नया सवेरा नेटवर्क
क्या सचमुच बसंत आया।
कोयल ने गीत सुनाया
पूछो उस बूढी मां से
जिसका बेटा घर ना आया।।
क्या महक उठी अमराई।
कलियों ने रास रचाई।
पूछो उस बिरहन से
सीमा पर जिसका है जंवाई।।
क्या भौंरे गुनगुन गाते।
क्या पपिहा राग सुनाते।
पूछो उन मजदूरों से जो
भूखे ही सो जाते ।।
क्या मौसम हुआ सुहाना
क्या बुलबुल गाए गाना।
पूछो उसको जिसको होता
दफ्तर दफ्तर जाना।।
किंसुक में फूल है आया
पत्तों ने बौर छिपाया
पूछो शहर के बच्चों से
क्या कभी टिकोरा खाया ।।
क्या सचमुच बसंत आया.......
महुए के फूल बिछे है,
धरती पर तारे जैसे।
पूछो अमीर बच्चों से।
जो कभी देख न पाया ।।
क्या सचमुच बसंत आया ...............
स्वरचित मौलिक
सत्यभामा सिंह, कल्याण, मुंबई।
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