#Article: ये चुनाव परिणाम सच में चमत्कारी है और सबके लिए सबक भी | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

      दो महीने की लम्बी जद्दोजहद के बाद आखिर में 4 जून को चुनाव परिणाम आ ही गया|इस बार जो परिणाम आया देखकर सभी भौचक रह गये|बड़ा ही चमत्कारी रहा|जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी,वो हुआ|चलिए कुल मिलाकर परिणाम तो आ गया|अब मंथन करने का समय है|सरकार का भी और विपक्ष का भी|और साथ में राजनीतिक विश्लेषकों का भी|सरकार का इसलिए कि कहाँ चूक हुई जो सीटें कम आई|विपक्ष का इसलिए कि पर्याप्त संख्या क्यों नहीं मिल पाई|और राजनीतिक विश्लेषकों का भी कि उनके विश्लेषण में कहाँ चूक हुई|क्या वे भी इसबार जनता की नब्ज सही ढंग से नहीं टटोल पाये|नहीं टटोल पाये तो क्यो?


       ये तो रही उनकी बात जो लड़े जीते हारे,और विश्लेषकों की जो टीवी पर बैठकर ज्ञान बघारे|अब बात करते हैं,सरकार की सीटें घटी क्यों? सबसे पहली जो मुख्य बात है वो ए कि सरकार अति आत्मविश्वास में अपने कोर वोटरों को दरकिनार रखी|उनके लिए कोई भी ढंग के काम नहीं की|अपने पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर आयातित लोगों को टिकट देना|और उन वोटरों पर विशेष ध्यान देना,उनके लिए विभिन्न योजनायें चलाना, जो जीवन में कभी भी बर्तमान सरकार को वोट नहीं देंगे|जैसे मुसलमान अपने दीन से हटकर कुछ सोंचता ही नहीं|

उसको चाहे जितनी सुख सुविधायें दे दो,यदि उसको अपने दीन पर खतरा दिखेगा तो वह कत्तई खतरा उत्पन्न करने वाले के साथ नहीं जायेगा|बर्तमान सरकार इसी मुगालते में रह गई कि हमने मुसलमानों के लिए बहुत काम किया है,मुसलमान हमको वोट करेगा|मगर ऐसा हुआ नहीं|बर्तमान सरकार ने सोंचा कि  हमने तीन तलाक खत्म करके मुस्लिम महिलाओं के नारकीय जीवन का बचाव किया है|इसलिए महिलायें मुझको ही वोट करेंगी|यहाँ भी सरकार की सोंच फिसड्डी ही साबित हुई|और मुस्लिम महिलायें ठेंगा दिखाते हुए अपने दीन के साथ ही खड़ी रहीं|बर्तमान सरकार अपने को खूब दलित हितैषी व पिछड़ा हितैषी दिखाती रही|उसके |लिए बहुत सी योजनायें भी शुरू की|उनका भी वोट अपनी जाति से हटकर इधर उधर नहीं हुआ|जिसका परिणाम यह हुआ कि बर्तमान सरकार खासकर भाजपा की सीटें घटकर 250 से भी नीचे चली गई|भाजपा दलित पिछड़ों और मुसलमानों के लिए कुछ भी कर दे|मगर उनके वोट नहीं पायेगी|और उसी के चलते जो उसका है वह भी छिटक जायेगा|और छिटक गया|

