#Poetry: देश के लाल | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
देश के लाल
मुगलसराय में हुआ अवतरण,
ईo1904- 2-अक्टूबर के दरमियान।
जिला तत्कालीन रहा वाराणसी,
जननी रामदुलारी,जनक रहे शारदा महान।
पिता का साया उठ गया सिर से,
जब डेढ़ वर्ष के ही थे, बालक नादान।
विषम परिस्थिति में साहस कर, शिक्षा-पोषण का जिम्मा माँ ने लीथी थाम।
आजाद भारत के हुए प्रथम रेलमंत्री,
आगे सर्वसम्मति से मंत्री बने प्रधान।
आपकी देश की सेवा सर्वोपरि थी,
सर्वोपरि आपका रहा धर्म - ईमान।
जब अकाल था पड़ा देश में,
सूखी फसलें , हुए दु:खी किसान।
कृषक, जवान में साहस भरने को,
रहा आपका नारा'जय जवान-जय किसान
गेहूँ करने का आयात अमेरिकन,
नकार दिए, दिए हवाला देश की शान।
धैर्यवान था व्यक्तित्व आपका,
धन्य आपका था स्वाभिमान।
देश पड़ोसी व देश में शान्ति-समझौते को,
लेकर तासकंद-रूस में हुए कुर्बान।
अमर रहेगी कीर्ति तुम्हारी,
जिंदाबाद रहेगी तुम्हारे देश की शान।
(प्रेम से बोलो जय जवान-जय किसान)
कालमकार - विजय मेहंदी(कविहृदय शिक्षक)
जौनपुर (उoप्रo)
9198852298