जौनपुर: चकबंदी के नाम पर किसानों का होता है शोषण:वकार | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
हिंदुस्तान मानव अधिकार एसोसिएशन ने की शिकायत
जौनपुर। चकबंदी विभाग सब से अधिक भ्रष्ट विभाग है, जहां भूमि व्यवस्था के नाम पर किसानों का शोषण और धन उगाही की जाती है। हद तो यह है कि किसानों को अपनी ही किसी भूमि पर यदि कोई निर्माण कराना होता है तो नीचे से ऊपर तक मुंह मांगा धन चुकाना पड़ता है,ऐसे कितने ही आवेदन ऊपर तक पैसा न चुका पाने के कारण लंबित पड़े हैं। उक्त बातें हिन्दुस्तान मानवाधिकार संस्था के उत्तर प्रदेश प्रभारी एवं प्रदेश महा सचिव वकार हुसैन ने जिला कैम्प कार्यालय में कुछ पीडि़त किसानों की उपस्थिति में कही है। श्री हुसैन ने इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, मुख्य न्यायधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद, विशेष सचिव राजस्व विभाग,भूमि व्यवस्था आयुक्त और जिलाधिकारी को शिकायती पत्र पोर्टल और डॉक द्वारा भेजा है। श्री हुसैन के अनुसार भ्रष्टाचार के ही आधार पर कभी उच्च न्यायालय ,कभी प्रशासन बार बार चकबंदी कार्य रोकने से ही स्पष्ट हो जाता है कि जब भी चकबंदी होती है,भ्रष्टाचार अपनी प्रकाष्ठा पर पहुंच जाता है। श्री हुसैन ने लिखा है कि चकबंदी प्रक्रिया शुरू से अन्त तक कभी रकबा छोटा दिखा कर,नक्शा, नाम, पिता आदि में त्रुटियां दिखा कर ,धन उगाही की जाती है। तरमीम और वारासात के नाम पर तीन से पांच हजार रु पए तक वसूल लिए जाते हैं। इसी प्रकार मनपसंद चक प्राप्त करने के एवज में मोटी रकम का सौदा किया जाता है। श्री हुसैन के अनुसार करीब दो दशक पूर्व उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने जिस भ्रष्टाचार के आधार पर कार्य रोक दिया था,बिना न्यायालय को संज्ञान में लिए जब पुन: चकबंदी कार्य कराया जा रहा है तो भ्रष्टाचार पहले से भी अधिक होता देख प्रशासन को भी चकबंदी कार्य रोकना पड़ा। जिससे दलालों का हौसला पस्त हो गया तो वहीं लाखों रु पए खर्च कर देने वाले किसान बौखला गए। श्री हुसैन ने उच्चाकिधकारियों के अलावा उच्च न्यायालय से मांग किया है कि यदि चकबंदी भ्रष्टाचार मुक्त संभव न हो तो इसे स्थगित ही कर दिया जाय।