इंडिया बनाम भारत - भारत की बात बताता हूं | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • भारतीय संविधान में इंडिया, दैट इज भारत का पहले से ही जिक्र है - दोनों नाम एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। 
  • लोकसभा चुनाव 2024 पास आया - विपक्ष ने गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए बनाया - पक्ष ने ज़वाबी अवसर भारत शब्द पर फोकस लगाया - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत में बौद्धिक क्षमता का अभूतपूर्व भंडार माना जाता है, शायद यही कारण है कि सैकड़ो वर्ष शासन करने के बाद अंग्रेजों को वापस जाना पड़ा था क्योंकि बेतहाशा बौद्धिक क्षमता के धनी स्वतंत्रता सेनानियों की अभूतपूर्व रणनीतियों से हिम्मत हारकर अपने कदम वापस ले लिए थे। खैर यह तो हमने भारत की बेसिक क्षमता बताएं, परंतु हम अभी प्रौद्योगिकी, विज्ञान, शिक्षा स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती भारतीय साख़ को देखें तो बौद्धिक क्षमता के बल पर ही रोज़ नए-नए आयामों को रचा जा रहा है। परंतु अगर हम इसी एंगल में राजनीतिक क्षेत्र पर नजर डालें तो वहां भी मानवीय बौद्धिक क्षमता का अभूतपूर्व खजाना भरा पड़ा है। पक्ष विपक्ष के किसी भी एक्शन पर रिएक्शन ज़रूर देखने को मिलता है जो चौके पर छका हो जाता है, मगर दोनों पक्षों की नज़र एक दूसरे की रणनीतिक क्रियाओं पर लगी रहती है, जैसे ही एक पक्ष कोई चाल चलता है तो दूसरा पक्ष फौरन उसको रेखांकित कर उस चाल की काट में मौका अपनी तरफ मोड़ने में सक्रिय हो जाता है, जो हमने अनेकों मामलों में देखे हैं। परंतु अभी कुछ दिनों से हम देख रहे हैं कि पक्ष को 2024 में पटकनी देने, सोची समझी रणनीति के तहत महागठबंधन बनाकर उसका नाम आई.एन.डी.आई.ए रखा गया है। बता दें कि संविधान के ड्राफ्ट सभा में प्रस्ताव आया था कि हमें ऐसी लाइन लिखना चाहिए, भारत जिसे इंडिया के नाम से भी विदेश में जाना जाता है, याने आजाद भारत में इंडिया प्राइमरी या प्रमुख नाम नहीं होना चाहिए परंतु दुर्भाग्यपूर्ण वह प्रस्ताव 38 के मुकाबले 51 वोटो से प्रस्ताव गिर गया था और बी आर अंबेडकर द्वारा लिखा इंडिया इज भारत वहीं पास हुआ था। बता दें कि विपक्ष अपनी रणनीति के तहत चुनाव में आई.एन.डी.आई.ए की टोटल लोकसभा सीटों में पक्ष से अधिक बैठ रही है, अगर इसी लाइन परआई.एन.डी.आई.एचला तो उनकी सफ़लता से इनकार नहीं किया जा सकता परंतु जैसे मैंने पहले ही कहा कि एक्शन पर रिएक्शनज़रूर आता है विचार आएगा तो उसपर विमर्श ज़रूर करने रास्ता निकाला जाएगा जिसपर रिजल्ट विशेष सत्र एक देश एक चुनाव, एक देश एक नाम और 9-10 सितंबर 2023 को जी20 के शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पत्र में द प्रेसिडेंट ऑफ भारत की ओर से निमंत्रण भेजा गया है जिसे रेखांकित करना होगा और विपक्ष ने तो अपने आई.एन.डी.आई.ए की काट के रूप में रेखांकित किया है जिसके कारण अनेकों नेताओं के बयान आए, बयानों पर पलटवार हुए और देखते ही देखते यह राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा बन गया है। चौराहा गलियों मोहल्ला टीवी चैनलों पर डिबेट शुरू हो गया है।इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, लोकसभा चुनाव 2024 पास आया- विपक्ष ने गठबंधन इंडिया बनाया- पक्ष ने जवाब भी अवसर भारत शब्द पर फोकस लगाया। 

