ये जनसेवक है किसान हैं या आंदोलनजीवी आतंकी पोषक हैं | #NayaSaveraNetwork


नया सवेरा नेटवर्क

विगत 13 दिसम्बर 2023 को लगभग दोपहर के समय संसद का शीत कालीन सत्र चल रहा था| तभी दो उपद्रवी संसद में सांसदों के मध्य कूद पड़ते हैं और जो काम करने आये थे कर भी दिये| कुछ सांसदों ने बहादुरी साहस और सूझ बूझ का परिचय देते हुए निज जान की परवाह किए बगैर उन पर टूट पड़े और धर दबोचा|हल्की कुटाई भी की|यह सब देख सुनकर जहाँ दुख हुआ वहीं उन सांसदों की बहादुरी व साहस को देख सुनकर दिल बाग बाग हो गया|इस घटना से कई सवाल उठ खड़े हुए| क्योंकि जहाँ इस घटना को देश विरोधी बताया जा रहा है वहीं कुछ तुच्छ नेतागण इसे भटका हुआ बेरोजगार का गुस्सा बताकर उनका महिमामंडन करते हुए इसे मामूली घटना बता रहे हैं|कुछ किसान नेता तो इन आतंकियों के समर्थन में धरना प्रदर्शन तक की धमकी देते फिर रहे हैं|

अब सवाल ये उठता है कि देश का पूरा विपक्ष सदैव देश विरोधियों के साथ ही क्यों खड़ा मिलता है|उनके प्रति ही इनकी सहानुभूति क्यों रहती है|हम विगत कई घटनाओं पर जब नजर डालते हैं तो भाजपा के अलावाँ कोई भी पार्टी देश के साथ खड़ी क्यों नहीं मिलती|क्या भाजपा से इतर पार्टियाँ सिर्फ सत्ता के लिए देशविरोधियों के साथ हो लेती हैं|इनकी कार्यप्रणाली हावभाव से तो यही दिख रहा है|जब भी देश पर आफत आती है तो भाजपा ही सदैव मुखर होकर आगे आती है|जब वह सत्ता में नहीं थी तब भी अब है तब भी|यही सबसे बड़ा अंतर आज भाजपा को शीर्ष पर पहुँचाई है|और देशवासी ये कहते नहीं थक रहे कि|बार बार भाजपा सरकार|हम थोड़ा बहक गये|विपक्षी नेताओं के क्रियाकलापों से|जब भी देश पर आतंकी हमला होता है तो पूरा आजका विपक्ष सत्ता में रहते हुए भी आतंकियों के समर्थन में ही मिला|चाहे टाइगर मेनन की फाँसी रुकवाना हो|चाहे बाटला काण्ड हो, चाहे अफजल गुरू की फाँसी हो, चाहे बुरहान बानी जैसे दुष्टों का इनकाउन्टर हो,चाहे जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाने वाले हों,चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो,चाहे पत्थर बाजों पर हो रही कार्यवाई हो,चाहे अब संसद में उत्पात करने वाले हों|और भी बहुत से देश विरोधी काण्ड भारत में हुए हैं|सब में पूरा विपक्ष सिद्दत से आतंकियों देश विरोधियों के समर्थन में क्यों मिलता है|यह हम सभी को सोंचना होगा कि ये सभी आज के विपक्षी नेता या किसान हितैषी नेता जनसेवक हैं या आतंकी पोषक|इनके क्रयाकलापों से तो न ये जनसेवक लगते हैं न किसान|ये सबके सब सत्ता लोभी देश विरोधी ही दिखते हैं|

ये सत्ता पाने के लिए इस कदर अन्हराये है कि यह भी नहीं सोंच पा रहे कि यदि उस दिन उन आतंकियों के पास जैविक बम आदि रहा होता तो ये खुद ही मारे जाते|ये सत्ता पाने लिए इस तरह पगलाये हैं कि ढंग से जनसेवक देश सेवक तो जाने दीजिए स्वसेवक भी नहीं बन पा रहे हैं|जब ये सत्ता पाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल सकते हैं|देश को खतरे में डाल सकते हैं|तो जनता की सेवा क्या खाक करेंगे|जनता की सुरक्षा की इनसे कैसे उम्मीद की जा सकती है|जो आतंकियों के मारे जाने पर रोते हों|जो सैनिको की शहादत का व वीरता का सबूत माँगते हों|आतंकियों को बचाने के लिए आधी रात को जज को विवश करते हों, देश के सैनिक साधु संतो को फँसाते हों|ऐसे नेताओं से देश व देश की जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है|

