जौनपुर: 13वीं बरसी पर याद किये गए डॉ. ए.यू आज़मी | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
अजवद क़ासमी
जौनपुर। डॉ. अज़ीज़ुल्लाह आज़मी का जन्म उत्तर प्रदेश के ज़िला आज़मगढ़ के बखरा गांव में अलहाज मोहम्मद नज़ीर के यहाँ 7 अप्रैल 1929 को हुआ। जिन्हें डॉ. ए.यू आज़मी के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होंने दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ से अपनी शिक्षा प्राप्त की और बाद में 1956 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीयूएमएस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की अपनी चिकित्सा की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने अखिल भारतीय यूनानी तिब्बी सम्मेलन की भी स्थापना की और इसके अध्यक्ष रहे।
अलीगढ़ से वापसी के बाद उन्होंने अपनी कर्म भूमि शीराज़ ए हिन्द जौनपुर को बनाया यहाँ उन्होंने चिकित्सा का अभ्यास करने के अलावा आल इंडिया मुस्लिम मजलिस से भी जुड़े रहे। उनका विवाह मसरूर जहाँ आज़मी से हुआ था जिनसे उन्हें कुल दस बच्चे हुए जिनमें दो बेटियां और आठ बेटे शामिल थे। डॉक्टर फरीदी की पार्टी आल इंडिया मुस्लिम मजलिस से जुड़ने के कारण उनकी डिस्पेंसरी को नुकसान होता था इसलिये उन्होंने राजनीति से अलविदा लेने का फैसला किया मगर सन 1980 में लोकसभा का चुनाव सामने था जिसकी वजह से उनका नाम जौनपुर से जनता पार्टी (एस) के टिकट पर लड़ने के लिये पेश किया गया जहाँ जौनपुर की अवाम ने उन्हें सातवीं लोकसभा का सांसद सदस्य चुनकर दिल्ली भेज दिया।
डॉ ए.यू आज़मी 1980 से 1984 तक राजदेव सिंह कांग्रेस पार्टी और यादवेंद्र दत्त दुबे राजा जौनपुर जनसंघ को शिकस्त देकर सांसद सदस्य रहे। इस प्रकार डॉ० अज़ीजुल्लाह आज़मी ने 1952 से लेकर 2023 तक प्रथम मुस्लिम सांसद बनकर इतिहास रच दिया और इतिहास के पन्नों में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवा लिया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सबसे बड़ा कार्य शाहगंज से आज़मगढ़ तक छोटी रेलवे लाइन को बड़ी रेलवे लाइन में परिवर्तित करवाया। उनकी मृत्यु 24 मई 2010 को 81 वर्ष की आयु में देश की राजधानी दिल्ली में हुई जहां उन्हें अबुल फ़ज़ल एनक्लेव की क़ब्रिस्तान में सुपुर्द ए ख़ाक किया गया।
उनके बेटे कमाल आज़मी जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और डॉ. ए.यू आज़मी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा हर वर्ष अपने पिता डॉ. अज़ीजुल्लाह आज़मी की याद में निशुल्क रजाई वितरण कार्यक्रम कर उन्हें खिराज ए अक़ीदत पेश करते रहते हैं।
इस अवसर पर कमाल आज़मी ने कहा कि मेरे पिता आज ही के दिन इस संसार से रुख़सत हुए थे हम सभी उन्हें याद करके उन्हें खिराज ए अक़ीदत पेश करते हैं और उनके बताए हुए सिद्धांतों पर चलने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. आज़मी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा और बाक़ी हैं।
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