पं.जमदग्निपुरी |
नया सवेरा नेटवर्क
आज पूरा विश्व जनमानस भयंकर जानलेवा बिमारियों से ग्रस्त होता जा रहा है। तरह तरह के नित नये रोग प्रकट हो रहे हैं|लोग भोजन से अधिक दवा खा रहे हैं| फिर भी स्वस्थ नहीं|आज सदस्य भले बचा हो घर एक भी नहीं बचा है रोगियों से|पहले कुछ भयंकर बिमारियाँ अनुवांशिक होती थीं पर आज घर घर की सदस्य जैसे हो गई हैं| बबासीर गैस शुगर दिल की बिमारी आज कल आम बात हो गई है| कुछ मूर्ख और विद्वेशी विद्वान कोरोना वैक्सीन को दोष दे रहे हैं| ऐक्सपर्ट बनके उसकी खामियाँ बता रहे हैं| उसकी खामियाँ बता रहे हैं जिसकी बदौलत अरबों जिन्दगियाँ सुरक्षित हुई हैं|
मूल बात नहीं बता रहे कि ये भयंकर लाइलाज जानलेवा बिमारियाँ क्यों हो रही हैं|बता देंगे तो इनकी दुकान बंद हो जायेगी|इनकी विद्वत्ता खतरे में पड़ जायेगी|इनकी कमीशनखोरी बंद हो जायेगी|माना कि ये पढ़ लिखकर ज्ञानी बने हैं,मगर ठगने के लिए|यह ठगने वाली बिमारी बहुत भयंकर है|यह रोग जिसको लग जाये उसके साथ ही जाता है कैंसर की तरह|जरा गौर कीजिए जब 2020 में कोरोना पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया था|अचानक हुए इस बिमारी के हमले से सभी भयाक्रांत थे|जिसने लाखों जिन्दगियाँ पलक झपकते छीन ली|किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था|लोग लाखो खर्च करके भी काल के गाल समा रहे थे|ऐसी स्थिति बन गई थी कि पति पत्नी भी एक दूसरे से मिलने में घबराते थे|प्रैमी प्रेमिका जो साथ जीने मरने की कसमें खाते थे वो भी दूर से बतियाने लगे|अपने जिगर के टुकड़े को लोग घर से बाहर कर दिए|ऐसी स्थित को दूर भगाने के के लिए हमारे डॉक्टरों ने दिन रात अथक प्रयास करके वैक्सीन बना एक रामबाण ले आये|जिससे लोंगों में फिर से जीने की आस जगी|उसी वैक्सीन को कुछ मंदबुद्धि विद्वान जीवन विरोधी बता रहे हैं|
यह बात ऐसे ही है जब वैक्सीन बनी थी तब कुछ राजनीतिक पार्टियाँ सरकार का विरोध करने के लिए वैक्सीन के बारे में तरह तरह की अफवाह फैलाकर जन विरोधी देश विरोधी कार्य में लिप्त थीं|कोई कह रही थी कि वैक्सीन की खुराक लेने वाले नपुंसक हो जा रहे हैं|कोई कुछ तो कोई कुछ कहके बदनाम कर रही थीं वैक्सीन को|कोई तो यहाँ तक गिर के कहने लगा कि यह वैक्सीन मोदी वैक्सीन है|इसे कोई मत लगवाओ|मजे की बात यह है कि उसके समर्थक तो काफी दिनों तक लगवाये ही नहीं|जिससे वैक्सिनेशन में विलम्ब हुआ|और काफी क्षति भी हुई|उसी तरह के कुछ विद्वान जो आज वैक्सीन के सहारे ही जी रहे हैं|उसके दुष्प्रभाव के बारे में बता रहे हैं|मैं जानना चाहता हूँ कि कौन सी ऐसी एलोपैथिक दवा है जिसका दुष्प्रभाव नहीं है|फिर भी लोग एलोपैथी ही ले रहे हैं|ए तो वही बात हो रही है कि जियो का कनेक्शन फ्री में लेकर उसी के मालिक को गरियाते रहना|यह भी चलन हमारे यहाँ खूब चल रहा है|
