नया सवेरा नेटवर्क
ग़ज़ल
सीख लेने पे ग़लतियाँ छोड़ो
पहले तो आप सख़्तियाँ छोड़ो
आपका कद मैं मान लूँ ऊँचा
ख़ुद खड़े हो तो सीढ़ियाँ छोड़ो
आग बुझ जाएगी ज़माने की
हाथ की अपने तीलियाँ छोड़ो
बाँट लेते हो घर को टुकड़ों में
माँ के हाथों की चूड़ियाँ छोड़ो
देवियाँ पूज लेना, पहले पर
माँ बहन वाली गालियाँ छोड़ो
वंदना
अहमदाबाद
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