साथियों बात अगर हम भारत शब्द के तूल पकड़ने और सियासत होने की करें तो, दरअसल राष्ट्रपति की ओर से 9 सितंबर को जी-20 कार्यक्रम के दौरान भारत मंडपम मेंआयोजित होने वाले डिनर के निमंत्रण पत्र में द प्रेसिडेंट ऑफ भारत की ओर से न्योता भेजा गया है। इसी निमंत्रण पत्र पर छपे भारत शब्द को लेकर अब सियासत होने लगी है। राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि सरकार देश के नाम पर भी हमला कर रही है। विपक्षी पार्टी नेता ने कहा कि जब संविधान के अनुच्छेद एक में कहा गया है भारत जो की इंडिया था वह राज्यों का संघ है,तो उसमें इंडिया शब्द को क्यों हटाया जा रहा है। हालांकि दूसरे नेता  कहते हैं कि जब संविधान में इंडिया और भारत दोनों का जिक्र है, तो इसमें संवैधानिक तौर पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस नाम को लेकर सिर्फ मुख्य पार्टी ही नहीं बल्कि पक्ष नेताओं की ओर से भी बाकायदा भारत के समर्थन में ट्वीट और बयान दिए जा रहे हैं। क्या अब अपने देश को इंडिया के नाम की बजाय भारत के नाम से ही प्रचलित किया जाएगा ? राजनीतिक गलियारों में कहा यही जा रहा है कि आने वाले संसद के विशेष सत्र में देश को आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ भारत कहे जाने वाले प्रस्ताव को पास कराया जा सकता है। लेकिन संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि देश के संविधान में इंडिया, दैट इज भारत' का पहले से ही जिक्र है। इसलिए इंडिया और भारत यह दोनों नाम संविधान में दर्ज हैं और एक दूसरे के पर्यायवाची हैं संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर में बदलाव तकरीबन नामुमकिन जैसा ही है। वहीं देश के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि इंडिया को आधिकारिक तौर पर भारत पुकारे जाने से क्या सत्ताधारी पार्टी को कोई बड़ा सियासी लाभ मिलसकता है या नहीं? पूरे देश में इस समय इंडिया बनाम भारत की डीबेट तूल पकड़ रही है। माना जा रहा है सरकार जल्द ही संसद के विशेष सत्र में इंडिया का नाम बदल कर परमानेंट भारत करने वाली है। एक तरफ भारत सरकार, भारत का नाम बदलकर भारत करने की योजना बना रही है वहीं दूसरी तरफ अक्षय कुमार ने अपनी आगामी फिल्म मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू का नाम बदल दिया है। पहले इसका नाम मिशन रानीगंज: द ग्रेट इंडियन रेस्क्यू था।इस बीच बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने मंगलवार को कहा था, भारत माता की जय। एक केंद्रीय मंत्री ने मंगलवार को राष्ट्रपति की तरफ से प्रेषित जी20 रात्रिभोज निमंत्रण पत्र को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किया, जिसमें उनको प्रेसिडेंट ऑफ भारत के रूप में संदर्भित किया गया है। इस कदम से विपक्ष के उस आरोप को बल मिला है कि सरकार देश का नाम केवल भारत  करने और इंडिया नाम हटाने की योजना बना रही है। 

साथियों बात अगर हम इंडिया बनाम भारत की डिबेट के तूल पकड़ने की करें तो, पूरे देश में इस समय इंडिया बनाम भारत की डीबेट तूल पकड़ रही है। माना जा रहा है सरकार जल्द ही संसद के विशेष सत्र में इंडिया का नाम बदल कर परमानेंट भारत करने वाली है। राजनीतिक गलियारों में कहा यही जा रहा है कि आने वाले संसद के विशेष सत्र में देश को आधिकारिक तौर पर 'रिपब्लिक ऑफ भारत' कहे जाने वाले प्रस्ताव को पास कराया जा सकता है। वहीं देश केसियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि इंडिया को आधिकारिक तौर पर भारत पुकारे जाने से क्या सत्ता धारी पार्टी को कोई बड़ा सियासी लाभ मिल सकता है या नहीं। 

