प्रयागराज: प्रेम में मैं नहीं हम का भाव होना जरूरी : प्रो. राजेन्द्र | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
प्रयागराज। वसंत पंचमी के अवसर पर बुधवार को महाप्राण निराला की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर इविवि परिसर स्थित महाप्राण निराला की प्रतिमा पर साहित्यकारों, शिक्षिकों ने माल्यार्पण कर नमन किया। इस मौके पर वरिष्ठ आलोचक व कवि प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि निराला ने प्रकृति के रूप में वसंत को चुना और वसंत पंचमी को अपना जन्मदिन स्वीकार किया। छायावाद का प्रेम पश्चिम का अनुकरण नहीं, बल्कि स्वतः स्फूर्ति भाव है। प्रेम में मैं का नहीं, बल्कि हम का भाव होना जरूरी है।
आलोचक डॉ. कुमार वीरेंद्र ने कहा कि महाप्राण निराला वसंत के अग्रदूत और नवता के आग्रही हैं। आभार ज्ञापन डॉ. आशुतोष पार्थेश्वर ने किया। डॉ. बीके सिंह, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. धारवेंद्र त्रिपाठी, अवनीश यादव,प्रसाद,आशुतोष त्रिपाठी, धर्मचंद मौजूद रहे। इस क्रम में दारागंज स्थित निराला की प्रतिमा पर साहित्यकारों ने माल्यार्पण किया। इस मौके पर व्रतशील शर्मा ने कहा कि मेरे पितामह पं. देवीदत्त शुक्ल से निराला के आत्मीय संबंध थे। सतीश सक्सेना, राजेन्द्र तिवारी उर्फ दुकान जी, धर्मेन्द्र चौबे ने विचार व्यक्त किये। जगदीश नारायण विश्वकर्मा, प्रवीण तिवारी, अभिषेक द्विवेदी, सुनील शुक्ल मौजूद रहे।