नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। जिले की दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा की हार का कारण कहीं न कहीं ओवर कॉन्फिडेंस, वोटों की ठेकेदारी और चमचागिरी रही। प्रत्याशियों के आस-पास घिरे चमचे उनको दिन में ही तारे दिखाते रहे और इसी ओवर कॉन्फिडेंस के चक्कर में भाजपा के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग भाजपा प्रत्याशी के साथ रहे जो अपने आप को बहुत ही प्रभावशाली दिखाते रहे और वोटों की ठेकेदारी भी ले रखी थी। हालांकि वे जिन वोटों की ठेकेदारी ले रखे थे वो वोट देने बूथ पर गए ही नहीं और उनका वर्चस्व पिछड़ी जाति के वोटों में था ही नहीं। वे भाजपा प्रत्याशी को आश्वस्त करते रहे कि वे बड़े आराम से चुनाव जीत जाएंगे लेकिन जब 4 जून को वोटों की गिनती शुरू हुई तो सबकुछ हवा हवाई साबित हो गया। सपा के प्रत्याशी शुरू से ही बढ़त बनाए रखे और अंतत: सपा के दोनों प्रत्याशियों ने शानदार जीत दर्ज की।
मछलीशहर के एससी, एसटी बाबा... को मतदाताओं ने दिखाया आइना
मछलीशहर में चुनाव प्रचार के दौरान मंचों से बुलडोजर बाबा से अपनी तुलना करने वाले भाजपा के निवर्तमान सांसद बीपी सरोज अपने आप को एससी, एसटी बाबा कहते देखे गए थे। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ। इस बार सवर्णों ने ठान लिया था कि भाजपा के इस प्रत्याशी को सबक सीखाकर ही दम लेंगे और नतीजा आज सबके सामने है। भाजपा प्रत्याशी को एक 26 वर्षीय और पहली बार चुनाव मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता, केराकत के विधायक, पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज से हार का सामना करना पड़ा। लोकतंत्र में खुद को राजा समझने वालों को जनता 5 साल बाद ही सही उनको उनके सही जगह पर भेजने का काम कर ही देती है, इसीलिए लोकतंत्र में ज्यादा घमंड में नहीं रहना चाहिए।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह का समर्थन भी नहीं आया काम
पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने भी अंतत: भाजपा का समर्थन कर ही दिया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा प्रदेश और केंद्र में अच्छी सरकार चल रही है, इसलिए उन्होंने अपनी जनसभाओं में भाजपा को वोट देने की अपील की थी लेकिन जो रिजल्ट आया उसने सबको चौंका दिया। वहीं चर्चा यह भी चल रही थी कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह अगर खुद चुनाव लड़ते तो लोग उनको वोट करते लेकिन उनके कहने से कोई भाजपा को वोट देने नहीं जाएगा। धनंजय सिंह के कुछ समर्थक यादव और मुस्लिम भी थे जिन्होंने समाजवादी पार्टी के पक्ष में अपना मतदान किया। कुल मिलाकर धनंजय सिंह का समर्थन भी भाजपा को काम नहीं आया।
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