    जिन राज्यों से बड़ी उम्मीद पाल रखी थी,उन राज्यों में सीटों का कम आना ये दर्शाता है कि वहाँ का कोर वोटर खासा नाराज था|वो या तो बूथ तक गया नहीं|गया तो भाजपा को वोट दिया नहीं|जिसमें खासकर यू पी|जहाँ सरकार को विशेष झटका लगा है|वहाँ दो तीन कारण जो मुख्य हैं,जिसके चलते सीटें घटी,वो रोजगार का मंहगाई का विशेष व जातिगत और धर्मगत रहा|जबसे सरकार आई है एक भी भर्ती सरकारी ढंग से नहीं हुई|जब देखो पेपर लीक|जिसका खामियाजा गरीब युवा भुगत रहा था|उसकी उम्र खासकर सवर्‌णों की इस पेपर लीक से लीक होकर निकलती जा रही थी,और सरकार मस्त सो रही थी|जिससे भाजपा का कोर वोटर युवा व उसके परिवारीजन खिन्न हो गये|जिसका परिणाम यह हुआ कि उम्मीद से भी बहुत कम सीटें आईं|सरकार यदि उपरोक्त विषय पर ध्यान दी होती तो,शायद इस तरह के परिणाम से दो चार नहीं होती|दूसरी बात यदि पेपर लीक भी हो गया तो दूसरी परीक्षा आयोजित करने में लेट लतीफी भी सरकार के अरमानो पर पानी फेरा है|युवाओं में यह बात घर गई की सरकार की रोजगार देने की मंशा ही नहीं है|जिसे खुद पेपर लीक कराके बच रही है|एक गरीब  बेरोजगार से सरकार द्वारा 500/- रुपये फार्म का लेना भी  सरकार का बेरोजगारों पर अत्याचार है|एक तो रोजगार नहीं|ऊपर से 5 से 7 सौ रूपये खर्च कर रोजगार की लालच में जेब का पैसा सरकारी खजाने में देना बहुत अखरता है|उस पर से पेपर लीक हो जाना,शिर मुड़ाते ओले पड़ने जैसा हो जाता है एक गरीब परिवार के लिए|सरकार को चाहिए कि फार्म की फीस घटाकर सौ रूपये कर दे|जिससे गरीबों पर अधिक भार न पड़े|लेकिन सरकार दोहन करने के सिवाय शायद कुछ सोंचती ही नहीं|एक देकर दस लेने की सरकार की आदत सर्वथा उचित नहीं है|

          दूसरा सीटें कम आने का जो मुख्य कारण है वह है मंहगाई|कुछ लोगों को मुफ्त में राशन देकर बाकियों पर जो मंहगाई का बोझ डाल दिया|वह भी उन्हीं पर विशेष रूप से प्रभावी रहा जो भाजपा के कोर वोटर थे और हैं|सहयोग कीजिए मगर समान रूप से|एक का सहयोग करने के चक्कर में दूसरे को पीसना सर्वथा गलत है|फिर भी यहाँ वही हो रहा है|मुफ्त के बदले वही कम शुल्क में सबको मिले यही उचित है|आज मंहगाई से मध्यम वर्ग कराह रहा है|क्योंकि वह बीपीएल श्रेणी में नहीं आता|इसलिए उसे मुफ्त का कुछ मिलता तो नहीं है|उल्टे मुफ्त का खामियाजा मंहगाई के तौर पर वह भुगतता है|सरकार कोई भी बने बिगड़े|मगर एक बात सामान्य है|बिगड़ती हमेशा मध्यम वर्ग की ही है|वह बदल बदल के वोट इसलिए करता है कि शायद ए वाली सरकार हमारे लिए कुछ करे|मगर उसके लिए नतीजा वही रहता है,जो विगत में था|सरकारें जितना मुफ्त में बाँटती हैं|उससे अधिक मंहगाई बढ़ाकर मध्यम वर्ग की कमर तोड़ती हैं|इसलिए सरकारों को चाहिए कि मुफ्त की योजनायें न चलाकर वस्तुयें सस्ती करें|जिससे सबका विकास हो,और सरकार पर सबका विश्वास बने|आज मध्यम वर्गीय जो भाजपा का कोर वोटर था|वह उसके विपरीत वोट किया है तो,कारण उपरोक्त निम्नलिखित बातों की नाराजगी ही है|जिसके लिए भाजपा कुछ राज्यों में पिछड़ गई|और जिसको मुफ्त का सब दिया,उसने भाजपा को वोट नहीं दिया|इसलिए भाजपा की यह दुर्दशा हुई है|

