चुनावी समर में आज फिर महादेव एप मुद्दा गूंजा | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • चुनावी समर के बीच महादेव एप के मुद्दे पर सियासी धमासान - 22 अवैध सट्टेबाजी एप पर सरकार ने चलाया चाबुक 
  • राज्य सरकारों को आईटी अधिनियम के 69 ए के तहत वेबसाइट,एप को बंद करने की सिफारिश का अधिकार को जनता ने रेखांकित करना जरूरी 
  • भारत के युवाओं को विभिन्न अवैध सट्टेबाजी कारोबारों, गेमिंग, जुआ से बचाने जीएसटी रूपी स्पीड ब्रेकर से कहीं अधिक अवैध घोषित करना जरूरी - एडवोकेट किशन समुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों को चूंकि ग्राम सेवक से लेकर पंचायत समिति और विधान सभा से लेकर संसद तक सीधे जनता चुनती है इसलिए इस सार्वजनिक जीवन वाले पदों के लिए प्रत्याशी को साफ सुथरा होना अति आवश्यक है, इसलिए ही पक्ष विपक्ष दोनों स्तरपर अपने प्रतियोगी के भूतपूर्व, वर्तमान जीवन के हर पहलू को गहराई से जांचते परखते हैं या किसी भी अवैध विवादापस्थ मामले में उसकी थोड़ी सी भी सलंग्नता नजर आई तो तिल का लाल और राय का पहाड़ बनाने में जरा सा भी नहीं चूकते और मुद्दे को लपक लेते हैं ऐसा अमेरिका भारतसहित अनेकों देशों में देखने को मिलता है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति उसके बेटों पूर्व राष्ट्रपति उसके परिवार सहित अनेक मुद्दे अंतरराष्ट्रीय स्तरपर गूंजे हैं। वर्तमान समय में ऐसा ही एक मामला एक राज्य के तथाकथित महादेव अप के मुद्दे पर चुनावी समर के बीच महादेव ऐप के मुद्दे पर सियासी घमासान मचा हुआ है। जहां विपक्षी पार्टी इसे चुनावी मुद्दा बताते हुए राज्य के सीएम को घेर रही है, तो वहीं, सीएम अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बता रहे हैं। यहां तक कि पीएम  जब शनिवार को चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो उन्होंने घेरते हुए कहा कि सरकार ने जनता का भरोसा तोड़ा है। इन्होंने तो महादेव के नाम को भी नहीं छोड़ा। दरअसल, महादेव बुक ऐप ईडी की रडार पर है। 

ऐप सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है। इसके प्रमोटर रायपुर के रहने वाले हैं, और दोनों के दुबई में होने की आशंका है। दोनों वहीं, से ऐप को चलाते हैं,इसे भारत में बैन कर दिया गया है। ईडी एजेंसी ने कुछ महीनों पहले एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। 

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के कथित तौर पर सीएम के राजनीतिक सलाहकार के साथ संबंध की आशंका है कि अपनी अवैध गतिविधियों को नजर अंदाज करने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों, राजनेताओं और अन्य लोगों को रिश्वत में सैकड़ों करोड़ हरे गुलाबी के भ्रष्टाचार की बहू आ रही है ऐसा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों पर बताया जा रहा है। मामले को ईडी ने हाथ में ले लिया है और इसके तार दुबई तक पहुंच गए हैं जिसे रेखांकित करना जरूरी है।

 मेरा मानना है कि अभी हाल ही में जीएसटी काउंसिल की 51वी बैठक में ऑनलाइन गेमिंग घुड़दौड़, क्लबों में दम पर 28 प्रतिशत जीएसटी और फिर उसको भारत सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दी है इसलिए हालांकि अवैध धंधों को जीएसटी वैध नहीं बनता फिर भी बैकडोर से तो आखिर समर्थन मिल ही जाता है, इसलिए जनहित और इसकी सहलग्नता से युवाओं के बढ़ते आत्महत्या मामलों को देखते हुए अब इस तरह की गेमिंग और एप्स को पूरी तरह से बैन किया जाना समय की मांग है।

 चूंकि अभी सिर्फ 22 एपो पर बैन लगाई गई है जबकि इसके पहले भी 100 से अधिक पर बैन लगा है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि भारत में युवाओं को विभिन्न अवैध सट्टेबाजी कारोबार, गेमिंग, जुआ से बचाने जीएसटी रूपी स्पीड ब्रेकर से कहीं अधिक इनको अवैध घोषित करना जरूरी है। 

साथियों बात अगर हम एक राज्य में ठीक चुनावी समर में एप पर बवंडर की करें तो, चुनाव से ठीक पहले सियासी बंवडर खड़ा हो गया है। महादेव ऐप को विपक्षी पार्टी ने चुनाव का मुद्दा बनाया है। इस मामले में सीधे-सीधेमुख्यमंत्री का नाम सामने आने के बाद तो पार्टी आक्रमक है। खुद पीएम  ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सत्ताधारी पार्टी की सरकार ने यहां की जनता का विश्वास तोड़ा है। इन्होंने तो महादेव को भी नहीं छोड़ा। हालांकि, सीएम ने इन आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन बताया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने महादेव बेटिंग ऐप समेत अवैध सट्टेबाजी वाले 22 ऐप और वेबसाइटों को प्रतिबंध करने का आदेश जारी किया है। आईटी मंत्रालय ने अवैधसट्टेबाजी ऐप सिंडिकेट के खिलाफ चल रही जांच के बीच इन एप्स पर बैन लगाने के आदेश दिए हैं।आखिर क्या है महादेव ऐप और क्यों आया छत्तीसगढ़ में भूचाल। 

