Jaunpur News : लक्ष्मण जैसी सेवा एवं हनुमान जी जैसी भक्ति अतुलनीय: नीरजानन्द शास्त्री | Naya Savera Network
हनुमान मंदिर पर पांच दिवसीय कथा का हुआ समापन
पंकज बिन्द
महराजगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के सवंसा हनुमान मंदिर में श्रीराम कथा का समापन राजतिलक के साथ बड़े ही धूमधाम से हुआ। कथा के अंतिम दिन काशी की धरती से पधारे कथा व्यास स्वामी नीरजानन्द शास्त्री ने कहा कि
लक्ष्मण जैसी सेवा और हनुमान जी जैसी भक्ति अतुलनीय है। यही सभी को अपने चरित्र में उतारना चाहिए। मन और मन को बस में करने वाला मनुष्य महामानव कहा जाता है। मन के वश में रहने वाला मनुष्य आध्यात्मिक मार्ग से भटक जाता है। मन के जीते जीत है। मन के हारे हार। ऐसे में हमें चतुराई से मन को बस में करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि भगवान या भगवान के संत के सहारे अपने बुरे संकल्पों विकल्पों को मिटाकर हम अपने मन को ईश्वर की आराधना में लगाते हैं जिन्होंने मन को वश में किया वह महामानव कहलाया है। ऐसे में हनुमान जैसी भक्ति और लक्ष्मण जैसी सेवा का अनुपम उदाहरण है। हनुमान जी एक जागृत देव है। उनके जैसा भक्त इस धरती पर आज तक कोई दूसरा नहीं हुआ है। इसी प्रकार अपने मन को संपूर्ण रुप से वश में करके लक्ष्मण जी ने भगवान राम और माता सीता की 14 साल तक नींद से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य जीवन के साथ भगवान राम की सेवा किया था। वह अनुपम है। हम सभी को अपने मन को वश में करते हुए स्वास्थ्य एवं सुख—दुख की कल्पना से परे होकर स्वयं को समाज के कल्याण और ईश्वर की आराधना में लगाना है।तभी हम महामानव कहे जाएंगे। कथा समापन पर व्यास ने भरत चरित्र अयोध्या कांड का मार्मिक वर्णन किया। साथ ही राजतिलक के साथ कथा का विश्राम हुआ।
इस दौरान आयोजक भाजपा युवा नेता यादवेंद्र प्रताप लवकुश सिंह ने सभी का आभार प्रकट किया। साथ ही पुजारी श्याम शंकर उपाध्याय सूरज सिंह ने प्रसाद वितरित किया। इस अवसर पर पर थानाध्यक्ष महराजगंज ओम प्रकाश पाण्डेय, राम प्रताप सिंह, सुनील गुप्ता, हेमंत गुप्ता, संजय तिवारी, अधीक्षक डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सूरज सिंह, मंडल अध्यक्ष सिद्धार्थ सिंह, अतुल तिवारी, चंद्रभूषण सिंह, ओमकार सिंह, लालजी उपाध्याय सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
पंकज बिन्द
महराजगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के सवंसा हनुमान मंदिर में श्रीराम कथा का समापन राजतिलक के साथ बड़े ही धूमधाम से हुआ। कथा के अंतिम दिन काशी की धरती से पधारे कथा व्यास स्वामी नीरजानन्द शास्त्री ने कहा कि
लक्ष्मण जैसी सेवा और हनुमान जी जैसी भक्ति अतुलनीय है। यही सभी को अपने चरित्र में उतारना चाहिए। मन और मन को बस में करने वाला मनुष्य महामानव कहा जाता है। मन के वश में रहने वाला मनुष्य आध्यात्मिक मार्ग से भटक जाता है। मन के जीते जीत है। मन के हारे हार। ऐसे में हमें चतुराई से मन को बस में करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि भगवान या भगवान के संत के सहारे अपने बुरे संकल्पों विकल्पों को मिटाकर हम अपने मन को ईश्वर की आराधना में लगाते हैं जिन्होंने मन को वश में किया वह महामानव कहलाया है। ऐसे में हनुमान जैसी भक्ति और लक्ष्मण जैसी सेवा का अनुपम उदाहरण है। हनुमान जी एक जागृत देव है। उनके जैसा भक्त इस धरती पर आज तक कोई दूसरा नहीं हुआ है। इसी प्रकार अपने मन को संपूर्ण रुप से वश में करके लक्ष्मण जी ने भगवान राम और माता सीता की 14 साल तक नींद से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य जीवन के साथ भगवान राम की सेवा किया था। वह अनुपम है। हम सभी को अपने मन को वश में करते हुए स्वास्थ्य एवं सुख—दुख की कल्पना से परे होकर स्वयं को समाज के कल्याण और ईश्वर की आराधना में लगाना है।तभी हम महामानव कहे जाएंगे। कथा समापन पर व्यास ने भरत चरित्र अयोध्या कांड का मार्मिक वर्णन किया। साथ ही राजतिलक के साथ कथा का विश्राम हुआ।
इस दौरान आयोजक भाजपा युवा नेता यादवेंद्र प्रताप लवकुश सिंह ने सभी का आभार प्रकट किया। साथ ही पुजारी श्याम शंकर उपाध्याय सूरज सिंह ने प्रसाद वितरित किया। इस अवसर पर पर थानाध्यक्ष महराजगंज ओम प्रकाश पाण्डेय, राम प्रताप सिंह, सुनील गुप्ता, हेमंत गुप्ता, संजय तिवारी, अधीक्षक डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सूरज सिंह, मंडल अध्यक्ष सिद्धार्थ सिंह, अतुल तिवारी, चंद्रभूषण सिंह, ओमकार सिंह, लालजी उपाध्याय सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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