लोकतंत्र की मजबूतीऔर देश के विकास के लिए वन नेशन वन इलेक्शन आवश्यक | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
मुंबई। वन नेशन वन इलेक्शन देश की आवश्यकता है। देश में हर समय जो कोई ना कोई चुनाव होता रहता है, उससे ना केवल खर्च बढ़ता है, बल्कि मतदाताओं में भी उदासीनता आती है। आचार संहिता लगने के कारण विकास कार्यों को रोकना पड़ता है। इसमें राजनीतिक लोगों की ऊर्जा खर्च होती है। इस ऊर्जा को लोगों के विकास और कल्याण के लिए लगाया जाना चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह के अनुसार भारत में 1951 से 1967 तक इसी पैटर्न के चुनाव होते थे। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने के मसले पर लंबे समय से बहस चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस विचार का समर्थन करते हुए इसे आगे बढ़ाया है। वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञान प्रकाश सिंह के अनुसार वन नेशन वन इलेक्शन से राजकोष की बचत होने के साथ-साथ काले धन पर लगाम लगेगी। साथ ही सरकारी कर्मचारियों का समय भी बचेगा। उत्तर भारतीय मोर्चा के महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रसेन सिंह के अनुसार विपक्ष सिर्फ राजनीतिक कारणों से इसका विरोध कर रहा है वरना उसे भी मालूम है कि वन नेशन वन इलेक्शन से देश और देशवासियों का भला होगा।
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