#MumbaiNews: धूप का बोझ नहीं सह पा रही है धरती: रामकेश | #NayaSaveraNetwork


नया सवेरा नेटवर्क

मुंबई। जाने-माने लेखक और रॉयल्टी प्राप्त कवि रामकेश एम. यादव पड़ रही इस भीषण गर्मी पर अपने मनोभाव कुछ इस तरह व्यक्त किए हैं। उनका मानना है कि आसमां से बरसती आग लोगों के जीवन की ख्वाहिश दिनोंदिन छीनती जा रही है। एसी, कूलर बे-जान होते जा रहे हैं। आये दिन बे -इंतिहाँ गर्मी के चलते इनमें ब्लास्ट भी हो रहा है।


नदी, तालाब, सब सूखते जा रहे हैं। एक जमाना था जब ताल-तलइया,पोखर,गड़ही पानी से लबालब भरे रहते थे। जल-स्तर काफी ऊपर रहता था। पानी की किल्लत बिलकुल नहीं रहती थी। भले लोगों के कच्चे मकान, कच्ची सड़कें,घासफूस की मँडई में जीवन-यापन होता था लेकिन जिन्दगी सुकूँ भरी होती थी। भाईचारा, आपसी मोहब्बत के फूल खिलते थे। पर्यावरण के प्रति आम लोगों में सजगता थी। बारिश या बारिश के बाद वानिकीकरण का काम बड़े पैमाने पर होता था

लेकिन अब तप,त्याग,संयम से हटकर वर्तमान दौर के लोग पर्यावरण की कमर तोड़ चुके हैं। ग्लोबलवार्मिंग के हम शिकार हो चुके हैं। हरियाली नष्ट करने का हिसाब कुदरत तो लेकर ही रहेगी। तवे से भी गर्म हमारी पृथ्वी  नीति-निर्माताओं को भी हिलाकर रख दी है। प्रिंट-मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से नित्य खबरें ये आ रही हैं कि लोग भीषण गर्मी से मर रहे हैं।

हरियाली से अच्छादित जो धरती हम सब पाए थे हमारी लालच ने इसे बे-लिबास कर दिया। साँसों की रफ्तार बढ़ानेवाले उस पर्यावरण की रौनक को प्रदूषण ने छीन लिया है। पेड़ों की डालों पर नग्में गाने वाले परिन्दे जहाँ अपने घोंसले बनाया करते थे, छायादार वृक्षों के कटने से वो कबके धरती   छोड़ चुके हैं। बॉलकनी में लगनेवाले पौधे वृक्षों की जगह कभी नहीं ले सकते।  वर्तमान दौर में गाँव की फिजा मर रही है। इस तरह पेड़ ऋतुओं से भी अपना नाता तोड़ चुके हैं। अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि बेचारी नील गायें चिलचिलाती धूप से बचने के लिए बिजली के खम्भों के नीचे आश्रय ले रही हैं यानी वृक्ष नदारत हो चुके हैं। अमूक प्राणी अपनी दुश्वारियाँ कहें तो किससे कहें। लोमड़ी, सियार,खरगोश,साही,ऊदबिलाव, गौरैया, कौआ आदि हमारी भोग्यवादी जिन्दगी के भेंट चढ़ रहे हैं।

पेड़ जो अपनी खुशबू के साथ हमारी साँसों में अपना ऑक्सीजन घोलते थे, हमने बेरहमी से उन्हें काट डाला चंद पैसों के लिए। नई बाजार तथा नये शहर बसाने के लिए। कंक्रीट के जंगल भले आसमां में सुलाते हों लेकिन दिल का आकार बिलकुल छोटा कर दिये। गौरतलब है कि पृथ्वी जितनी गर्म होगी, उतना ही बड़ा-बड़ा तूफ़ाँ आएगा जो घर -बार उजाड़ने के लिए पर्याप्त होगा।

शोधकर्ताओं का मानना है कि  गाँव से लेकर शहर तक की चौड़ी -चौड़ी सड़कें सूरज की किरणों को अपनी तरफ खिंचती हैं, इससे पृथ्वी और गर्म होती जा रही है जिसका असर मानव जीवन पर पड़ना ही पड़ना है। आज गाँव के गाँव इंटरलॉक होते जा रहे हैं इस बदलते परिवेश में जीना बेहद मुश्किल होगा। दुनिया इस बात से वाकिफ़ है कि घने जंगल मेघों को बारिश कराने में उन्हें लुभाते हैं। वे बादल सागर से ढो-ढोकर पानी हमारे डैम, नदी, तालाब, पोखर आदि को भरते हैं। हमें तो इनका सजदा करना चाहिये। उल्टे इन्हें हम नाराज कर रहे हैं।  अपने सर का साया स्वयं से उठा रहे हैं।