साथियों बात अगर हम इंडिया बनाम भारत मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञों और अधिवक्ताओं के विचारों की करें तो, हालांकि संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिया और भारत के नाम को लेकर किसी तरीके का कोई संवैधानिक विवाद नहीं है। एक प्रोफेसर कहते हैं कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है, इंडिया जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा। ऐसे में इंडिया और भारत के नाम के इस्तेमाल को लेकर संवैधानिक रूप से कोई संकट नहीं है। वह कहते हैं कि अगर इसके सियासी मायने तलाशे जाएंगे तो निश्चित तौर पर राजनीतिक टकराहट बढ़ेगी। वह कहते हैं कि यह पहला मौका नहीं है जब भारत का नाम इस तरह से इस्तेमाल किया गया। ऐसे पहले भी कई मौके आए जब इंडिया की जगह पर भारत के नाम का जिक्र हुआ। जब संविधान में इसका जिक्र है कि फिर इस तरीके के निमंत्रण पर होने वाले विवाद का मतलब महज सियासी ही माना जा सकता है। उच्चतम न्यायालय के एक वरिष्ठअधिवक्ता कहते हैं कि भारत और इंडिया एक दूसरे के पर्यायवाची ही हैं। इसलिए यह कहना कि इंडिया की जगह पर भारत का नामइस्तेमाल किया गया, वह किसी बहुत बड़े फेरबदल के संकेत हैं,ऐसा कानूनी रूप से संभव नहीं नजर आ रहा है और सियासी रूप से भी इसकी संभावना न के तौर पर दिख रही है।भारत के संविधान को देखेंगे तो उसमें कॉन्स्टीट्यूशनल ऑफ इंडिया और भारत का संविधान दोनों लिखे हुए नजर आते हैं। इसके अलावा वह कहते हैं कि पासपोर्ट पर भी रिपब्लिक ऑफ इंडिया अंग्रेजी में दर्ज होता है, जबकि हिंदी में भारत का गणराज्य लिखा होता है। यह कहना कि इंडिया की जगह पर भारत नाम लिख देना कॉन्स्टीट्यूशनल अमेंडमेंट की राह पर बढ़ाने जैसा है, यह संभव नहीं दिखता। कॉन्स्टीट्यूशनल अमेंडमेंट हो सकते हैं, लेकिन उसके लिए संसद में दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन जब संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर में बदलाव की जरूरत होती है, तो इस संविधान में इस बात का जिक्र है कि उसे बदलने के लिए बनाने वाली कमेटी का बैठना जरूरी है। संविधान बनाने वाली कमेटी में तो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जैसे तमाम लोग शामिल थे। तो ऐसे में संभावना भी तकरीबन खारिज हो जाती है कि बेसिक स्ट्रक्चर में बदलाव हो पाएगा। संविधान बनाने वाली कमेटी का कोई भी सदस्य इस वक्त मौजूद नहीं है, इसलिए यह प्रक्रिया अब बहुत कठिन मानी जा सकती है।या फिर संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से संविधान में संशोधन करने की जरूरत होगी और इंडिया नाम को पूरी तरह से विराम दिया जा सकता है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इंडिया बनाम भारत - भारत की बात बताता हूं। भारतीय संविधान में इंडिया, दैट इज भारत का पहले से ही जिक्र है - दोनों नाम एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। लोकसभा चुनाव 2024 पास आया - विपक्ष ने गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए बनाया - पक्ष ने ज़वाबी अवसर भारत शब्द पर फोकस लगाया।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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