#Poetry: एक पेड़ मां के नाम पर लगावल जाई | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
एक पेड़ मां के नाम पर लगावल जाई
दुनिया बचावल जाई न।
पेड़ काटि घर सजइब्या,
प्राणवायु कहवां पइब्या,
आई कोरोना त झुनझुना बजावल जाई
कइसे जग बचावल जाई न।
घायल पर्यावरण आज,
मुला समुझे न समाज,
वन्य काटि के जउ सहरिया बसावल जाई
कइसे जग बचावल जाई न।
शहर बनल हउवें आंवां,
गांउ होइ गएन पंजावां,
धरती तपइ जइसे तावा,कऽ बतावल जाई
दुनिया बचावल जाई न।
कतहुं सूखा, कतहुं बाढ़,
कतहुं दरकेला पहाड़,
झाड़ रहि न जाई,फल कहां से खावल जाई
दुनिया बचावल जाई न।
पेड़ माई जी के नाम,
देखभाल सुबहोशाम,
जब ले बड़ा होइ न जाइ,तउ रखावल जाई
दुनिया बचावल जाई न।
आधी खेती,आधी बारी,
जउ न करिहैं नर व नारी,
अपने कर्मवां क फल भी यहीं पावल जाई
कइसे जग बचावल जाई न।
सुना-सुना हो सुरेश,
तबइ कटिहैं सब क क्लेश,
हरी-भरी धरती माई के करावल जाई
तबइ जग बचावल जाई न।
एक पेड़ मां के नाम से लगावल जाई,
दुनिया बचावल जाई न।
सुरेश मिश्र