उनको दिए जिन्होंने देश के दो टुकड़े करवा दिए|हमारे मंदिरों से मुगलों की ही तरह कर लिया जाता है|और मस्जिदों को अनुदान दिया जाता है|उनके लिए उनका निजी कानून व वक्फ बोर्ड बनाकर धीरे धीरे देश कब्जियाने की नीति बनाई|
जब मुसलमानों ने अपने धर्म के अनुसार भारत का एक नहीं दो भू भाग ले लिए|इसके बावजूद भी ये लोग भारत में प्रथम दर्जे के नागरिक आज तक बने हुए हैं|भारत की सभी राजनीतिक पार्टियाँ इनके ही उत्थान में दिन रात एक किए हुई हैं|कांग्रेस ने तो कह ही दिया है कि भारत के सभी संसाधनों पर प्रथम अधिकार मुसलमानों का है|यह बात यह साबित करने के लिए काफी है कि भारत में सनातनी आजाद नहीं हुए थे|हुए थे तो मुसलमान|जो कि रह रहके दृष्टिगोचर होता है|हम सनातनियों के साथ बहुत बड़ा छल किया है कांग्रेसियों ने|अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया सनातनियों ने|इसके बावजूद भी सनातनी आज भी यहाँ दोयम दर्जे का नागरिक क्यों लगता है|मैं ये नहीं कहता कि आजादी की लड़ाई में मुसलमानों का कोई योगदान नहीं था|था,तो, लिए भी उससे अधिक हैं|जबकि उनका था नहीं|फिर सनातनियों ने शांति के लिए भारत के तीन टुकड़े स्वीकार किए|इसके बावजूद भी सनातनी अपने ही देश में दोयम दर्जे के नागरिक बने हुए हैं|इसमें दो राय नहीं है|आजादी के बाद जो हमारे भारत में नियम बना,वह मुसमान को प्रथम रखा|उनकी सुख सुविधा का विशेष ध्यान रखा|उनको निजी कानून दिया|दस शादी और 100 बच्चे पैदा करने की छूट दी|वक्फ बोर्ड के जरिए भारत की जमीन कब्जियाने की छूट दी|सनातनियों को छोड़कर सभी पंथीय धर्मों को धार्मिक शिक्षा की छूट दी|वहीं सनातनियों को कहीं भी किसी भी प्रकार की छूट नहीं है|उल्टे आरक्षण के बहाने उनको भरपूर कमजोर किये जाने का प्रावधान विशेष रूप से किया गया है|जिससे सनातनी संगठित न हो सकें|एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे|इसलिए आरक्षण की तलवार से सनातनियों को काट दिए और काट रहे हैं|कुछ दिनों से सनातनद्रोही एक फंडा चलाये हुए हैं कि सफाई कर्मी दलित ही क्यों?मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि आप सभी सफाई के काम में लग जाओ|दलित को सफाई करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी|अपनी अपनी बिरादरी से अपने अपने मल मूत्र आदि साफ करवाइए तब हम समझेंगे कि आप लोग दलित के बड़े हिमायती हैं|खुद का घर और मलमूत्र की सफाई खुद करिये दलित ही क्यों,किसी भी बिरादरी को सफाई कर्मी बनने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी|यह सब जो नैरेटिव या यूँ कहें कि रायता फैलाया जा रहा है सब सनातनियों को तोड़ने के लिए और गजवाए हिंद को स्थापित करने के लिए किया जा रहा है|ये लोग इतने ही दलित हितैषी हैं तो 2014 के पहले काश्मीर के दलितों को काश्मीर की नागरिकता क्यों नहीं दिलवाये|क्यों वहाँ के मुसलमान शासकों से नहीं कहे कि दलित मल मूत्र नहीं साफ करेगा|मुसलमान करेगा|आज टीवी पर बैठकर बड़ी बड़ी दलित हित की बात कर रहे हैं|अपने शासन काल में क्यों नहीं किए|आज सनातनियों की एकता को तोड़ने के लिए गजब गजब के नैरेटिव सेट कर रहे हैं|यदि दलित की सफाई करना बुरा लगता है तो नेताजी पहले आप शुरुआत करो और उठाओ झाड़ू और पहले खुद जाकर दलित के घर का मल मूत्र साफ करो|तब ज्ञान बाॕटो|क्योंकि आप मुखिया हो|किसी भी काम को पहले मुखिया करता है|उसके पीछे उनके अनुगामी|ए सभी दलित हितैषी सियार जो हैं सनातनी शेर को देखकर भयभीत हैं|सनातनी अपने देश के प्रथम नागरिक न बन सकें|इसलिए तरह तरह के नैरेटिव फैला रहे हैं|
हम सनातनी दोयम दर्जे के नागरिक क्यों हैं|इसे इस तरह से समझें|हममें ऊँच नीच का आरक्षण के जरिए बीजारोपण कर पहले तो अलग किए|बताये ये कि इससे समानता आयेगी|जबकी आज तक बिखराव के अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ|दलित सवर्ण करके लड़ाये|सवर्णों को दलितों द्वारा पिटवाने का पूरा प्रबंध किए|सवर्णों के अन्दर दलितों के प्रति और दलितों के अंदर सवर्णों के प्रति खूब जहर बो दिये|सवर्ण को बिना गुनाह के सजा दिलवाने का प्रबंध कर दलित सवर्ण की खाईं को खूब चौड़ी कर दिए|ऐसा नहीं है कि और पंथों में ऊँच नीच दलित सवर्ण का भेद भाव नहीं है|वहाँ भी है|लेकिन प्रचारित केवल सनातन में ही किया गया|सनातन को कमजोर कर गजवा ए हिन्द को स्थापित करने के लिए|वहीं यदि मुसलमान किसी दलित के साथ कुछ भी दुर्व्यवहार करें,उन पर दलित ऐक्ट नहीं लगता|क्योंकि उनके लिए यहाँ अलग से नियम काम करते हैं|यह घृणित चाल बड़ी चालाकी से हम सनातनियों को मूर्ख बनाकर कांग्रेसियों ने हम सनातनियों को एक अलग तरह से गुलाम बनाकर सत्ता पर काबिज रहे|इसीलिए यह सवाल करना पड़ रहा है कि क्या सनातनी भारत में दोयम दर्जे का नागरिक है|मेरी नजर में तो है|
पं.जमदग्निपुरी