Article : आज संविधान खतरे में और तानाशाही क्यों दिख रही है | Naya Savera Network
नया सवेरा नेटवर्क
आज कल संविधान की सुरक्षा की बात बहुत हो रही है|सभी विपक्षी पार्टियाँ आज संविधान को खतरे में बता रही हैं|इसमें कांग्रेस समेत वो पार्टियाँ भी शामिल हैं जो 1975 में या तो जेल में थी या भागी छिपती फिर रही थीं|और कुछ चाटुकार तबके के पत्रकार भी हैं जिनके कलम की निब तोड़ दी गई थी|आज वही सब मिलके संविधान को खतरे में बता रहे हैं|समझ में नहीं आ रहा कि संविधान को खतरा किस बात से है|
क्या बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के संविधान में निहित सी ए ए,एन आर सी,व यू सी सी लागू करने से है?या धुर्त कांग्रेसी नेहरू द्वारा निर्मित संविधान 370,35 ए के हटाने से है|या वक्फ बोर्ड पर्सनल ला जैसे कोढ़ को संविधान से मिटाने से है|जिसे धुर्त कांग्रेसियों ने संविधान में मनमानी तरीके से घुसेड़ दिया?और नाम बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी का देकर संविधान में निहित बातों का विरोध कर आम जन को मूर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा किया है|या 30,30 ए के हटने का डर सता रहा है जो हिन्दुओं को अपनी धार्मिक शिक्षा लेने देने से रोंकता है|और अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक शिक्षा लेने देने का अधिकार देता है?
मुझे तो हॕसी इस बात की आती है कि वे तमाम विपक्षी पार्टियाँ जो आज कांग्रेस के साथ मिलकर कहते नहीं थक रही हैं कि संविधान खतरे में है,जो 1975 में जब इंदिरा गाँधी जी ने आपातकाल लगाया था|सबके मौलिक अधिकार छीन लिए थे|तब इनको संविधान खतरे में नहीं दिखा|धारा 370,35 ए लगा तब नहीं दिखा,धारा 30,30 ए लगा तब नहीं दिखा,वक्फ बोर्ड पर्सनल ला बना तब नहीं दिखा,आरक्षण संविधान में निहित बातों से इतर बढ़ता ही जा रहा है|यह नहीं दिख रहा|2014 के पहले अनेकों बार 156 धारा का कांग्रेस सरकारों द्वारा दुरुपयोग किया गया तब नहीं दिखा|अनेकों बार कांग्रेस सरकारों ने चुनी हुई अपनी विपक्षी राज्य सरकारों को बरखास्त किया,तब नहीं दिखा|सभी संवैधानिक संस्थाओं को अपने हिसाब से चलाया,तब नहीं दिखा,आज जबकी सभी संवैधानिक संस्थायें स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं|किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हो रहा,असली नाम लेने से किसी पत्रकार को जेल में नहीं डाला जा रहा,सरकार का विरोध करने पर किसी का घर नहीं तोड़ा जा रहा है तो,आज के विपक्ष को संविधान खतरे में व तानाशाही दिख रही है|
मुझे याद है आर भारत के पत्रकार अर्नब गोस्वामी,जिसका अपराध सिर्फ इतना था कि तत्तकालीन यूपीए पर्सन का असली ननाम ले लिया|जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें महाराष्ट्र की तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार ने गैर संवैधानिक तरीके से जेल में डाल दी थी|इसे कहते हैं संविधान खतरे में है व तानाशाही|मुझे याद है सुशांत राजपूत की हत्या का विरोध करने पर अभिनेत्री कंगना रनौत का घर तत्कालीन महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार ने गैर संवैधानिक तरीके से तुड़वा दी थी,संविधान तब खतरे में था,और तब तानाशाही दिखी थी|संविधान तब खतरे में था जब 370,35 ए,30,30 ए,वक्फ बोर्ड,पर्सनल ला बोर्ड घुसेड़ा गया था|संविधान खतरे में तब था जब 1975 में आपातकाल लगा था|संविधान तब तब खतरे में था,जब जब 156 धारा के जरिये चुनी हुई सरकारें गिराई गई थीं|संविधान तब खतरे में था जब एक ही परिवार का मनमानी शासन चलता था,और सभी संवैधानिक संस्थान उसकी कठपुतली थे|संविधान आज सुरक्षित है|और संविधान में निहित बातें मूर्त रूप ले रही हैं|ऐसे धुर्त और मौकापरस्त लोगों से हर भारतीय को चौकन्ना रहना होगा|जो सत्ता पाने के लिए आतंकियों के पैर दबा रहे हों|और देशविरोधी ताकतों से हाँथ मिलाकर देश को अस्थिर कर गर्त में ले जाने के लिए दिन रात प्रयासरत हों|
पं.जमदग्निपुरी