भारतीय कंपनियां व वर्तमान विपक्ष का विरोध| #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
भारत में आजादी के बाद लगभग 65 वर्षों तक देश की सत्ता घुमा फिराके आज जो विपक्ष में हैं उन्हीं के हाँथ में रही|उनके ही संरक्षण में विदेशी निवेश भारत में तीब्र गति से आया और स्थापित हुआ|जिसमें हिन्दुस्तान लीवर,जान्सन एण्ड जान्सन,नेस्ले आदि भारत में आकर बिना चवन्नी कर दिये धड़ल्ले से भारतीय अर्थ व्यवस्था का दोहन करती रहीं|इनके चलते कभी भी भारतीय कम्पनियाँ फल फूल नहीं पाईं|लोग सोंच रहे थे भारत का विकास हो रहा है|परन्तु हो इसके उलट रहा था|हम भारतीय भी कम नहीं हैं|थोड़ा सा पैसा क्या कमाये कि हम विदेशी मांसिकता के गुलाम अपने ही उत्पाद से घृणा करने लगे और विदेशी उत्पाद के गुलाम बनते गये|
हिन्दुस्तानी उत्पाद को ब्रांड बनाने की वजाय हम विदेशी उत्पाद को ब्रांड बनाकर खुब प्रचारित प्रसारित करने में लग गये|जिससे भारत पिछड़ता ही गया|भारतीय उद्योगपतियों में टाटा बिड़ला डालमियाँ ही विदेशी कम्पनियों से प्रतिस्पर्धा कर रही थीं|जो कि इतनी घनी आवादी के लिए नाकाफी था|पूर्व की सरकारों की गलत नीतियों के चलते भारतीय उत्पाद और उद्योगपति रसातलगामी होते गये|और विदेशी कम्फनियाँ यहाँ फलती फूलती गईं|कई देशों से विगत सरकारों ने मुक्त व्यापार यानी बिना कर के ही सामग्री बेचने का समझौता कर रखी थीं जिसके चलते भारत की जीडीपी ऊपर उठने की वजाय रसातलगामी बनी हुई थी|मुक्त व्यापार में खासकर चीन हम भारतीयों को अपना कचरा बेंचकर खूब कमाई किया|जिससे हम पिछड़ते गये|और चीन उभरता गया|और हमी को दबाते गया|
लेकिन दो हजार चौदह के बाद सरकार बदली|तब का विफक्ष आज सत्तासीन है|उसने विदेशी कम्पनियों पर नकेल कसना शुरू किया|मुक्त व्यापार पर कर लगाकर उनसे कर लेना शुरू किया|और भारतीय कम्पनियों को बढ़ावा देना शुरू किया|जिसका परिणाम यह है कि आज भारत की जीडीपी दर घट रही है|और विदेशियों की बढ़ रही है|आज विदेशी परेशान हैं|कारण कि वर्तमान सरकार ने मेड इन को मेक इन इण्डिया में बदल दिया|अब जो भी विदेशी कम्पनियाँ यहाँ उत्पादन कर रही हैं उनको अब कर देना पड़ रहा है|पहले नि:शुल्क व्यापार करती थीं|जब कर देना पड़ गया तो विदेशी कम्पनियों को तकलीफ होने लगी|तो उन कम्पनियों के जन्मदाता आज का विपक्ष भारतीय उद्योगपतियों का विरोध करना शुरू कर दिया|मजे की बात यह है कि विरोध उनके उत्पाद का नहीं है|विरोध इस बात का है कि ए क्यों बढ़ रही हैं|ये क्यों विश्व में अपना तिरंगा फहरा रही हैं|विरोध इस बात का है|ये बर्तमान का विपक्ष कभी भी विदेशी कम्पनियों का विरोध नहीं करतीं|क्योंकि उनका घर इन्हीं कम्पनियों से भरता है|देश का भले बेड़ा गर्क हो|लेकिन उनका विरोध ये कभी नहीं करते|जबकी विदेशी कम्पनियाँ भारत को रोगी बना रही हैं|तरह तरह के केमिकलयुक्त उत्पाद भारतियों को परोस कर बिमार कर रही हैं|फिर भी विदेशी कम्पनियों का ये कभी भी विरोध नहीं करती|ये करती हैं तो भारतीय कम्पनियों का|
भारत में एक उत्पाद आया दंत मंजन,कोलगेट,जो कि भारतियों को शुगर का रोगी बना दिया|उसके बदले में जब पतंजलि दंत कांति लेकर आया तो आज का विपक्ष उसका विरोध करने लगा|जबकी दंत कांति दाँत माँजने के अलावाँ आपके सेहत पर भी अच्छा प्रभाव डालता है|वहीं कोलगेट आदि सेहत फर बुरा असर डाल रहा है|लेकिन कोलगेट का कभी भी विरोध नहीं करता|ऐसे ही नेस्ले का उत्पाद है उसमें भी रोग उत्पन्न करने की क्षमता है|लेकिन उसका विरोध कभी नहीं किया|विरोध कर रहे हैं तो अडानी अम्बानी का|जो देश की उन्नति में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं|जो देश के लाखों घरों के चूल्हे जला रहे हैं|
