नया सवेरा नेटवर्क
त्राहिमाम प्रभु.....!
खेत में नहीं बोये जाते
मात्र बीज के दाने....,
बीज के साथ बोनी में
बुआई होती है बेटी ब्याह के सपनों की
बेटे की उच्च शिक्षा के खर्च की
माता-पिता की सेवा-सुश्रुषा
पत्नी की एक साड़ी भर की मंशा
चार ईंटें घर में लग जायें
ट्रेक्टर की किश्तें बन पायें
सारा धन खुले आसमान के नीचे रख
बस तुम्हारे विश्वास के भरोसे छोड़कर
निश्चिंत होकर प्रतिक्षा करता है किसान!
चार दाने घर आयेंगे....और संभवतः स्वयं के न सही
पर बच्चों के पूरे कर पाये अरमान...!
और ... प्रकृति की इस मार में
न आंसू झरते न शब्द निकलते
न सांत्वना कोई काम आती है...!
प्रभु आपकी यह लीला ...
असंख्य किसानों को जीवंत शव बना जाती है..!
कृपा करें... अब और परीक्षा न दे पायें हम
बचे-खुचे कुछ दाने है खेत में
उनको तो उठा घर ले आयें हम...!!!
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