#Poetry: आमचुनाव | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
आमचुनाव
फिर आमचुनाव ये आया है,
सरकार ने बिगुल बजाया है।
मतदारों कुछ तो नया करो,
देश का कुछ तो भला करो।
डीजल, पेट्रोल फिर हो सस्ता,
हालत देखो कितनी खस्ता।
डी. ए. पी. का है भाव चढ़ा,
कितना अरहर का दाम बढ़ा।
कुछ तो हमारी मया करो,
देश का कुछ तो भला करो,
मतदारों कुछ तो नया करो।
सत्ता का खेल निराला है,
कोई जीजा,तो कोई साला है।
आँखें झुकती हैं घोटालों पे,
आती है तरस पतवारों पे।
अपने किरदार पे हया करो,
देश का कुछ तो भला करो,
मतदारों कुछ तो नया करो।
मत बेचो अपने वोटों को,
महसूस करो तुम चोटों को।
इलेक्टोरल बॉण्ड ये चंदा है,,
कुछ लोगों का ये धंधा है।
इन भ्रष्ट लोगों की दवा करो।
देश का कुछ तो भला करो,
मतदारों कुछ तो नया करो।
इन सबका अपना झण्डा है,
कोई गरम, कोई तो ठंडा है।
मत जाने दो ऐसा मौका,
ना डूबे फिर तेरी नौका।
सोच-समझकर बहा करो,
देश का कुछ तो भला करो,
मतदारों कुछ तो नया करो।
रामकेश एम. यादव (लेखक), मुंबई
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