      तीसरा कारण जो है वो ए कि विपक्ष अपने वोटरों में उस भय को पूरी तरह बैठाने में कामयाब हो गया कि भाजपा अबकी आई तो संविधान बदल देगी|खासकरके आरक्षण खतम कर देगी|मुसलमानों का जीना हराम कर देगी|आदि आदि|इसलिए उनके वोटर एक होकर वोट किए|जिसके लिए विपक्ष आज मजबूती के साथ उभर गया|कुछ लोग तो,खासकरके महिलायें 8500/- की लालच में वोट उस गठबंधन को दीं|जो गठबंधन है ही नहीं|लालच भी एक मुद्दा बना, जिससे भाजपा की दुर्गति हुई|कुछ लोगों की धारणा है कि अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता|उनको देश की उन्नति से कुछ लेना देना नहीं है|न देश के बारे में सोंचना है|बस मुफ्त की सब वस्तुयें मिलती रहें|यही चाह लिए जी रहे हैं|कुछ लोग देश भी जाये भाड़ में धर्म भी जाये भाड़ में,जाति भी और हम भी जायें भाड़ में|

मगर हमारे नेता का कुनबा बढ़ता रहे|जिसका जीता जागता यह चुनाव परिणाम है|जिसने देश को लूटा,वो विजयी,जो देश को उन्नति के शिखर पर ले जा रहा उसे गिराने की कोशिस में लगे हैं|ऐसे ही कई कारण से यह चुनाव परिणाम अचम्भित किया है|विपक्ष को अब विशेष सोंचने की जरूरत नहीं है|क्योंकि उसका लालीपाप कमाल कर दिया है|सोचना तो सबसे अधिक भाजपा को है|वो अपने कोर वोटरों को अपनी तरफ कैसे ले आये|एक कारण और जो है वो भाजपा के सांसदों की अकर्मण्यता बड़बोलापन और पूरी तरह नरेन्द्र मोदी के ऊपर निर्भर रहना|जबकी मोदी जी बार बार सचेत करते रहते थे कि आत्मनिर्भर बनिये|मगर सबके सब मटरगस्ती करते रह गये|और रह रह के बकवास करते रह गये|जिसका नतीजा है यह परिणाम|अति उत्साह में वह बोल गये जो विपक्ष को मजबूती दे गया|जिसको पकड़कर विपक्ष वह ऊँचाई पा गया जिसकी उसको कल्पना तक नहीं थी|कुल मिलाकर भाजपा नेताओं का बड़बोलापन भी इस चमत्कारिक परिणाम के लिए जवाबदार है|

इस चुनाव परिणाम से एक बात तो स्पष्ट हो रही है कि लालच हावी है|लोग करके खाने में विश्वास कम और मुफ्त में अधिक रख रहे हैं|जो पार्टियाँ चुनाव में मुफ्त का प्रलोभन देती हैं|वह सरासर गलत है|सरकार को चुनाव आयोग को इस पर मिलकर एक नियम बनाना चाहिए|जो भी पार्टी मुफ्त का जनता से वादा करेगी|या पैसा देने की बात करेगी उसकी मान्यता रद्द कर दी जायेगी|यह मानते हुए कि यह अप्रत्यक्ष रूप हे घुस है|और घुसखोरी में आपकी मान्यता रद्द की जाती है|इससे देश की बर्वादी रुकेगी और सर्वसामान्य जन में खुशहाली निर्मित होगी|आज भी बहुत से लोग आदम के जमाने में ही जी रहे हैं|जिनको देश की उन्नति से कुछ लेना देना नहीं है|उनको तो बस अपना नेता देश को लूटकर जितना मोटा हो जाय उसी में खुश हैं|खुद की बरवादी में ही उनको स्वर्गानंद मिल रहा है|यह चुनाव परिणाम यही दर्शा रहा है|
पी.जमदग्निपुरी

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