होलिया में रंग का उड़ाईं | #NayaSaveraNetwork
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होलिया में रंग का उड़ाईं
खेतवा चरल नील- गाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
सड़वा कै कवन बा उपाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं। (2)
खेतवा के होंठवा कै सूखल ललइया,
आलू, बैंगन,गोभी कै टूटल कलइया।
अरे! सड़वा से खेतिया बिलाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
सड़वा कै कवन बा उपाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
खेतवा चरल नील- गाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
कोहड़ा औ लौकी के गाड़ी कितना डंडा,
केहू नाहीं समझत बा सड़वा कै फण्डा।
अरे! बढ़ि के हटावा ई बलाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
सड़वा कै कवन बा उपाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
खेतवा चरल नील- गाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
टूट गइल कितने किसान कै कमरिया,
रोवत बानी दाल खातिर कितनी गुजरिया। सूखी-सूखी रोटिया ऊ खाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
सड़वा कै कवन बा उपाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
खेतवा चरल नील- गाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
मचल कोहराम एके कइसे बताईं,
अरहर ऊ बजड़ा हम कइसे उगाईं?
पंचो रखो अपनी तू राय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
सड़वा कै कवन बा उपाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
खेतवा चरल नील- गाय,
होलिया में रंग का उड़ाईं।
रामकेश एम. यादव,लेखक, मुंबई