- रेपो रेट्स में होगा इजाफा, फिर बढ़ जाएगी आपकी EMI!
रिजर्व बैंक अप्रैल महीने की शुरुआत में ही मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक करने जा रहे है. खुदरा मुद्रास्फीति के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बने रहने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत कई केंद्रीय बैंकों के आक्रामक रुख के बीच भारतीय रिजर्व बैंक भी अगली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 फीसदी का इजाफा कर सकता है.
3 अप्रैल को शुरू होगी बैठक
मौद्रिक नीति के निर्धारण संबंधी सर्वोच्च संस्था मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक समीक्षा बैठक तीन अप्रैल से शुरू होने वाली है. तीन दिनों तक चलने वाली यह बैठक छह अप्रैल को नीतिगत दर संबंधी फैसले के साथ खत्म होगी.
कई पहलुओं को रखा जाएगा ध्यान
एमपीसी की बैठक में मौद्रिक नीति से जुड़े तमाम घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय पहलुओं की व्यापक समीक्षा के बाद कोई फैसला लिया जाएगा. इस दौरान खुदरा मुद्रास्फीति की स्थिति और फेडरल रिजर्व, यूरोपीय सेंट्रल बैंक एवं बैंक ऑफ इंग्लैंड जैसे प्रमुख केंद्रीय बैंकों के हालिया कदमों का भी गहन विश्लेषण किया जाएगा.
4 फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी पहुंचा रेपो रेट्स
मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से लगातार नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का रुख अपनाया हुआ है. इस दौरान रेपो दर चार फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच चुकी है. गत फरवरी में संपन्न पिछली एमपीसी बैठक में भी रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि की गई थी.
CPI कितना रहा?
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 6.52 फीसदी और फरवरी में 6.44 फीसदी पर रही है. खुदरा मुद्रास्फीति का यह स्तर आरबीआई के लिए निर्धारित छह फीसदी के सुविधाजनक स्तर से अधिक है.
जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा है कि पिछले दो महीनों से मुद्रास्फीति के छह फीसदी से ऊपर बने रहने और तरलता के भी अब लगभग तटस्थ हो जाने के बाद ऐसी उम्मीद है कि आरबीआई एक बार फिर रेपो दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है. इसके साथ ही आरबीआई अपने रुख को तटस्थ घोषित कर यह संकेत भी दे सकता है कि दरों में वृद्धि का दौर खत्म हो चुका है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री डी के पंत का भी मत है कि एमपीसी की बैठक में रेपो दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है. इसके साथ ही उन्होंने इसके अंतिम दर वृद्धि होने की भी संभावना जताई. हालांकि, पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार रानेन बनर्जी का मानना है कि भारत में मुद्रास्फीति के पीछे आपूर्ति कारकों के बड़ी वजह होने से एमपीसी इस बार ब्याज दर में वृद्धि का सिलसिला रोकने का फैसला भी कर सकती है.
वित्त वर्ष 2023-24 की होगी पहली बैठक
यह वित्त वर्ष 2023-24 की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक होगी. समूचे वित्त वर्ष में आरबीआई कुल छह एमपीसी बैठकों का आयोजन करेगा
![]() |
Advt |
![]() |
विज्ञापन |
![]() |
विज्ञापन |
0 टिप्पणियाँ