Article : भ्रष्टाचार की जड़-कर्मचारी,मंत्री द्वारा थर्ड पार्टी से की गई मिलीभगत व सांठगांठ, शासन से की गई गद्दारी धोखाधड़ी है | Naya Savera Network



  • आओ मिलीभगत छोड़ सत्य निष्ठा ईमानदारी से अपने पद की जवाबदेही निभाने की शपथ लें 
  • शासकीय कर्मचारी,मंत्री का पद और कुर्सी उसकी रोजी-रोटी का साधन है, मिलीभगत सांठगांठ कर पाए भ्रष्टाचार का फ़ल उन्हें जरूर मिलेगा-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भ्रष्टाचार शब्द सदियों से चला आ रहा है।भारत में तो यह सैकड़ों साल पूर्व अंग्रेजों के ज़माने से ही चला रहा है,परंतु अब इस शब्द के साथ एक नई थीम मिलीभगत व साठगांठ  जुड़ गई है जो हमें अब कई बार सुनाई देता है कि सब मिलीभगत है और कुछ नहीं। कई न्यायालयों से भी कमेंट आता है कि आप उसकी मदद ही नहीं कर रहे हैं, आपकी उसके साथ मिलीभगत है। अनेक बार अनेक राज्यों में कई पुल गिर जाते हैं या भयानक हादसों में भी टीवी चैनलों पर जो बयान आते हैं उसमें अनेक खामियों को देखते हुए वहां भी मिलीभगत शब्द का प्रयोग किया जा रहा है दिनांक 25 जनवरी 2025 को मिली भगत के चलते ही श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे योशिता राजपक्षे को शनिवार को पुलिस ने संपत्ति खरीद मामले में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से भ्रष्टाचार में मिलीभगत और उसे तोड़ने के लिए हम चर्चा करेंगे भ्रष्टाचार की जड़-कर्मचारी मंत्री द्वारा थर्ड पार्टी से की गई मिलीभगत व सांठगांठ, शासन से की गई गद्दारी धोखाधड़ी है।
साथियों बात अगर हम प्रैक्टिकली अनेक शासकीय विभागों में उनके कार्यालयों में देखें तो हमें बाबू से लेकर बड़े अधिकारियों द्वारा चकरें खिलाए जाते हैं कुछ अपवाद छोड़ दें तो यह स्थिति करीब-करीब हर कार्यालय में देखने को मिलती है, इसलिए हमारे दिमाग में बात आती है सब मिलीभगत है, क्योंकि हम अगर वही काम किसी बिचौलिए या दलाल के थ्रू करने जाते हैं तो नीचे से ऊपर तक का काम हाथों-हाथ हो जाता है इसीलिए हम फिर सोचते हैं कि यह मिलीभगत नहीं तो फिर क्या है? खास करके  शासकीय कार्यालयों का मुझे निजी अनुभव है कि कैसे मिलीभगत काम होता है।
साथियों बात अगर हम हर पद पर बैठे बाबू से लेकर उच्च अधिकारी की करें तो उन्हें हर वर्क को केंद्रीय सतर्कता आयोग के माध्यम से हर कार्यालय द्वारा जागरूकता सप्ताह बनाकर सत्य निष्ठा और ईमानदारी की शपथ दिलाई जाती है और करीब -करीब हर कार्यालय अपने कर्मचारियों अधिकारियों को शपथ दिलाता है अगर वास्तव में इन कर्मचारियों द्वारा शपथ का पालन किया जाता है तो मिली भगत का नाम ही नहीं आएगा क्योंकि जब भ्रष्टाचारी नहीं होगा तो मिलीभगत यानें नीचे से ऊपर तक की चेन ही टूट जाएगी इसके लिए हर स्तर के अधिकारी बाबू चपरासी से लेकर मंत्री तक को यह शपथ लेनी होगी और सभी शासकीय कार्यों को सभी पहलुओं में सत्य निष्ठा पारदर्शिता और सुशासन के उच्चतममानकों को बनाए रखने के लिए सटीक नेतृत्व हर कार्यालय के प्रमुख को करना होगा। 
साथियों बात अगर हम मिलीभगत की करें तो यह अधिकतम शासकीय मामलों भ्रष्टाचार और राजनीतिक क्षेत्रों में अधिक सुनने को मिलता है मेरा मानना है कि पद आसीन बाबू से लेकर अधिकारी को अपना माइंडसेट इस सत्य निष्ठा से करना होगा कि यह पद रूपी अन्नदाता हमारी रोजी-रोटी प्रदान करता है इसके साथ गद्दारी मंजूर नहीं इसका संकल्प तो हम हर वर्ष जागरूकता सप्ताह मनाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी परंतु जरूरत है इसे निष्पादन करने की वैसे अंग्रेज़ी से अनुवाद किया गया कॉन्टेंट-मिलीभगत दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच एक कपटपूर्ण समझौता या गुप्त सहयोग है जो दूसरों को उनके कानूनी अधिकार को धोखा देकर, गुमराह करने या धोखा देकर खुली प्रतिस्पर्धा को सीमित करता है। मिलीभगत को हमेशा अवैध नहीं माना जाता है। क्योंकि तकनीकी रूप से, अगर हम विभिन्न आपराधिक विधियों की खोज करेंगे, तो हमें मिलीभगत शब्द नहीं मिलेगा लेकिन सांठ गांठ करना और कानून को तोड़ना भी संभव है।
