#Poetry: दीवाली | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
"दीवाली"
आई-आई रे दीवाली, आई-आई रे,
गया चहुँ ओर घर-द्वार,जगमगाई रे।
हैपी दीवाली कह मिलते भाई-भाई रे,
सुख-समृद्धि का त्योहार गया ये आई रे।।
आई-आई रे दीवाली आई-आई रे।
घर-घर हर घर "ज्ञानदीप" दे जलवाई रे,
अन्धेरा इस धरा पर कहीं न रह जाई रे।
है माँ सरस्वती से मेरी यही दुहाई रे,
आई-आई रे दीवाली, आई-आई रे।।
जन-जन फैले बेसिक की निपुण पढाई रे,
टूटे "मिथक" जो जन-जन में है समाई रे।
वो दीवाली तुमसे मेरी यही दुहाई रे,
आई-आई रे दीवाली आई-आई रे।।
दुख-दरिद्रता अशिक्षा की करे विदाई रे,
हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,इसाई भाई-भाई रे।
प्रीति एकता सब जन में जाय समाई रे,
आई-आई रे दीवाली,आई -आई रे।।
जबसे निपुण भारत की पड़ी परछाई रे,
शिखर पर अग्रसर बेसिक की पढ़ाई रे।
सभी बहन-भाई को विजय की बधाई रे,
आई-आई रे दीवाली, आई-आई रे।।
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लेखक - विजय मेहंदी (कवि लेखक गीतकार एवं शिक्षक) |
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आप सभी देशवासियों को दीपावली की सहर्ष बधाइयों सहित हार्दिक शुभकामनाएं
प्रेम सद्द्भाव की इत्र दीवाली- हो पर्यावरण मित्र दीवाली
आपका अपना
विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)