इन धुर्त देशविरोधी आतंकी पोषक नेताओं के कुछ प्रमुख काण्डों पर भी नजर दौड़ाते हैं,370,35 ए पर सारा विपक्ष एकजुट होकर पीआईएल दाखिल किया|370,35 ए निरस्त होने के लिए नहीं पुनः स्थापित हो इसलिए|काश्मीर को स्वर्ग नहीं पुनः नर्क बनाने के लिए|श्रमजीवी एक्सप्रेस काण्ड,मालेगाँव काण्ड में साधु सन्यासियों और सैनिक को फँसाया|देश बचाने के लिए नहीं आतंकियों को बचाने के लिए|

बुरहान बानी टाइगर मेनन बाटला काण्ड पर आँसू बहाया तो देशवासियों के लिए नहीं|आतंकियों के लिए|आधी रात को अदालत लगवाया तो आतंकियों के लिए|हिन्दू आतंकी है,ऐसा नैरेटिव सेट किया तो देश बचाने के लिए नहीं|पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के लिए|ऐसे बहुत से आज के विपक्षियों के कार्य हैं जो देश विरोधी और देशविरोधियों के पक्ष में हैं|

एक बात और पिछले कुछ समय से यह देखने सुनने पढ़ने को मिल रहा है|जब भी संसद सत्र चलने को होता है तो देश में कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है जिसे लेकर विपक्ष संसद में कोई भी जनोपयोगी बिल पर चर्चा ही नहीं होने देता|बस एक मुद्दे को जो देश विरोधी जन विरोधी रहता है|उसी का समर्थन करते हुए संसद को अवरोधित कर अरबों रूपये स्वाहा करवा देता है|दूर जाने की जरूरत नहीं है|अभी जो संसद काण्ड हुआ,करने वाले पर uapa  के तहत एफआईआर हुई,उसको लेकर सभी विपक्षी हायतौबा मचाते हुए सदन अवरोधित कर जनोपयोगी बिल को पास नहीं होने दे रहे हैं न सदन चलने दे रहे हैं|तब सोंचने पर यह लिखने और कहने पर मजबूर करते हैं कि क्या ये जनसेवक हैं|किसान नेता हैं|देश सेवक हैं|या आतंकी पोषक है|देशद्रोही हैं|जनविरोधी हैं|संसद चलाना सरकार की  भी जिम्मेदारी है|और यह जनता ने दी है|देखने में यह आ रहा कि सरकार भी यह जिम्मेदारी इमानदारी पूर्वक नहीं निभा रही है|शायद सरकार की भी यही मंशा है कि विपक्ष पर सारा ठीकरा फोड़ कर जनोपयोगी बिलों को ऐसे ही लटकाये रखा जाय|सरकार भी सदन को सुचारु रूप से चलते रहने से बचती हुई दिख रही है|मुद्दे को हल नहीं लटकाये रखना चाह रही है|शायद वह भी चाह रही है कि

" प्याज अगर छील डालेंगे तो काटेंगे क्या?

मुद्दे सभी हल हो गये तो उठायेंगे क्या?"

कहीं यह बात तो नहीं कि ये पक्ष विपक्ष की सोंची समझी रणनीति हो|इशारा तो यही मिल रहा है|कि चोर से कहो लूटो और साहु से कहो जागो|यदि ऐसा है तो यह किसी के लिए ठीक नहीं है|न जनता के लिए न देश के लिए हितकर है|हाँ पक्ष विपक्ष भले इस पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकते रहें|और जनता को मूर्ख बनाते रहें|मगर अब जनता भी काफी हद तक समझदार हो गई है|और चोर चोर मौसेरे भाई वाला खेल समझने लगी है|इसलिए अब ए खेल नहीं चलने वाला|जिसका परिणाम हाल ही के पाँच राज्यों का चुनाव परिणाम है|

पं.जमदग्निपुरी

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