कैसे जुड़ा सीएम का नाम यह खोजने वाले प्रश्न हैं। सीएम ने तंज कसते हुए ऑनलाइन ऐप पर जारी सियासी घमासान के बीच कहा कि हमारे खिलाफ साजिश रची जा रही है। विपक्षी पार्टीऔर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) महादेव ऐप के मालिकों को बचा रही है। अगर इन्हें सही में कार्रवाई करनी है तो आरोपियों के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लेते हैं। ये पार्टी ईडी को हथियार बनाकर विपक्षी दलों के नेताओं पर कार्रवाई करवा रही है। मैं साफ कर दूं कि इस व्यक्ति को मैं नहीं जानता हूं और ना ही कभी वैसे मुलाकात हुई है जैसा कि दावा किया जा रहा है। मुझे बदनाम करने के लिए वो पार्टी ऐसा काम कर रही है, लेकिन जनता सब देख रही है। जनता ही विरोधी पार्टी को करारा जवाब देगी। आगे कहा कि पूरे देश में ऑनलाइन सट्टेबाजी बंद होनी चाहिए। ये सिर्फ इस राज्य में ही क्यों किया जा रहा है. क्योंकि यहां चुनाव है। 

चुनाव खत्म होने तक यह घमासान जारी रहेगा उल्लेखनीय है कि गिरफ्तार आरोपी से कड़ी पूछताछ और उसके पास से जब्त फो की जांच से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं ईमेल के मुताबिक, महादेव ऐप के प्रमोटर्स ने अब तक करीब 508 करोड़ रुपये दिए हैं। हालांकि एजेंसी ने कहा कि पैसे दिए गए या नहीं, इसकी जांच चल रही है। इस मामले के खुलासे होने के बाद सीएम  ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि चुनाव के दौरान इससे भद्दा  मजाक क्या हो सकता है।किसी को पकड़वाकर मैं पीएम का नाम कहवा दूं तो क्या पीएम से एजेंसीपूछताछ करेगी किसी का नाम लेना बहुत आसान है। साबित करना उतना ही मुश्किल काम है। ये सब साजिश के तहत किया जा रहा है। ईडी ने यूएई से आए शख्स पर शिकंजाकसा है ईडी के पास खुफिया सूचना है। 

इस राज्य में 7 और 17 नवंबर 2023 को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर महादेव ऐप के प्रमोटरों की ओर से बड़ी मात्रा में नकदी ले जाई जा रही है। ये पैसे सत्तारूढ़ के चुनावी खर्चों के लिए बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने के लिए खास तौर पर संयुक्त अरब अमीरात से भेजे गए एक कैश कूरियर को रायपुर से पकड़ा था। जांच एजेंसी ने दावा किया कि एजेंट को ऐप प्रमोटरों ने यूएई से भेजा था। 

ईडी ने 5.39 करोड़ रुपये की नकद राशि उनकी कार से बरामद की। जब्त धनराशि पर आरोपी ने स्वीकार किया है कि महादेव ऐप के प्रमोटरों ने  राज्य में आगामी चुनाव खर्चों के लिए एक राजनेता को देने की व्यवस्था की गई थी। ईडी ने महादेव ऐप के कुछ बेनामी बैंक खातों का भी पता लगाया है, जिनमें 15.59 करोड़ रुपये की शेष राशि फ्रीज कर दी गई है। ईडी नेआरोपी को गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, महादेव बुक ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी का प्लेटफॉर्म है। इसके प्रमोटर  रायपुर निवासी हैं और दोनों दुबई में रहते हैं। दोनों पर आरोप है कि ये ये दुबई से ही ऐप को संचालित करते हैं।ईडी ने इसे भारत में बंद कर दिया है। एजेंसी ने इस मामले में चार लोगों को डिटेन भी किया है। 

साथियों बात अगर हम 22 एप पर सरकार के चाबुक चलने की करें तो, केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर महादेव ऐप और रेड्डीअन्नाप्रेस्टोप्रो सहित 22 अवैध सट्टेबाजी मंचों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। मीडिया में एक आधिकारिक बयान में रविवार को यह जानकारी दी गई। बयान में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री  ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने ऐसा करने का अधिकार होने के बावजूद इन मंचों पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं किया। 

उन्होंने कहा है किराज्य सरकार के पास धारा 69 ए आईटी अधिनियम के तहत वेबसाइट-ऐप को बंद करने की सिफारिश की पूरी शक्ति थी.l। हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया और न ही राज्य सरकार की ओर से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया गया है, जबकि सरकार पिछले 1.5 साल से इसकी जांच कर रही है। सच्चाई ये है कि इस संबंध में ईडी से पहला और एकमात्र अनुरोध प्राप्त हुआ था जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। महादेव बुक ऐप का मालिक फिलहाल ईडी की हिरासत में हैं। उसे मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री ने आरोप लगाया है किराज्य सरकार ने ऐसा करने का अधिकार होने के बावजूद इन प्लेटफार्मों को ब्लॉक करने के लिए केंद्र सरकार के पास कोई अनुरोध नहीं भेजा था। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चुनावी समर के बीच महादेव एप के मुद्दे पर सियासी धमासान - 22 अवैध सट्टेबाजी पेपर पर सरकारने चलाया चाबुक।राज्य सरकारों को आईटी अधिनियम के 69 ए के तहत वेबसाइट,एप को बंद करने की सिफारिश का अधिकार को जनता ने रेखांकित करना जरूरी।भारत के युवाओं को विभिन्न अवैध सट्टेबाजी कारोबारों, गेमिंग, जुआ से बचाने जीएसटी रूपी स्पीड ब्रेकर से कहीं अधिक अवैध घोषित करना जरूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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