जहाँ तक बिमारियों की बात है तो उसके कई कारण हैं जो मानव निर्मित ही हैं|आज लोगों की जीवन शैली बदल गई है|जब सोना चाहिए तब सोते नहीं|जब जगना चाहिए तब जगते नहीं|कितने तो ऐसे हैं न सूर्य को उगते देख रहे हैं न डूबते|मेहनत कोई करना नहीं चाहता|खेती का काम कोई करना नहीं चाहता|शरीर को जो चाहिए वो देते नहीं|जो नहीं चाहिए उसी से भरते रहते हैं|गलत खान पान गलत दिनचर्या से रोगों को आमंत्रित करते लोग दोष वैक्सीन को दे रहे हैं|कभी आपने विचार किया कि रोग इतनी तीब्रगति से जन जीवन को अपने आगोस में क्यों ले रहा है|उसके मूल में झाँके,या ऐसे ही ऐक्सपर्ट बनके आ गये विद्वत्ता झाड़ने|
मूल में यह है कि जब हम अाज की तारीख भोजन करने बैठते हैं तो सबसे पहले बैठने की शैली गलत है|उसके बाद जो भी भोजन कर रहे हैं उसमें 75 प्रतिशत जहर है जो केमिकल के रूप में हमारे भोजन में जाकर समाहित है|वह हमारी शारीरिक क्रियाओं को अवरोधित कर रहा है जिससे हम बीमार पड़ रहे हैं|जब हम मांस खाते हैं तो क्या उसका परीक्षण करवाते हैं|नहीं न|पता नहीं कौन से पशु पक्षी मछली को कौन सी बिमारी है|फिर भी हम आँख मूँदे उनका भक्षण करते जा रहे हैं|और रोगों को आमंत्रित करते जा रहे हैं|सबसे अधिक क्षति हमारी शरीर को कोकोकोला जैसे ठंढे पेय पहुँचा रहे हैं|ठंडे पेय से हमारी कोषिकायें क्षतिग्रस्त हो रही हैं|धमनियाँ सिकुड़ रही हैं|रक्तसंचार वाधित हो रहा है|जिसके कारण लोग दिल के रोगी हो रहे हैं|ठंडा जल जो फ्रीजर किया हुआ है वह भी हमें रोगी बना रहा है खासकरके फिल्टर किया हुआ जल|फिल्टर किया हुआ पेय पदार्थ वैसे ही है जैसे कीमो किया हुआ आदमी तत्व विहीन शक्तिहीन|और कई अन्य कारण हैं जिसमें दवाइयाँ भी अहम रोल निभा रही हैं|हम त्वरित परिणाम लेने के लिए एलोपैथी पर भरोसा रखते हैं|आयुर्वेद होमियोपैथ पर भरोसा कम है और जल्दी लेते भी नहीं|इस बात को सभी जानते हैं कि एलोपैथ दुष्प्रभाव डालता है शरीर पर,फिर भी लोग भरोसा भी उसी पर करते हैं|क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में उसकी ही आवश्यकता है|लोग न लम्बे समय तक बीमार रहना चाहते हैं न खाट पकड़े रहना चाहते हैं| न जीना चाहते हैं|शीघ्र स्वस्थ होने व रहने के लिए एलोपैथ मजबूरी और जरूरी दोनो बन गई है|
इसलिए केवल वैक्सीन को दोष देना हमारी समझ से बड़ी ही मूर्खता है|दिल के मरीज वैक्सीन के पहले भी थे और आज भी हैं|दिल के दौरे अक्सर अधिक काम का भार नुकसान नफा पर निर्भर है|इससे वैक्सीन का कुछ लेना देना नहीं है|यदि होता तो अबतक करोड़ों लोग मर खप गये होते|हाँ अफवाह उड़ाना ही यदि मकसद हो तो क्या किया जा सकता है|
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1 टिप्पणियाँ
यथार्थ
जवाब देंहटाएंधन्यवाद