#Article: श्री रामचरित मानस की विवादित चौपाइयाँ | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
कुछ मूढ़ लोगों ने रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को बिना प्रसंग,भाषा और अर्थ समझे ,जाने, विवादित बना दिया|और गोस्वामी तुलसीदास जी को दलित विरोधी स्त्री विरोधी बना दिया है|
जिसमें मुख्य रूप से दो चौपाइयाँ अधिक प्रचलित हैं|
पूजिअ बिप्र सील गुन हीना|
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रबीना||
सबसे पहली बात तो लोग चौपाई ही सही नहीं पढ़ते,तो अर्थ सही कैसे बतायेंगे|यही चौपाई बहुत से लोग ऐसे पढ़ते हैं|
पूजिय विप्र सकल गुण हीना|
शूद्र न पूजिय वेद प्रवीना||
जब चौपाई ही गलत है तो अर्थ भी गलत होगा|
ऐसे ही एक चौपाई है जिस पर विगत दिनों बहुत विवाद उत्पन्न किया गया मूढ़ों द्वारा|
ढोल गँवार सूद्र पशु नारी|
सकल ताड़ना के अधिकारी||
अब यह चौपाई ही नहीं,पूरी रामचरितमानस ही अवधी भाषा में लिखी गई है|जब आप भाषान्तर अर्थ बतायेंगे तो सही कैसे होगा|इस उपरोक्त चौपाई में एक शब्द ताड़ना है|इसका सही अर्थ है|निगाह लगाये रखना,देखते रहना,ध्यान रखना,लेकिन लोग इसका अर्थ गलत बताकर अनर्थ कर रहे हैं|इस शब्द का पिटाई से कुछ लेना देना नहीं है|गोस्वामी जी तो रामचरित मानस में चराचर जगत की वंदना भी की है और पूजनीय भी बना दिया|जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हनुमान जी हैं|यदि हम आज के परिदृश्य में हनुमान जी को देखें तो वो पशु हैं वन में रहने के कारण वनवासी हैं|जिसे आज अनुसूचित जनजाति कहा जाता है|उनको गोस्वामी जी ने सबसे अधिक पूजनीय बना दिया|ऐसे ही स्त्री को भी पूजनीय बनाया है|जगह जगह देवी कहके सम्बोधित किया|
देवि पूजि पद कमल तुम्हारे|
सुर नर मुनि सब होंहि सुखारे||
सबसे ऊपर स्त्री को रखा है|
कोई भी नाम और काम करने के पहले स्त्री का नाम पहले रखा|जैसे श्री गणेश,श्री हरि,श्री गुरु,
लेकिन कुछ मूढ़ गोस्वामी जी को बदनाम करने का कोई मौका नहीं चूकते|ऐसा इसलिए कि गोस्वामी जी बिप्र कुल के हैं|लेकिन ये मूढ़ नेता भूल जाते हैं कि रामायण के रचइता महर्षि वाल्मिकि जी आज के हिसाब से अति दलित थे|व्यास जी भी दलित थे|जिन्होंने अनेक ग्रंथ शास्त्र उपनिषद इस सनातन समाज को दिया है|कुछ राजनेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए उन चौपाइयों का सहारा लेकर गोस्वामी जी को बदनाम करके अपना नाम कमाना चाहते हैं|जबकी न कभी ठीक से रामचरितमानस को पढ़े न उन चौपाइयों का सही से अर्थ ही जाने|
ये मूढ़ नेता लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हिन्दुस्थान में रहने वाले अधिकाधिक हिन्दू न शास्त्र पढ़ें न रामचरितमानस ही|इसलिए उनके अर्थ क्या जानेंगे|इसी अज्ञानता का फायदा उठाते हुए नेतागण हमारे शास्त्रों से और रामचरितमानस से वही चौपाई या श्लोक उठाते हैं|
जिससे अज्ञानी लोगों की भावनाओं को भड़का कर अपना उल्लू सीधा कर सकें|*ढोल गँवार सूद्र पशु नारी*का शाब्दिक अर्थ है,कि ए चार जाति ऐसी है कि इन पर सदैव निगाह रखे रहना पड़ेगा|ढोल यदि स्वर में नहीं बजाओगे तो फट जायेगी या श्रोता ऊब जायेगा|गँवार व्यक्ति या यूँ कहें कि एकदम सीधा साधा व्यक्ति,या पागल व्यक्ति,इस पर भी यदि ध्यान न दिया जाय तो सब गड़बड़ कर देगा|स्त्री बहुत उदार होती हैं|इस पर भी यदि ध्यान न दिया जाय तो ये भी सर्वस्व निछावर करके कुल का नुकसान कर देती हैं|सूद्र जिसे जाति से जोड़कर आज हमारे नेतागण वैमनस्य फैला रहे हैं|उसका भी आज वाली जाति से कुछ लेना देना नहीं है|सूद्र का मतलब होता है|मजदूर|मजदूर कोई भी हो सकता है|मजदूरों पर भी यदि ध्यान न दिया जाय तो कोई भी काम ढंग से नहीं होगा|होगा तो समय पर नहीं होगा|मजदूर लोग काम सही ढंग से करें इसके लिए आज लोग तकनीक का सहारा ले रहे हैं|
मजदूरों पर निगाह रखने के लिए आफिसों कम्पनियों आदि में सीसीटीवी कैमरे से निगरानी यानी ताड़बाजी की जा रही है|
कहने का मतलब ये है कि अधिकाधिक लोग शास्त्र पढ़ते नहीं,इसलिए उन्हें कोई भी खल आके ऊल जलूल बताके अपना उल्लू सीधा कर लेता है|एक कहावत है,कौवा कान लेकर गया|तो,,हम कान टपासने के बदले कौवे के पीछे हो लेते हैं|इसी अज्ञानता का फायदा ये सयाने नेतागण उठाकर हम लोगों में मतभेद पैदा करके अपने ऐश कर रहे हैं|और हम आपस में लड़ रहे हैं|एक कहावत है,मूर्खों के गाँव में चतुर उपवास नहीं करते|आज हमारे नेतागण इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं|
पं.जमदग्निपुरी
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