वैदिक पंचांग ( दिनांक - 21 सितम्बर 2024 ) | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

शम शनिश्चराय नमः  

 ~ वैदिक पंचांग ~ 
  दिनांक - 21 सितम्बर 2024
 दिन - शनिवार
 विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार  2080)
 शक संवत -1946
अयन - दक्षिणायन
 ऋतु - शरद ॠतु 
 मास - अश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)
 पक्ष - कृष्ण 
 तिथि - चतुर्थी शाम 06:13 तक तत्पश्चात पंचमी
 नक्षत्र - भरणी रात्रि 12:36 तक तत्पश्चात कृत्तिका
 योग - व्याघात सुबह 11:36 तक तत्पश्चात हर्षण
 राहुकाल - सुबह 09:29 से सुबह 11:00 तक
 सूर्योदय -06:28
 सूर्यास्त- 18:34
 दिशाशूल - पूर्व दिशा मे
 व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय  :रात्रि 08:46),चतुर्थी का श्राद्ध,भरणी श्राद्ध
 विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

  •    ~ वैदिक पंचांग ~ 

 भरणी श्राद्ध 

 21 सितम्बर 2024 शनिवार को भरणी नक्षत्र होने के कारण भरणी श्राद्ध है। भरणी नक्षत्र के देवता यमराज होने के कारण भरणी श्राद्ध का विशेष महत्व है। सामान्यतः आश्विन पितृपक्ष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद) में चतुर्थी अथवा पंचमी को ही भरणी नक्षत्र आता है। कहा जाता है लोक - लोकान्तर की यात्रा जन्म, मृ्त्यु व पुन: जन्म उत्पत्ति का कारकत्व भरणी नक्षत्र के पास है अतः भरणी नक्षत्र के दिन श्राद्ध करने से पितरों को सद्गति मिलती है। महाभरणी श्राद्ध में कहीं भी श्राद्ध किया जाए, फल गयाश्राद्ध के बराबर मिलता है। यह श्राद्ध सभी कर सकते हैं।

 भरणी नक्षत्र में श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता को उत्तम आयु प्राप्त होती है,

 भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को काले तिल एवं गाय का दान करने से सद्गति प्राप्ति होती है व कष्ट कम होता है।

    ~ वैदिक पंचांग ~ 

‪चतुर्थी‬ तिथि विशेष 

 चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।

हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं। 

 पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥

➡ “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।

पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए 

     ~ वैदिक पंचांग ~ 

 कोई कष्ट हो तो 

🙏🏻 हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |

  •  छः मंत्र इस प्रकार हैं –

ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।

 ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।

 ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।

 ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और  जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।

 ॐ अविघ्नाय नम:
 ॐ विघ्नकरत्र्येय नम: 

 वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर

 वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)
वैदिक पंचांग 

वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञान प्रकाश सिंह की तरफ से स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं  | #NayaSaveraNetwork
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