मुंबई: महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती पर विशेष वार्ता | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
मुंबई। महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती पर आर्य समाज गोरेगांव में वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान द्वारा एक विशेष वार्ता का आयोजन किया गया। वार्ता की सूत्रधार श्रीमती भारती श्रीवास्तव थीं। संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य प्रभारंजन पाठक ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती का व्यक्तित्व अद्भुत था। वे शीर्ष महापुरुषों में एवरेस्ट के समान थे । जिस तरह गोमुख से गंगा जी निकलती हैं लेकिन कोलकाता तक आते-आते दूषित हो जाती हैं, उसी प्रकार हमारा धर्म भी है।
यदि धर्म को समयानुकूल नहीं बनाया गया तो इसमे गाद जम जाती है। महर्षि ने धर्म पर जमे पाखंड को हटाकर निर्मल बनाया। आचार्य पाठक ने महर्षि को 1857 की क्रांति का प्रणेता भी बताया। कवि और समीक्षक डॉ. जीतेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए मशाल थे। उन्हीं के विचारों को आगे बढ़ाते हुए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कवयित्री भारती श्रीवास्तव ने महर्षि दयानन्द सरस्वती पर लिखी अपनी कविता भी सुनाई - "कोई रहे न रहे/मान्यताएं रहेंगी/ और पैदा करती रहेंगी/दयानंद सरस्वती/जो करेंगे दमन रूढ़ियों का/लोकाचार से दूर/जो दे रहे होंगे मान्यता/एक नई सभ्यता को ।" लघुवार्ता के अध्यक्ष एवं संस्कृत प्रेमी श्री लालचंद तिवारी ने महर्षि के सुदीर्घ योगदान को याद करते हुए उपस्थित श्रोताओं का आभार माना। इस अवसर पर मीडिया प्रभारी मुन्ना यादव 'मयंक' का सम्मान किया गया।