#Poetry: मारुति नंदन हे जग बंदन कृपा करो मोपे होहु सहायो | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
मारुति नंदन हे जग बंदन कृपा करो मोपे होहु सहायो।
को नहीं जानत है हम मुरख तुम तो रामसहाय कहायो ।।
चैत्र पूर्णिमा त्रेता युग में अंजनी मातु की गोद में आयो।।
लील लियो फल जानि सूर्य को हनुमान तब नाम कहायो।।
केसरी नंदन दुष्ट निकंदन हे जग वंदन मारुति आयो
धाम धरा पर मानव के मन में बल बुद्धि विवेक जगायो
आपस में सब मिलकर आयें गाए नाचे खुशी मनायो
भाईचारे का भाव भरे दुख सुख में मिलकरसाथनिभायो।।
ब्राह्मण रूप धरे किष्किंधा पे राम लखन कंधे पर बिठायो।
जाई मिले सुग्रीव के कानन राम से उनके मिताई करायो।
भाई केदुख से प्रताड़ित सुग्रीवको किष्किंधाराजदिलायो
सागर लांघि गयो लंका में मातु सिया का पता लगायो।।
जारि दियो तब सोने की लंका रावण काअभिमानमिटायो।
मांतु सिया को भरोसा भयो तब सागर में जाई पूछ बुझायो बाण लगे जब लक्ष्मण के तो लाई सजीवनी प्राण बचायो।
जानि विभीषण से सब भेदको, नाभिकीअमृतबातबतायो।।
स्वरचित मौलिक सत्यभामा सिंह ज़िया
कल्याण, मुंबई।
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