Poetry: पूरी जब तक तेरी तलाश न हो | Naya Savera Network
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पूरी जब तक तेरी तलाश न हो
पूरी जब तक तेरी तलाश न हो।।
मन के पंक्षी चहंक उदास न हो।।
आस ज़िन्दा रहे कयामत तक-
बेवजह बेसबब निराश न हो।।
गगन सा मन को तुम अपने अगर विस्तार दे देते।।
तुम्हें अपना कहूँ इतना मुझे अधिकार दे देते।।
गीले शिकवे भुला कर, दिल मिला कर एक हो जायें-
मुझे खोया हुआ अपना पुराना प्यार दे देते।।
सनातन धर्म पूंजी है हमारे पास साक्षी है।।
भरा है आत्मबल साहस अमित उल्लास साक्षी है।।
ये भारत वर्ष है प्यारे,अवध को वध नहीं सकते-
अमिट है मिट नहीं सकता कभी इतिहास साक्षी है।।
सादर
गिरीश,जौनपुर।