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हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में हो रही रामकथा
सिरकोनी जौनपुर। मानस कोविद डॉ. मदनमोहन मिश्र ने कहा कि निर्बल बलवान से, निर्धन धनवान से, मूर्ख विद्वान से डरता है किंतु चरित्रवान से सभी डरते हैं। रावण बलवान इतना था चलता था तो पृथ्वी कांपने लगती थी। धनवान इतना था सोने का भवन था। विद्वान इतना था वेदों पर भाष्य करता था किंतु चरित्रवान न होने के कारण आज भी उस का पुतला जलाया जाता है। वह शनिवार की रात में मशऊदपुर, कबूलपुर में हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आयोजित रामकथा का प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने सुग्रीव की व्यथा, विभीषण को कथा सुनाकर रामजी से मिला दिया। कहा कि मनुष्य के जीवन में संवेदनशीलता बहुत आवश्यक है जो दूसरे की वेदना को समझ कर उसके दु:ख को दूर करता है निश्चय ही उसे वेदों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। किष्किंधाकांड प्रभु श्रीराम का ह्मदय है। पूरा रामचरितमानस श्रीराम का शरीर है। किष्किंधाकांड के पाठ से ह्मदय रोग दूर होता है। किष्किंधा मन बुद्धि चित्त और अहंकार की गुफा है। भाई भाई के जीवन में जब माया आ जाती है तभी संघर्ष का भय होता है। यह मेरा है या तुम्हारा है यदि यह विचार समाप्त करके सब भगवान का ही है सब में भगवान ही हैं इस विचार से सेवा की जाए तो भगवान की प्राप्ति सहज हो जाती है। इसके पूर्व विजय शंकर पाठक के आचार्यात्व में विधिविधान से पूजन अर्चन किया गया। यजमान अमर चौहान, आयोजक इंद्रसेन चौहान ने आभार जताया। संचालन अंकित श्रीवास्तव ने किया।
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