#Poetry: कब बरसी सवनवाँ? | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
कब बरसी सवनवाँ?
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टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
लुहिया के चलले से सूखेला कजरवा,
ऊपरा से नीचवाँ कब बरसी बदरवा।
गरमी से आवें न पजरवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
ताल-तलइया,नदिया,पोखरी सुखैलीं,
अपने बलम के हम गोनरी सुतऊलीं।
चिरई जुड़ाई कब खोंतनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
बाग-बगइचा लोग लालच में कटलन,
ताल-तलइया,पोखरी मिल बाँट पटलन।
धुपिया से नाचेला कपरवा,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
लागी नाहीं पेड़ पंचो आम का चुसाई,
नहीं होई रोपनी तव ओखरी का कुटाई।
सोहरी कब खेतवा में धनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
बरसत बदरवा तव डालित हम झुलवा,
खिली जात गोंदिया में हमरे भी फुलवा।
होई जात ठंडा ई अँगरवा,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
गीतकार : रामकेश एम. यादव, मुंबई

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