इससे यह साबित होता है कि आज का विपक्ष पूरी तरह देश विरोधी और विदेशी समर्थक है|आज के विपक्ष को देश से नहीं सिर्फ सत्ता से प्यार है|आज के विपक्ष को देशवासियों से मतलब नहीं है|आज के विपक्ष को अपने परिवार से है|इसलिए ए आज यदि सरकार का भी विरोध कर रही हैं तो,सिर्फ हटाने के लिए|जनता को यह नहीं बता रही हैं कि वर्तमान सरकार हटाने के बाद हम देश के लिए क्या करेंगे|नीयत साफ नहीं है|देश के विकास के लिए इन लोगों के पास कोई सपना नहीं है|ये सिर्फ अपना और अपने परिवार का विकास करने के लिए छटपटा रहीं हैं|इसलिए स्वदेशी के साथ साथ देश का भी अपरोक्ष रूप से विरोध ही कर रही हैं|और चाह रही हैं कि देश की सत्ता हमें जनता सौंप दे|
जनता भी कम नहीं है|यहाँ की जनता जो खुद के और देश हित में नहीं वही करने में गौरव महसूस करती है|जैसे पिज्जा,बर्गर,मैगी,पेप्सी,कोक आदि जितने विदेशी उत्पाद हैं वे सभी हमें रोगी बना रहे हैं|फिर भी हम खा रहे हैं और अपने बच्चों को भी खिला खिला कर रोगी बना रहे हैं|हम भारतीय कहलवाने में हीनता समझते हैं और विदेशी कहलवाने में गौरव|हमें अपनी संस्कृति अपने पर्व बेकार लगते हैं|विदेशियों के अच्छे|हम मंदिर की जगह पर शौंचालय अस्पताल कालेज बनवाने की बात करते हैं|मगर चर्च मस्जिद के लिए जगह देने की बात करते हैं|इसलिए आज संस्कार लुप्त होते जा रहे हैं|अनाथालय भरते जा रहे और बढ़ते जा रहे हैं|हम जैसे ही अधनंगी बालिकाओं पर कुछ बोलते हैं,आज का विपक्ष तुरंत कूद पड़ता है अभिव्यक्ति आजादी लेकर|लेकिन जब वही बालिकायें बलातकार की शिकार होती हैं,तब घिग्घी बँध जाती है|आज का विपक्ष कुसंस्कृति पर मौन साध लेता है|विदेशी पर मौन साध लेता है|विगत कुछ वर्षों से देखने में यह आ रहा है कि कुछ कथित किसान जो किसान हैं ही नहीं|वो किसानो के हित के लिए आंदोलन करते हैं|वह भी खूनी| जबकी किसानो को जितनी छूट जितनी सहायता अब मिल रही है वह कभी नहीं थी|फिर भी जब जब चुनाव आता है, ये कथित किसान अपना शिर उठा लेते हैं|और देश को मुश्किल में डाल देते हैं|ये भी चाह रहे हैं कि सत्ता पर देशी नहीं|विदेशी काबिज हो|क्योंकि देशी देश के लिए सोंचता है|जिससे इन कथित किसानों की दलाली बंद हो जा रही है|इसलिए ए सभी देशी को हटाकर विदेशी को लाना चाहते हैं|जिससे इनकी दलाली की दुकान सुचारु रूप से चलती रहे|जरा सोंचिए जब किसानों को कुछ नहीं मिलता था|जब किसान अपनी ही उपज का भाव नहीं तय कर सकता था,तब ये कथित किसान नेता कहाँ मर गये थे|तब आंदोलन क्यों नहीं किए|जानते हैं क्यों?तब इनके घर भर रहे थे|इसलिए मौन थे| अब उसी पर ताला लग गया है|इसलिए ए सभी विपक्ष के साथ साथ बिलबिला रहे हैं|
ये तबतक मौन रहते हैं जबतक कोई चुनाव नजदीक न हो|जैसे ही कोई चुनाव आस पास आता है,ये सक्रिय हो जाते हैं जैसे आज हुए हैं|लेकिन आज जनता जाग गई है|इनको मुँहतोड़ जवाब अपने वोट पावर से दे रही है|फिर भी ये अवांछित लोग कुछ दारुड़ियों को किसान बनाकर अवांछित कार्य में अनवरत लग कर देश की ऐसी तैसी कर रहे हैं|इसके बावजूद भी जनता आज की इनके मंसूबों पर पानी फेर रही है|आज के विपक्ष की काली करतूतें जनता देख रही है ,समझ रही है|इसलिए आज का विपक्ष दुर्गति का शिकार होता जा रहा है|इतना सब होने के बावजूद भी आज का विपक्ष वही कर रहा है जिससे वह रसातलगामी बना रहे|जो कि न उसके लिए हितकर है न देश के लिए|जनतंत्र में विपक्ष को भी उतना ही मजबूत रहना चाहिए,जितना की सरकार रहती है|परंतु आज का विपक्ष सुप्ता अवस्था में है,इसलिए सब ऊटपटांग काम कर रहा है|आतंकियों का समर्थन और देश का विरोध कर रहा है|जो कि जनता स्पष्ट देख रही है|परंतु विपक्ष नहीं देख पा रहा|जिसका परिणाम देश हित में नहीं आ रहा|बल्कि एक बेलगाम सरकार का निर्माण करते जा रहा है|
पं.जमदग्निपुरी