नया सवेरा नेटवर्क
नए जमाने में उत्पीड़न का मारा हूं
नया जमाना आया है फास्टफुड युग छाया है
जहां जाता हूं पुराने विचार का ताना पाता हूं
चाहता दाल चावल हूं पर फास्टफूड पाता हूं
नए जमाने में उत्पीड़न का मारा हूं
बाप दादाओ के विचार चलाता हूं तो
अपमान के झटके खाता हूं
बाहर की क्या बात करूं
घर पर झटके खाता हूं
नए जमाने में उत्पीड़न का मारा हूं
धन का अपव्यय देख मन में पीड़ा सहता हूं
नए जमाने की इस प्रथा को देखता हूं
कदर नहीं यहां किसी पुराने की
नए जमाने से उत्पीड़न का मारा हूं
औलाद ने पुराने जमाने को नकारा है
नए जमाने में आने को हुंकारा है
पुराने विचार छोड़ने का दिया नारा है
नए जमाने में उत्पीड़न का मारा हूं
जिंदगी से अब मैं हारा हूं
निर्णयों से किया अब किनारा हूं
दुनियां में बेइज्जती का बस सहारा हूं
नए जमाने में उत्पीड़न का मारा हूं
लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
Ad |
Advt. |
0 टिप्पणियाँ