साथियों बात अगर हम  मिलीभगत सांठगांठ से भ्रष्टाचार के कनेक्शन की करें तो, व्यावसायिक धोखाधड़ी एक कर्मचारी द्वारा अपने रोजगार के दौरान शासन के साथ की गई धोखाधड़ी है। वे अधिक आम हैं और तीसरे पक्ष द्वारा की गई धोखाधड़ी की तुलना में शासन को अधिक वित्तीय नुकसान पहुंचाते हैं।चूंकि कर्मचारी शासन में काम करना जारी रखेंगे, इसलिए वे आम तौर पर इन धोखाधड़ी को स्थायी रूप से छिपाने की कोशिश करेंगे, जिसका अर्थ है कि शासकीय धोखाधड़ी लंबे समय तक की जा सकती है। मिलीभगत और रिश्वतखोरी योजनाएं क्या हैं?, यह वह स्थिति है जब कोई कर्मचारी किसी अन्य पक्ष (चाहे वह शासन के बाहर से हो या अंदर से) के साथ मिलकर कर्मचारी के रूप में अपनी भूमिका का उपयोग करके व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करता है। मिलीभगत से धोखाधड़ी शासन की पुस्तकों से बाहर होती है। यानी, आमतौर पर शासन के रिकॉर्ड में किसी भी गतिविधि को छिपाने की आवश्यकता नहीं होती है।सबसे आम तौर पर ज्ञात मिलीभगत धोखाधड़ी रिश्वतखोरी है - किसी विशिष्ट कार्य को प्रभावित करने के लिए दी गई कोई चीज़ - चाहे किसी कार्य के किए जाने के बाद दी गई हो या भविष्य में कोई लाभ या जानकारी प्राप्त करने के लिए दी गई हो। मिलीभगत भी हितों के टकराव की धोखाधड़ी हो सकती है। हालाँकि इन धोखाधड़ी में ज़रूरी नहीं कि कोई अलग तीसरा पक्ष शामिल हो, लेकिन वे कर्मचारी को कर्मचारी के अलावा किसी अन्य भूमिका में शामिल करेंगे 
साथियों बात अगर हम मिलीभगत और सांठगांठ को प्रैक्टिकल वे में देखने की कोशिश करें तो, रिश्वतखोरी धोखाधड़ी (1) बोली या टेंडर में हेराफेरी (2) रिश्वत या गुप्त कमीशन, रिश्वत का इस्तेमाल भ्रष्ट कर्मचारी के हस्तक्षेप के माध्यम से दूसरों पर अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। रिश्वत किसी निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रभाव के बदले में किसी अन्य पक्ष द्वारा निर्णयकर्ता या निर्णय प्रभावित करने वाले को मूल्यवान वस्तु देना है। रिश्वत और निर्दोष वाणिज्यिक विपणन के बीच एक ग्रे क्षेत्र है। किसी के साथ व्यावसायिक संबंध बनाने या विपणन करने का प्रयास कहाँ रिश्वत बन जाता है? व्यावहारिक उत्तर यह है कि क्या शासन को व्यक्ति द्वारा प्रस्तावित लाभ प्राप्त करने के बारे में जानकारी है और क्या उसने इसके लिए स्वीकृति दी है। शासन की जानकारी और सहमति के बिना, संभावना है कि किसी कर्मचारी द्वारा लाभ प्राप्त करना रिश्वत के रूप में देखा जा सकता है। उत्तर का दूसरा भाग यह है कि क्या लाभ किसी विशिष्ट निर्णय को सीधे प्रभावित करने के लिए दिया जा रहा है या समग्र संबंध बनाए रखने के लिए। मिलीभगत सांठ गांठ से रिश्वतखोरी कैसे की जाती है। बेईमान कर्मचारी रिश्वत देने वाले से रिश्वत लेता है। आम तौर पर पैसे का इस्तेमाल किया जाता है,लेकिन मूल्यवान कोई भी चीज़ (उपहार, मनोरंजन, कर्मचारी या उनके रिश्तेदारों के लिए छुट्टियाँ, बिलों का भुगतान,यौन एहसान आदि) रिश्वत के रूप में दी जा सकती है। फिर रिश्वत लेने वाला रिश्वत देने वाले को फ़ायदा पहुँचाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। रिश्वतखोरी