#MumbaiNews: भगवत नाम का सुमिरन व उनकी शरणागति ही जीव के लिए कल्याणकारी: डा. संजय कृष्ण | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
नवी मुंबई। वृन्दावन से पधारे अतंरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संत डा. संजय कृष्ण सलिल जी की अमृतमयी वाणी में श्रीमदभागवत कथा में चौथे दिन बताया कि जीव के लिए भगवत नाम का स्मरण व उनकी शरणागति ही कलियुग में जीव का उद्धार कर सकती है। संसार का हर व्यक्ति उत्तानपाद है जिसका अर्थ है जो कार्य करना चाहिए उसके विपरीत कार्य करना। राजा उत्तानपाद की दो रानिया थी सुनीति और सुरुचि। ध्रुव सुनीति का पुत्र था सुरुचि ने ध्रुव को राजा की गोद से इसलिए उतार दिया क्योकि वह उनके गर्भ से पैदा नही हुए थे सौतेली माॅ के इस तिरस्कार से उन्हें वन मे घोर तपस्या करनी पडी। ध्रुव की मां सुनीति ने धुव्र से कहा कि जंगल में जाकर घोर तपस्या कर जिससे राजा की गोद तो क्या?
तुझे नारायण की गोद भी मिल जाएगी। नारद जी ने अपने शिष्य को कृपा आसन देकर नारायण के नाम का जप व भगवान की शरणागति का मंत्र दिया। बालक ध्रुव वृन्दावन चौरासी कोस स्थित मधुवन मे जाकर अपनी घोर तपस्या से नारायण का दर्शन पाकर ध्रुवलोक प्राप्त किया आगे ऋषभदेव जी (जैन धर्म के 23 वे तीर्थांकर) का वर्णन आता है जिस वंश मे भरत पैदा हुए जिनके नाम से देश का नाम भारतवर्ष पडा।इसके पहले भारत का नामअजनाभवंश था।
कथा अजामिल की आती है जिनके पुत्र का नाम नारायण था यमराज के दूत मृत्यु के समय अजामिल को पास में बांधकर यमलोक ले जा रहे थे कि अजामिल अपने पुत्र नारायण को बुला रहा था जिसे सुनकर नारायण के पार्षदो ने नारायण का भक्त समझकर छोड दिया और उसे नारायण के लोक में मोक्ष प्रदान किया। आगे प्रह्लाद की कथा में भगवत नाम लेने के कारण पिता हिरणयाकश्यप के क्रोध और घोर यातना से भी गुजरना पडा। अंत में प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान को नरसिंह रूप धारण कर खंभे से प्रकट होकर प्रह्लाद की रक्षा के लिए आना पडा। इसके बाद कृष्ण जन्म की कथा पर प्रकाश डाला।
कंस मामा एक आकाशवाणी के कारण देवकी के 8वे संतान से मृत्यु भय से वासुदेव व अपनी चचेरी बहन देवकी को बेडियो में बांधकर कारागार में डाल दिया और अपने काल का इंतजार करने लगा परन्तु भगवान चतुर्भुज रूप मे प्रकट होकर दर्शन दिये और माया के प्रभाव से सुरक्षित स्थान नन्द के घर पर पहुंच भी गये इस प्रकार नन्द के घर आनंद उत्सव मनाया जाने लगा। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की।
कंस को घटना की जानकारी मिलने पर उस रात जन्मे सभी बालको की हत्या का आदेश दे दिया। आगे की कथा मे पूतना ने अपने स्तन पर बिष का लेप लगाकर दुग्धपान भी कराया बाद मे भगवान ने उसे भी माता का स्थान देकर उद्धार किया। आज कथा सुननेवालो की संख्या काफी हो गई। यह कथा प्रतिदिन शाम 4 से 7बजे तक चलेगी और कथा विश्राम के दिन 11अगस्त को कथा का समय 11 से 1 रखा गया है। इसके बाद महाप्रसाद 1 से 4 बजे तक रहेगा। कथा कोपरखैरणे सेक्टर 10 डी मार्ट के पास स्थित लोहाणा समाज सभागार में चल रही है जिसके प्रमुख यजमान कविता माथुर व माथुर परिवार तथा तारकेश्वर राय हैं आयोजक की ओर से सभी भक्तो को समय से आने की अपील की गई है।