नया सवेरा नेटवर्क
मुलाकात तो होगी !
ख्वाबों में ही हो चाहे,मुलाक़ात तो होगी,
तूफ़ाँ कोई उठेगा बरसात तो होगी।
अपने तसव्वुर में मुझको बसाये रखना,
ये मशवरा है मेरा आँसू छुपाए रखना।
दिल की है बात दिल में,शुरुआत तो होगी,
ख्वाबों में ही हो चाहे, मुलाक़ात तो होगी,
तूफ़ाँ कोई उठेगा बरसात तो होगी।
उसके जिगर पे मेरा देखो है जादू छाया,
इस आशिक़ी में मैंने दिल का वो कोना पाया।
मंजर भले ही बदलें, महक साथ तो होगी,
ख्वाबों में ही हो चाहे, मुलाक़ात तो होगी,
तूफ़ाँ कोई उठेगा बरसात तो होगी।
दुनिया को कब हैं छोड़ी, रंगीन हवाएँ,
काबू में है नहीं दिल दे-दे मुझे दवाएँ।
छलका दे मय का प्याला देह राख तो होगी,
ख्वाबों में ही हो चाहे, मुलाक़ात तो होगी,
तूफ़ाँ कोई उठेगा बरसात तो होगी।
कवि व लेखक
रामकेश एम. यादव, मुंबई।
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