Poetry: : योगी से इस्तीफा मांगने वाले धूर्त को समर्पित | Naya Savera Network




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योगी से इस्तीफा मांगने वाले धूर्त को समर्पित 


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ढोंगी,खल, नादान, तुम्हारी ऐसी-तैसी,
सनातनी अपमान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

तुमको सुनकर खुद शंकर जी विचलित हैं,
फ्रॉड,अघी, बेइमान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

करपात्री की भूमि कलंकित किया कुटिल,
आदर के अवसान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

धूर्त,धतूरे, धोखेबाज,धरम के रिपु,
तट से कर प्रस्थान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

कायर,कामी,क्रूर,कुलच्छन,कुलद्रोही,
कौरव की संतान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

योगी का इस्तीफा मांग रहा है तू,
बनकर सकल सुजान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

बना शंकराचार्य 'स्वयंभू',छल-दंभी,
कर तू मुक्त जहान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

चौराहे पर लतियाया जो काशी में,
अब उसका गुणगान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

इस्तीफे की खातिर काहें भौंक रहा?
हे टीपू के श्वान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

ना तू उमा, न शंकर-सा व्यक्तित्व तेरा,
ले ले थोड़ा ज्ञान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

हे पांड़े कुल के कलंक, कलुषित कौवे,
बेल्हा के अपमान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

कांग्रेस के बोल, सपाई की भाषा,
म्लेच्छों के वरदान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

महाकुंभ यूपी-भारत का गौरव है,
महिमा तो पहचान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

अंबानी सुत की शादी में शामिल हो,
बता दिया पहचान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

बाला साहेब सुत के घर हाजिरी लगा,
ढूंढ़ रहा भगवान? तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

है विरक्त तो राजनीति में अंगुली क्यों?
कर प्रभु का गुणगान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

कभी ठाकरे,टीपू, कभी अंबानी का,
करता गौरव गान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

गुरु का सर्टिफिकेट चुराकर पदलोलुप,
बनने चला महान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

महाकुंभ में कोटि-कोटि श्रद्धालु रुके,
ढूंढ़ रहे उन्वान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

जग में सत्य सनातन जिसने लहराया,
दो उनको सम्मान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

खुद दिन-रात बिताया तट पर जाग-जाग,
उसका यूं अपमान? तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

धर्मवीर है, कर्मवीर 'वह' यूपी का,
तिस पर कुटिल बयान! तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

होता है तू कौन सजा देने वाला?
बनकर खुद भगवान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

फ्रॉड शंकराचार्य, विपक्षी तोता तू,
बोला हिंदुस्तान, तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

गुरु का पुण्य लिए सिर पर मंडराता है,
तेरी क्या पहचान? तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

जिस दिन योगी बाबा जी की सटक गई!
होगा सकल निदान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

कवि सुरेश से पंगा ही मत लेना तू,
हे चीनी सामान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

तुझको टीपू-पप्पू लोग सुहाते हैं,
कर उनका 'लघु' पान! तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

'वेट' कर रहा है बेल्हा, दिखला जा मुंह,
करना है सम्मान! तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

बुलडोजर वाले बाबा हैं बिजी अभी,
मानो प्रभु एहसान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

महाकुंभ के बाद सिखाएंगे तुमको,
इस्तीफे का ज्ञान,तुम्हारी ऐसी-तैसी ।

 सुरेश मिश्र 
9869141831


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