#Poetry: लखत-लखत सब बदलत पग-पग | #NayaSaveraNetwork
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लखत-लखत सब बदलत पग-पग
मन-धन रहत न, चलत रहत जग।
जग मह अहम-वहम गम परसत,
धरम करम कर, सकल बनत नग।
नग पर अनघ कहत जप तप कर,
सत पथ चल, मत छल कर भर डग।
डगर-डगर पर यम परखत तव,
कवन तरत भव, रग तम जब लग।
सुरेश मिश्र
9869141831