#Poetry: घाती फिर से घात कर गए | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
घाती फिर से घात कर गए
अयोध्या नहीं, फैजाबाद में हारी है,
मगर पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
बनारस के लिए उसने क्या नहीं किया,
अयोध्या वासियों को भी क्या नहीं दिया,
फिर भी जातिवाद सब पर भारी है,
चलो पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
राम भक्तों के हत्यारों को जिताए,
तंबू से धाम लाने वाले को हराए,
कलंकित फैजाबादियों की मक्कारी है,
चलो पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
अफजल के अनुयाई क्या बतलाएंगे?
यदुवंशी जन्मभूमि पर मंदिर बनाएंगे?
जिन्हें बाबरी मस्जिद अब भी प्यारी है,
चलो पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
शत्रुघ्न बनते-बनते कृतघ्न बन बैठे,
श्रीराम के मिशन में भी विघ्न बन बैठे,
ये पाक परस्तियों की तरफदारी है,
मगर पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
जिसने बहन बेटियों को सुरक्षा दी,
असुर बाहुबलियों से भी रक्षा की,
उसके प्रति क्या यही जिम्मेदारी है?
चलो, पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
उसने आरक्षण हटाने का भय दिखाया,
दस साल तक तुम्हें समझ नहीं आया,
क्या यह तीन सौ सत्तर से भी भारी है?
चलो ,पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
अगर अपनी संस्कृति-संस्कार भूल जाएंगे,
तीन पीढ़ी बाद भाग करके कहां जाएंगे?
यहां काबुल,ढाका, इस्लामाबाद की तैयारी है,
इस बार,पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
चलो, अब एक लाख पा जाना,
घर-घर सरकारी नौकरी लाना,
जो जीता, उसकी जबाबदारी है,
बाकी, पूरे देश की बाजी तो हमारी है।
सुरेश मिश्र