#Poetry: प्रेम का पथ कठिन | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
प्रेम का पथ कठिन
गढ़ लिए तुमने अपने लिए कुछ मिथक
प्राप्त क्या कर लिए ऐसे निर्माण से
भाव मय रूप क्या ये निरर्थक रहा
प्रेम का पथ कठिन, क्या है निर्वाण से
स्वर लहरियों का संगीत तुमसे बना
सत्य है हर प्रणय गीत तुमसे बना
तुम हो आधार हर श्वांस की लय लिए
बन सका क्या है कुछ बोलो निष्प्राण से
भाव मय रूप क्या ये निरर्थक रहा
प्रेम का पथ कठिन, क्या है निर्वाण से
धन्य होता हृदय प्रेममय साथ पा
विश्व था पा लिया हाथ में हाथ पा
कितने कोमल सुकोमल सुमन प्रेम के
बन के निष्ठुर कुचल देते पाषाण से
भाव मय रूप क्या ये निरर्थक रहा
प्रेम का पथ कठिन, क्या है निर्वाण से
तुम रहो साथ तो सार्थक है जगत्
बिन तुम्हारे लगे है निरर्थक जगत्
श्वांस का क्रम है आरोह अवरोह का
प्राण अद्वैत हो ये मिले प्राण से
भाव मय रूप क्या ये निरर्थक रहा
प्रेम का पथ कठिन, क्या है निर्वाण से
वंदना
अहमदाबाद


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