के तीन मुख्य प्रकार हैं: (ए) ओवर- बिलिंग योजनाएं- ओवर- बिलिंग योजनाएँ आमतौर पर खरीद अनुबंधों से संबंधित होती हैं। कर्मचारी को उस आपूर्तिकर्ता को दूसरों पर वरीयता देने के लिए रिश्वत दी जाती है। आपूर्ति की गई वस्तुएँ या सेवाएँ या तो उनकी कीमत से अधिक हो सकती हैं, या अपेक्षा से कम गुणवत्ता वाली हो सकती हैं। खरीद अनुबंध में अन्य छिपी हुई लागतें, शुल्क या उच्च मूल्य भिन्नताएँ भी हो सकती हैं। वास्तव में, व्यवसाय आपूर्ति के लिए बहुत अधिक भुगतान करता है, और यह अधिक मूल्य निर्धारण रिश्वत से कमाया गया लाभ है। (बी) कम कीमत वाली योजनाएं-अंडर-प्राइसिंग स्कीम ओवर- बिलिंग स्कीम के विपरीत हैं। इनमें आमतौर पर व्यवसाय द्वारा पार्टियों को सामान और सेवाएँ ऐसी कीमतों पर बेची जाती हैं जो सामान्य रूप से दी जाने वाली कीमतों से कम या कम अनुकूल शर्तों पर होती हैं। खरीदार को लाभ यह होता है कि उन्हें बेहतर सौदा मिलता है, जिसके वे अन्यथा हकदार होते। इस मामले में व्यवसाय को अपने उत्पाद या सेवा के लिए बहुत कम प्रतिफल मिलता है क्योंकि वे कम कीमत पर बेचे जाते हैं, और लागत बचत रिश्वत से होने वाला लाभ है।(ग) अनुबंध, पदोन्नति आदि प्रदान करना-इन योजनाओं में ऐसी शर्तों पर अनुबंध प्रदान करना शामिल है जो व्यवसाय के लिए सबसे अनुकूल नहीं हैं। वे अधिक लागत पर हो सकते हैं, कम गुणवत्ता वाली सामग्री शामिल कर सकते हैं और / या ऐसी शर्तें हो सकती हैं जो नियोक्ता के लिए सबसे अनुकूल नहीं हैं। इसमें व्यवसाय के भीतर कर्मचारियों को पदोन्नति देना भी शामिल है - जहां रिश्वत देने वाले को अन्य अधिक योग्य लोगों से ऊपर पदोन्नत किया जाता है - या अनुपयुक्त कर्मचारियों को काम पर रखा जाता है। सीखने योग्य सबक-(1) सभी नुकसान संसाधनों की चोरी से नहीं होते। भ्रष्ट कर्मचारी द्वारा किए गए कपटपूर्ण निर्णयों से भी शासन को नुकसान हो सकता है। (2) मिलीभगत से की गई धोखाधड़ी में रिकॉर्ड में दर्ज किए जाने वाले किसी भी लेनदेन को हटाया या छिपाया नहीं जाता। केवल अकाउंटिंग रिकॉर्ड की जांच करके इस तरह की धोखाधड़ी का पता लगाने की संभावना बहुत कम है। (3) मिलीभगत की योजनाएं शासन चक्र के किसी भी क्षेत्र पर हमला कर सकती हैं, जहां कोई कर्मचारी बाहरी पक्षों के साथ लेन-देन करता है, लेकिन इसमें केवल शासन के भीतर के कर्मचारी और आंतरिक लेनदेन ही शामिल हो सकते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भ्रष्टाचार की जड़-कर्मचारी,मंत्री द्वारा थर्ड पार्टी से की गई मिली भगत व सांठगांठ, शासन से की गई गद्दारी धोखाधड़ी हैआओ मिलीभगत छोड़ सत्य निष्ठा ईमानदारी से अपने पद की जवाबदेही निभाने की शपथ लें 
शासकीय कर्मचारी,मंत्री का पद और कुर्सी उसकी रोजी-रोटी का साधन है, मिलीभगत सांठगांठ कर पाए भ्रष्टाचार का फ़ल उन्हें जरूर मिलेगा

-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र


*Happy Republic Day 2025: हैदराबाद के वरिष्ठ पत्रकार अजय शुक्ला की तरफ से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं | #NayaSaveraNetwork*
Ad

*Happy Republic Day 2025: जनसेवक एवं भाजपा के लोकप्रिय युवा नेता पुष्पेंद्र सिंह की तरफ से नव वर्ष एवं मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएं | #NayaSaveraNetwork*
Ad

*Happy Republic Day 2025: उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल संघ मंडल वाराणसी के प्रांतीय सदस्य, मंडल अध्यक्ष डॉ. संतोष तिवारी की तरफ से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं | #NayaSaveraNetwork*
Ad



नया सबेरा का चैनल JOIN करें