जैसे मोर -मोरनी के ठोर को देखकर नाचता है, ठीक उसी तरह से हर चीजें एक दूसरे की पूरक होती हैं। हम लोगों के लड़कपन में कहा जाता था कि आसमान से परियाँ उतरती हैं। आज मौत उतर रही है। कोई मुझे ये बताए कि वो परियाँ कहाँ गईं? आसमान तो लील नहीं गया। उनके सफेद, सुनहले रेशमी कपड़े,अब हमारे प्रदूषण काट खाये। कोई नंगा तो यहाँ आ नहीं सकता। सबकी अपनी मर्यादायें और संस्कृति है। मेरे ख्याल से हम बे-सलूक हो सकते हैं, सभी तो नहीं। जिसे अपनी पीढ़ियों की चिंता न हो, उस इंसान को आप क्या कह सकते हैं?
पगडंडियों तथा उन ओसों पर चलनेवाले वो नंगे पांव अब नजर नहीं आते जो हमें बता सकें कि बैलों के गले की घंटियाँ कितनी सुकूँ देती थीं। गायों के रम्भाने तथा दूध-दही से बहनेवाली उन नदियाँ से हमने क्यों मुख मोड़ लिया? पेप्सी, कोकोकोला को अपनाकर छाछ से क्यों नाता तोड़ लिया?

ठीकठाक से यदि धरती पर हमें रहना है, तो उसी दुनिया की तरफ एक बार फिर मुड़ना होगा दूसरा विकल्प नहीं क्योंकि आँसुओं से पेड़ हरे नहीं हो सकते। पेड़ तो हकीकत में लगाना पड़ता है, उसे संरक्षण देना पड़ता है। पेड़ रहेंगे, तो ही हम जीवित रहेंगे। आइए हम सब बड़े पैमाने पर पेड़ लगाएँ और इस खूसूरत दुनिया को बचाएँ।

*प्रवेश प्रारम्भ-सत्र 2024-25 | निर्मला देवी फार्मेसी कॉलेज |(AICTE, UPBTE & PCI Approved) | Mob:- 8948273993, 9415234998 | नयनसन्ड, गौराबादशाहपुर, जौनपुर, उ0प्र0 | कोर्स - B. Pharma (Allopath), D. Pharma (Allopath) | द्विवर्षीय पाठ्यक्रम योग्यता, योग्यता - इण्टर (बायो/मैथ) And प्रवेश प्रारम्भ-सत्र 2024-25 | निर्मला देवी पॉलिटेक्निक कॉलेज | नयनसन्ड, गौराबादशाहपुर, जौनपुर, उ0प्र0 | ● इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग | ● इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग | ● सिविल इंजीनियरिंग | ● मैकेनिकल इंजीनियरिंग ऑटो मोबाइल | ● मैकेनिकल इंजीनियरिंग प्रोडक्शन | ITI अथवा 12 पास विद्यार्थी सीधे | द्वितीय वर्ष में प्रवेश प्राप्त करें। मो. 842397192, 9839449646 | छात्राओं की फीस रु. 20,000 प्रतिवर्ष | #NayaSaveraNetwork*
Ad

*ADMISSION OPEN | S S PUBLIC SCHOOL | A Co-Educational School, Affiliated to CBSE New Delhi for Senior Secondary Education (10+2) | Affiliation No.: 2132085 | You Give Us Raw We Will transform them as..! AN EXPERT | 7380691111, 9453567111 | SIDDIQPUR, JAUNPUR-222003 | Follow us on: https://www.facebook.com/sspublicjnp@sspinp | https://instagram.com/sspublicschool_jnp | Website: www.sspublicschoolinp.com | #NayaSaveraNetwork*
Ad

*ASGI JAUNPUR | ADI SHANKARACHARYA GURUKUL INSTITUTE | Academy for IIT- JEE & NEET | ADMISSION OPEN - Std. 9th & 10th | Std. 11th & 12th (Science) CBSE Board | Special Focus on IIT-JEE & NEET FACULTIES FROM KOTA | #NayaSaveraNetwork*
Ad


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