#JaunpurNews : राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय को 'उपचार' की जरूरत | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। मड़ियाहूं कस्बे में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था जिससे लोगों को आयुर्वेद पद्यति से इलाज हो सके और आयुर्वेदिक दवाओं को बढ़ावा भी मिल सके परन्तु प्रशासनिक लापरवाही के चलते अस्पताल का भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है। कई बार शासन से शिकायत करने के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं की गई है। अस्पताल में डॉक्टर के साथ अन्य स्टाफ जर्जर अस्पताल में अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों का इलाज करते हैं। प्रदेश सरकार भी आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक अस्पतालों के भवनों का कायाकल्प करने में जुटी है लेकिन जिले के मड़ियाहूं में संचालित राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय आज भी जर्जर भवन में संचालित हो रहा है।
वहीं जान जोखिम में डालकर डॉक्टर व स्टाफ इलाज करते हैं। जर्जर इमारत की जर्जर दीवार पर लगा राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय (१५ शैय्या) का अस्पताल का बोर्ड इस बात का गवाह है कि जिले में आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा से इलाज किया जाता है। अस्पताल में डॉक्टर के साथ अन्य स्टाफ जर्जर अस्पताल में अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों का इलाज करते हैं। साथ ही मरीज भी अपनी जान जोखिम में डालकर इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल की दीवारें व छत जगह-जगह चटक गई हैं। प्लास्टर उखड़ गया है। कभी भी इमारत भरभराकर गिर सकती है।
बताया जाता है कि इसके शिकायत शासन और जिला प्रशासन को कई बार दिया गया है। अस्पताल में मौजूद डॉ. मनोज गुप्ता (चिकित्सा अधिकारी) ने बताया कि कई बार जिला प्रशासन को पत्र के माद्यम से अवगत कराया गया परन्तु आज तक इसके बारे में किसी ने नहीं सोचा। अस्पताल के डॉक्टर अपने निजी खर्च से यहाँ की ब्यवस्था को ठीक करते हैं। वहीं महिला चिकित्सा अधिकारी डा. दीप्ती सिंह का कहना है कि हर रोज यहां ५० से ६० मरीजों का इलाज के लिए आना होता है। हम अपनी तरफ से सारी कोशिश करते हैं कि यहाँ की हर छोटी बड़ी समस्या को दूर हो। यहाँ ठीक से शौचालय की भी व्यवस्था नहीं थी। हम सब निजी खर्च से सब दुरुस्त करवाये हैं। आश्वासन तो मिलता है कि अस्पताल को ठीक करवा दिया जायेगा परंतु लगता है कि जब तक कोई हादसा नहीं होगा, तब तक प्रशासन की नींद नहीं खुलेगी।